अपडेटेड 27 February 2024 at 20:39 IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- स्कूल EWS वर्ग को दाखिला देने में कम्प्यूटरीकृत ड्रॉ के परिणाम से बंधे हैं

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के तहत दाखिला देने में कम्प्यूटरीकृत ‘ड्रॉ’ के परिणाम से बंधे हैं।

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Delhi High Court
दिल्ली हाईकोर्ट | Image: PTI

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के तहत निर्धारित सीट पर विद्यार्थियों को दाखिला देने के लिए शिक्षा निदेशालय (डीओई) द्वारा आयोजित कम्प्यूटरीकृत ‘ड्रॉ’ के परिणाम को मानने के लिए बाध्य होगा।

न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने कहा कि कम्प्यूटरीकृत ‘ड्रॉ’ विद्यार्थियों की संख्या के बारे में स्कूलों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आयोजित किया जाता है और सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों की अपेक्षित संख्या के अभाव में स्कूल को ईडब्ल्यूएस वर्ग के विद्यार्थियों की संख्या कम करने के लिए पहले डीओई को आवेदन करना होता है और वह ‘ड्रॉ’ के नतीजों से सीधे विमुख नहीं हो सकता।

अदालत का आदेश डीओई द्वारा आयोजित सफल कम्प्यूटरीकृत ‘ड्रॉ’ के बाद एक निजी स्कूल में प्री-प्राइमरी कक्षा में प्रवेश देने की मांग करने वाले एक विद्यार्थी की ओर से दायर याचिका पर आया था।

स्कूल ने याचिकाकर्ता को इस आधार पर प्रवेश देने से इनकार कर दिया कि सामान्य श्रेणी में प्रवेश की वास्तविक संख्या डीओई को सूचित किए गए आंकड़े से कम थी। स्कूल ने कहा कि उसने पहले ही सामान्य श्रेणी में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की वास्तविक संख्या की 25 प्रतिशत सीट पर कानूनी आदेश के अनुसार ईडब्ल्यूएस श्रेणी के विद्यार्थियों को दाखिला दे दिया है।

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अदालत ने हालिया आदेश में कहा, ‘‘एक बार जब कोई स्कूल आगामी शैक्षणिक वर्ष में भरे जाने के लिए अपने पास उपलब्ध सामान्य श्रेणी और ईडब्ल्यूएस सीटों की संख्या डीओई को सूचित करता है और डीओई उस आधार पर कंप्यूटरीकृत ‘ड्रॉ’ आयोजित करता है, तो स्कूल ईडब्ल्यूएस वर्ग के उस विद्यार्थी को प्रवेश देने के लिए बाध्य होता है जिसे उक्त कंप्यूटरीकृत ‘ड्रॉ’ के आधार पर प्रवेश के लिए पात्र पाया गया है।’’

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अदालत ने कहा कि सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों की अपेक्षित संख्या के अभाव में स्कूल को ईडब्ल्यूएस वर्ग के विद्यार्थियों की संख्या कम करने के लिए डीओई को पहले आवेदन करना होता है, लेकिन वह आसानी से ड्रॉ के नतीजों से विमुख नहीं हो सकता। अदालत ने कहा कि सीट की संख्या को लेकर डीओई द्वारा किसी ‘पुनरीक्षण’ के अभाव में स्कूल कंप्यूटरीकृत ‘ड्रॉ’ के परिणाम को मानने के लिए बाध्य होगा। 

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published By : Sujeet Kumar

पब्लिश्ड 27 February 2024 at 20:39 IST