sb.scorecardresearch
Advertisement

Published 12:49 IST, October 14th 2024

Delhi Liquor Scam: सुप्रीम कोर्ट से शराब घोटाले के एक और आरोपी को जमानत, 2 साल पहले हुई थी गिरफ्तारी

दिल्ली शराब घोटाला केस में अक्टूबर 2022 में सीबीआई ने बिजनेसमैन अभिषेक बोइनपल्ली को गिरफ्तार किया और बाद में प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें हिरासत में ले लिया था।

Reported by: Digital Desk
Follow: Google News Icon
  • share
Supreme Court
दिल्ली शराब घोटाला केस में सुप्रीम कोर्ट से अभिषेक बोइनपल्ली को जमानत मिली। | Image: ANI
Advertisement

Delhi Excise Policy Scam: दिल्ली के तथाकथित शराब घोटाला केस में एक और आरोपी को जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुनाते हुए आरोपी बिजनेसमैन अभिषेक बोइनपल्ली पर जमानत दे दी। अभिषेक बोइनपल्ली के अलावा मामले में सारे सह-आरोपी पहले ही जमानत पर बाहर आ चुके हैं। फिलहाल अभिषेक बोइनपल्ली को भी सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के सिलसिले में हैदराबाद के कारोबारी अभिषेक बोइनपल्ली की जमानत याचिका पर सुनवाई की। 13 अगस्त को कोर्ट ने बोइनपल्ली को दी गई अंतरिम जमानत को बढ़ा दिया था, क्योंकि ईडी ने कुछ समय मांगा था। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने दिल्ली शराब नीति मामले में अभिषेक बोइनपल्ली को अन्य आरोपियों के समान नियमित जमानत दे दी।

कौन है अभिषेक बोइनपल्ली?

अक्टूबर 2022 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बिजनेसमैन अभिषेक बोइनपल्ली को गिरफ्तार किया और बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। बोइनपल्ली रॉबिन डिस्टिलरीज के पूर्व निदेशक हैं और दिल्ली शराब घोटाला मामले में कई लोगों में से एक कथित बिचौलिया बताया गया है। हाल ही में उन्हें कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली थी।

यह भी पढ़ें: सिद्दीकी ही नहीं, निशाने पर था बेटा भी; बाबा हत्याकांड में खुलासा

शराब घोटाला केस में कई कारोबारी फंसे

आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के अलावा कुछ कारोबारियों पर भी दिल्ली शराब घोटाला केस में शामिल होने के आरोप लगे। इन लोगों में अभिषेक बोइनपल्ली के साथ-साथ विजय नायर, शरत रेड्डी, बिनॉय बाबू, अमित अरोड़ा और अलग-अलग कंपनियां शामिल हैं।

मामले में ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया था कि आबकारी नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं की गईं, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया, लाइसेंस शुल्क माफ किया गया या घटाया गया, सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस को बढ़ाया गया। लाभार्थियों ने 'अवैध' लाभ को आरोपी अधिकारियों को ट्रांसफर कर दिया और पता लगने से बचने के लिए अपने खातों में गलत प्रविष्टियां कीं।

यह भी पढ़ें: टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन का पोस्ट, कहा- रतन टाटा जैसा कोई नहीं
 

12:07 IST, October 14th 2024