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Published 23:16 IST, October 18th 2024

बेअदबी मामलों में गुरमीत राम रहीम के खिलाफ मुकदमा चलाने का रास्ता साफ

SC ने 2015 में पंजाब में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी से जुड़े मामलों में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाफ मुकदमा चलाने का रास्ता साफ कर दिया।

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Ram Rahim parole
गुरमीत राम रहीम सिंह | Image: Facebook

उच्चतम न्यायालय ने 2015 में पंजाब में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी से जुड़े मामलों में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाफ मुकदमा चलाने का रास्ता शुक्रवार को साफ कर दिया।

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा इन मामलों में मुकदमा चलाने पर लगाई गई रोक हटा दी और राम रहीम से जवाब दाखिल करने को कहा।

शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार की उस याचिका पर यह फैसला लिया, जिसमें उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी। वह मामले में चार हफ्ते बाद सुनवाई करेगी।

पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को पलटने का अनुरोध किया, जिसके तहत पंजाब के फरीदकोट के बाजाखाना पुलिस थाने में दर्ज तीन मामलों की सुनवाई पर रोक लगाई गई थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि तीनों मामलों में जांच की आवश्यकता है और राम रहीम को नोटिस जारी कर चाह हफ्ते में जवाब तलब किया।

फरवरी 2023 में उच्चतम न्यायालय इन मामलों में राम रहीम और उसके अनुयायियों के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई फरीदकोट की अदालत से चंडीगढ़ स्थानांतरित कर दी थी।

राम रहीम ने राज्य सरकार की सितंबर 2018 की अधिसूचना की वैधता को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को दी गई तीनों मामलों की जांच करने की अनुमति वापस ले ली गई थी और केंद्रीय जांच एजेंसी को मामलों की तफ्तीश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

उच्च न्यायालय ने 11 मार्च, 2024 को कई प्रश्नों को फैसले के लिए एक बड़ी पीठ के पास भेजा था। उसने कहा था, ''चूंकि, मामलों पर एक बड़ी पीठ विचार कर रही है, इसलिए न्यायसंगतता सुनिश्चित करने के लिए अंतरिम निर्देश जारी करना उचित समझा जाता है। उपरोक्त बेअदबी मामलों में याचिकाकर्ता (गुरमीत राम रहीम सिंह) के खिलाफ निचली अदालत में आगे की कार्यवाही पर अगले आदेश तक रोक रहेगी।''

उच्च न्यायालय ने यह निर्धारित करने के लिए मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेजा था कि क्या एजेंसी द्वारा जांच के लिए मामला दर्ज करने के बाद सीबीआई जांच को लेकर राज्य सरकार की अनुमति वापस ली जा सकती है।

पंजाब के फरीदकोट जिले में जून और अक्टूबर, 2015 के बीच गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की तीन कथित घटनाएं हुई थीं और स्थानीय पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत दो जून 2015 को पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव स्थित गुरुद्वारा सिंह साहिब के एक ग्रंथी ने आरोप लगाया था कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पन्ने जमीन पर पड़े हुए मिले थे।

बेअदबी की दूसरी घटना कथित तौर पर 24-25 सितंबर, 2015 को घटी, जिसमें बरगारी में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) द्वारा प्रबंधित गुरुद्वारे के बाहर पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब और सिख धर्मगुरुओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणियों वाले पोस्टर चिपकाए गए थे। इसके बाद फरीदकोट के बाजाखाना पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई।

तीसरी घटना 12 अक्टूबर, 2015 को जिले के बरगारी गांव में स्थित गुरुद्वारे के पास पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब के 112 फटे पन्नों की बरामदगी से संबंधित थी, जिसके लिए बाजाखाना पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि एक के बाद एक गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की इन तीन घटनाओं से पंजाब में अशांति फैल गई और प्रदर्शनकारियों ने फटे पन्ने एकत्र कर फरीदकोट जिले की कोटकपुरा क्रॉसिंग पर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया।

अदालत ने कहा, "भीड़ जब अनियंत्रित हो गई, तो कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा होने लगी। प्रदर्शनकारी बाद में हिंसक हो गए और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, जिससे पुलिस को अंततः अनियंत्रित भीड़ को तितर-बितर करने के लिए गोलीबारी करनी पड़ी। कोटकपूरा क्रॉसिंग पर गोलीबारी की उक्त घटना के अलावा, इसी तरह की गोलीबारी की एक और घटना गांव बहबल कलां में भी हुई थी।"
 

Updated 23:16 IST, October 18th 2024