पब्लिश्ड 17:31 IST, January 29th 2024
बीटिंग द रीट्रीट के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन, राष्ट्रपति और PM मोदी ने की शिरकत
दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी समारोह शुरू हो गया है। इसे गणतंत्र दिवस के समापन समारोह के तौर पर मनाया जाता है।
Beating The Retreat: दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग द रीट्रीट समारोह की शुरुआत हो गई है। समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मौजूद हैं। वहीं, कार्यक्रम में NSA अजीत डोभाल, तीनों सेनाओं के चीफ, रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट भी कार्यक्रम में शामिल हुए हैं। बता दें कि बीटिंग द रीट्रीट को गणतंत्र दिवस के समापन समारोह के तौर पर मनाया जाता है।
तीनों सेनाओं के बैंड ने समारोह का आगाज 'शंखनाद' की धुन बजाकर किया। सेरेमनी में समारोह में 31 भारतीय धुनों की प्रस्तुति दी जा रही है। थल सेना, नौसेना, वायुसेना और CAPF के संगीत बैंड द्वारा इन धुनों की प्रस्तुति पेश की जा रही है। इसके बाद वीर भारत, संगम दूर, देशों का सरताज भारत, भागीरथी और अर्जुन धुन बजाई गईं। वहीं, CAPF बैंड भारत के जवान और विजय भारत का संगीत पेश किया।
बीटिंग दी रिट्रीट में धुनें बजाते समय सेना के बैंड ने अलग-अलग आकृति भी बनाई, जो दिखने में बेहद ही आकर्षक रही। प्रस्तुति के दौरान बैंड ने कभी चक्रव्यूह, तो कभी कमल समेत कई आकृतियां बनाई।
दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट समारोह में बैंड ने 'ऐ मेरे वतन के लोगों' की धुन भी बजाई।
बजाई जा रही है स्वदेशी धुन
इस साल का बीटिंग द रिट्रीट समारोह बेहद ही खास है। क्योंकिय इस बार सेरेमनी में स्वदेशी धुन ही बजाई जा रही है। दरअसल, पहली बार इस समारोह में महात्मा गांधी के मनपसंद गीत 'Abide With Me' की धुन बजाई थी। इसके बाद से समारोह में हर साल यही धुन बजती आ रही थी। हालांकि धुन को 2020 में हटा दिया गया था। लेकिन विवादों की वजह से साल 2021 में धुन को दोबारा बजाया गया। हालांकि इस बार बीटिंग रिट्रीट में स्वेदशी धुन ही बजाए जा रही है।
क्या होती है बीटिंग द रीट्रीट?
गौरतलब है कि हर साल 29 जनवरी को राजधानी के विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट समारोह होता है। बीटिंग द रिट्रीट सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है। इस समारोह में भारत के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि होते हैं। राष्ट्रपति के आते ही उन्हें नेशनल सैल्यूट देकर राष्ट्रगान शुरू होता है, तिरंगा फहराया जाता है। इसके बाद तीनों सेनाओं के बैंड मिलकर पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं। तीनों सेना के बैंड वादन के बाद रिट्रीट का बिगुल बजता है। इसके बाद बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की इजाजत मांगते हैं।
300 साल से भी ज्यादा पुराना है इतिहास
बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की परंपरा राजा महाराजाओं के समय चली आ रही है। जब सूर्यास्त के बाद जंग बंद होने का ऐलान होता था। बिगुल बजाते ही सैनिक युद्ध बंद कर पीछे हट जाते थे। यब परम्परा 300 साल से भी ज्यादा पुरानी है। भारत के अलावा ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी होती है। भारत में इसकी शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी।
अपडेटेड 18:45 IST, January 29th 2024