Published 19:30 IST, May 15th 2024
EXCLUSIVE/ 'आपका पार्सल मुंबई एयरपोर्ट पर जब्त है...', एक कॉल से डिजिटल अरेस्ट, फिर हो जाता है बैंक अकाउंट खाली
FedEx Courier Cyber Crime: किसी भी कुरियर स्कैम वाले कॉल से बचें। CBI-IT अधिकारी बनकर पैसे मांगने वालों की तुरंत शिकायत करें।
FedEx Courier Cyber Crime: अमेरिकी कुरियर कंपनी फेडेक्स के नाम से कुरियर की बात कहकर करोड़ों रुपये ठगने वाले साइबर अपराध देश में तेजी से बढ़ रहे हैं। ये जालसाज न सिर्फ आम जनता, बल्कि सरकारी अधिकारी, रिटायर्ड मेजर जनरल, पत्रकार समेत कई अन्य नामचीन लोगों को भी अपना शिकार बना रहे हैं।
ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे पीड़ित की आपबीती बताने जा रहे हैं, जो इन जालसाजों के जाल से खुद को निकाल पाने में कामयाब हो पाया। पीड़ित ने रिपब्लिक भारत को डिटेल में बताया कि ये साइबर क्रिमिनल किस तरह से आपको अपने झांसे में लेते हैं, आपको डराते हैं, धमकाते हैं और इस तरीके से डिजिटल अरेस्ट कर लेते हैं कि आप चाहकर भी उनके चंगुल से निकल नहीं पाते।
डिजिटल अरेस्ट प्रक्रिया फेज 1: 'अगर आपका कोई कुरियर मिसिंग है तो 1 दबाएं...'
डिजिटल अरेस्ट करने की ये पूरी प्रक्रिया एक साधारण वॉइस कॉल से शुरू होती है। इसमें कहा जाता है कि अगर आपका कोई कुरियर मिसिंग है तो 1 दबाएं। आपके 1 दबाते ही आप जालसाजों को अपने दिमाग में घुसने की परमिशन दे देते हैं। हालांकि, आपको बता दें कि ये प्रक्रिया हर किसी के लिए अलग तरह की भी हो सकती है।
इसके बाद फोन पर एक व्यक्ति की आवाज सुनाई देती है, जो खुद को फेडेक्स कुरियर सर्विस में काम करने वाला एक कर्मचारी बताता है। वो आपको अपनी Employee ID तक भी बताता है ताकि आपके मन में कोई भ्रम न रहे कि वो कोई जालसाज भी हो सकता है। इसके बाद वो कहता है कि क्या आपने मुंबई से ताइवान (NOTE: वो किसी और स्थान का नाम भी इस्तेमाल कर सकता है) के लिए कोई पैकेज बुक किया है? आपके 'नहीं' कहने पर वो आपसे पूछता है कि क्या आपका आधार कार्ड मिसिंग है या आपने किसी क्रेडिट कार्ड या अस्पतालों में अपने आधार कार्ड की कॉपी दी है? (वो इस दौरान उन स्थानों को टारगेट करते हैं, जहां-जहां एक आम आदमी अपने आधार कार्ड का इस्तेमाल कर सकता है।) आपके 'हां' कहने पर प्रक्रिया दूसरे फेज की ओर बढ़ जाती है।
डिजिटल अरेस्ट प्रक्रिया फेज 2: 'आपके परिवार को भी होगी 3 साल की सजा'
अब वो फेडेक्स कर्मचारी आपसे कहता है कि आपके आधार कार्ड के जरिए एक बड़ा फ्रॉड किया गया है। आपके नाम से एक पैकेज मुंबई से ताइवान की ओर बुक किया गया है, जो अब कस्टम डिपार्टमेंट में पकड़ा गया है। इस पैकेज में 200 ग्राम से ज्यादा का MDMA (एक प्रतिबंधित ड्रग), 5 पासपोर्ट और 35 हजार कैश पाया गया है। इतना सुनते ही लोगों के रौंगटे खड़े हो जाते हैं। अब वो कहता है कि हम आपकी बात मुंबई पुलिस के अधिकारी से कराते हैं। उनके पास आप अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आपको बता दें कि ये कॉल या तो व्हाट्सएप कॉल के जरिए की जाती है या फिर आगे की प्रक्रिया के लिए आपसे स्काइप (Skype) डाउनलोड करने के लिए कहा जाता है।
पीड़ित ने रिपब्लिक भारत को बताया कि उसे स्काइप डाउनलोड करने के लिए कहा गया था। स्काइप डाउनलोड करने के बाद मुंबई पुलिस का एक कॉन्स्टेबल आपसे संपर्क करता है। वो आपको डराने की पूरी कोशिश करता है। वो आपसे कहता है कि आपके नाम से हवाला का पैसा भेजा जा रहा है, आपके नाम से कई बैंक अकाउंट खोले गए हैं। वो ये भी कहता है कि मुंबई के एक बड़े नेता के साथ मनी लॉन्ड्रिंग केस में आपका नाम सामने आया है।
हम आपकी बात साइबर क्राइम के डीसीपी से करा सकते हैं, लेकिन आपको उन्हें इस बात का यकीन दिलाना पड़ेगा कि आपके साथ फ्रॉड हुआ है। अगर आप उन्हें यकीन नहीं दिला पाए तो आपको 3 से 7 साल की सजा हो सकती है।
वो कहता है कि आपके खिलाफ जिस तरीके के केस दर्ज किए गए हैं, उसके अनुसार आपके परिवार के सदस्य भी जेल जाएंगे और उन्हें भी 3 साल से अधिक की सजा हो सकती है। इस बीच अगर आपने फोन कट किया तो आपको घर पर लोकल पुलिस की टीम पहुंचेगी और जो भी घर पर मौजूद होगा, उसे उठा कर ले जाएगी। आपको बता दें कि इसके बाद तीसरे फेज की शुरुआत होती है, जिसमें एक सीनियर अधिकारी आपसे बात करता है। इससे पहले वो आपको एक नोटिस भी भेजता है जिसपर CBI लिखा होता है और उसमें आपके नाम के साथ गोपनीयता के कुछ पॉइंट्स और अगर उसको फॉलो नहीं किया गया तो क्या सजा हो सकती है, सबके बारे में लिखा होता है। यह नोटिस Pdf फॉर्मेट में होती है।
डिजिटल अरेस्ट प्रक्रिया फेज 3: 'वेरिफिकेशन के लिए इस अकाउंट में भेजने होंगे पैसे'
पीड़ित की कॉल स्काइप के जरिए ही एक सीनियर अधिकारी को ट्रांसफर की जाती है। सामने से आवाज आती है- 'मैं साइबर क्राइम का डीसीपी बोल रहा हूं।' अब वो आपकी पूरी डिटेल पूछता है। आपका क्या नाम है, आप क्या करते हैं, आपके अकाउंट में कितने पैसे हैं, आपके पास गाड़ी है या नहीं। इसके बाद साइबर ठगी की अंतिम प्रक्रिया शुरू हो जाती है। खुद को डीसीपी बताने वाला शख्स कहता है कि आपको मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार नहीं होना है तो आपके अकाउंट में जितने पैसे हैं, वो इस अकाउंट पर भेजो। फिर वो आपको एक अकाउंट नंबर भी देता है और कहता है कि ये पैसे केवल इसलिए ट्रांसफर कराए जा रहे हैं ताकि वित्त मंत्रालय की ओर से आपका अकाउंट वैरिफाई किया जा सके। अकाउंट वैरिफिकेशन के बाद आपके पैसे आपको वापस भेज दिए जाएंगे।
सामने आ चुके हैं ये केस
1. पिछले दिनों बेंगलुरु में एक 70 साल के पत्रकार को ठग लिया गया। फेडेक्स कर्मचारी बनकर कॉल करने वालों ने उन्हें पैकेज में 240 ग्राम MDMA होने की बात कही। इसके बाद ड्रग तस्करी के लिए उनकी बात कथित NCB अधिकारी से कराई गई, जिसने स्काइप डाउनलोड कराया और उनसे 1 करोड़ 20 लाख रुपये ठग लिए।
2. ऐसा ही मामला ग्रेटर नोएडा से सामने आया। जालसाजों ने मेजर जनरल को फोन किया और कहा कि हम इनकम टैक्स अधिकारी बोल रहे हैं। इसके बाद रिटायर मेजर जरनल के आधार कार्ड पर कोरियर के माध्यम से MDMA और कुछ पासपोर्ट होने की बात कह कर डिजिटल अरेस्ट किया। जेल मे बंद मुंबई के बड़े नेता के साथ मनी लांड्रिंग केस में फंसाने की धमकी दी गई। जलसाजों ने रिटायर्ड मेजर जनरल को डिजिटल अरेस्ट कर 37 लाख रुपये ठग लिए।
3. बिहार के पूर्णिया के जिला पशुपालन अधिकारी डॉ. संजय कुमार को एक फोन आया। सामने से आवाज आई- 'हैलो CBI अफसर बोल रहा हूं, तुम्हारा बेटा रेप के केस में फंस गया है। संजय के मुताबिक, CBI अधिकारी का नाम सुनते ही वो चौंक गए और जो वो कहता गया, वो करते गए। आरोपी ने कहा कि अगर तुम अपने बेटे को छुड़ाना चाहते हो तो ढाई लाख रुपये देने पड़ेंगे। इसपर संजय कुमार ने घबराकर आरोपी के अलग-अलग अकाउंट में 1.20 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
आपको बता दें कि ऐसे ही कई मामले हर दिन सामने आ रहे हैं। एक सीनियर अधिकारी ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए कहा- 'आश्चर्य तो तब होता है जब पढ़े-लिखे लोग ऐसे जालसाजों के चक्कर में फंस जाते हैं। बिना पुलिस से संपर्क किए वो पैसे ट्रांसफर कर देते हैं।' ऐसे में साइबर अपराधियों से बचने के लिए आपको अपने दिमाग से डर को निकालना होगा। आपको समझदारी दिखानी होगी और पैसे ट्रांसफर की बात होते ही आपको तुरंत पुलिस में शिकायत करनी होगी।
हाल ही में FedEx ने एक बयान में कहा-
'FedEx भेजे गए या रखे गए सामान के लिए अनचाहे फोन कॉल, मेल या ईमेल के माध्यम से व्यक्तिगत जानकारी का अनुरोध नहीं करता है। अगर किसी व्यक्ति को कोई संदिग्ध फोन कॉल या संदेश प्राप्त होता है, तो उन्हें सलाह दी जाती है कि वे अपनी व्यक्तिगत जानकारी प्रदान न करें। इसके बजाय उन्हें तुरंत आसपास के स्थानीय कानून प्रवर्तन अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए या भारत सरकार के साइबर अपराध विभाग को रिपोर्ट करना चाहिए।'
(Note: पीड़ित की गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए इस स्टोरी में हमने उनका नाम या उनकी पहचान नहीं बताई है)
Updated 17:48 IST, May 16th 2024