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पब्लिश्ड 09:50 IST, January 21st 2025

बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले में पुलिस टीम को झटका, हिरासत में आरोपी की मौत के लिए 5 पुलिसकर्मी जिम्मेदार

मजिस्ट्रेट ने कहा कि साक्ष्यों और अन्य परिस्थितियों के कारण ‘पुलिसकर्मियों द्वारा निजी या आत्मरक्षा के अधिकार संबंधी दावा संदेह के घेरे में है।’

Reported by: Digital Desk
Edited by: Ravindra Singh
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Akshay Shinde, Accused in Badlapur Sexual assault case shot himself
बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले में पुलिस टीम को झटका | Image: X

मजिस्ट्रेट की जांच में बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले के एकमात्र आरोपी अक्षय शिंदे की हिरासत में हुई मौत के लिए पांच पुलिसकर्मियों को जिम्मेदार ठहराया गया है तथा पिछले साल सितंबर में आत्मरक्षा में गोली चलाने के पुलिस के दावे पर संदेह प्रकट किया गया है। मजिस्ट्रेट अशोक शेंगड़े ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय को सीलबंद लिफाफे में सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा कि फॉरेंसिक रिपोर्ट सहित सभी साक्ष्यों पर विचार करने के बाद अक्षय शिंदे के माता-पिता के इस आरोप में ठोस तथ्य मिले हैं कि उनके बेटे की फर्जी मुठभेड़ में हत्या की गई।

मजिस्ट्रेट ने कहा कि साक्ष्यों और अन्य परिस्थितियों के कारण ‘पुलिसकर्मियों द्वारा निजी या आत्मरक्षा के अधिकार संबंधी दावा संदेह के घेरे में है।’ कथित पुलिस गोलीबारी के चार महीने बाद यह रिपोर्ट उच्च न्यायालय में सौंपी गयी है। बंबई उच्च न्यायालय शिंदे के पिता अन्ना शिंदे की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। अन्ना शिंदे ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उनके बेटे को पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मार डाला। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने रिपोर्ट पर गौर करते हुए कहा कि सरकार जांच के आधार पर मामला दर्ज करने के लिए बाध्य है। पीठ ने जानना चाहा कि कौन सी जांच एजेंसी मामले की जांच करेगी।


मजिस्ट्रेट ने जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपी

इस घटना में शामिल अधिकारियों में ठाणे अपराध शाखा के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संजय शिंदे, सहायक पुलिस निरीक्षक (एपीआई) नीलेश मोरे, मुख्य आरक्षी अभिजीत मोरे और हरीश तावड़े तथा एक पुलिस चालक शामिल थे। हाईकोर्ट ने कहा, 'मजिस्ट्रेट ने जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में मजिस्ट्रेट इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि आरोपी अक्षय शिंदे की मौत के लिए पांच पुलिसकर्मी जिम्मेदार हैं।' पीठ ने कहा कि कानूनन, पांचों पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए और जांच की जानी चाहिए।


कोर्ट ने कहा सरकार इस मजिस्ट्रेट रिपोर्ट पर FIR को बाध्य है

अदालत ने कहा, 'आप (सरकार) इस मजिस्ट्रेट रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए बाध्य हैं। हमें बताएं कि कौन सी एजेंसी मामले की जांच करेगी।' मजिस्ट्रेट ने रिपोर्ट में कहा कि गाड़ी में अक्षय शिंदे के साथ मौजूद चार पुलिसकर्मी स्थिति को संभालने की स्थिति में थे। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पुलिस अधिकारियों द्वारा किया गया बल प्रयोग उचित था। रिपोर्ट में कहा गया है, 'यह विचार करना आवश्यक है कि क्या बल प्रयोग उचित था। वाहन चलती हालत में था। कथित घटना चलती गाड़ी में हुई। चारों पुलिसकर्मी ऐसी स्थिति में थे कि वे आसानी से स्थिति को संभाल सकते थे।'


मृतक के माता-पिता के आरोप बेटे को फर्जी एनकाउंटर में मार डाला

रिपोर्ट में अपराध विज्ञान विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) के निष्कर्षों का उल्लेख किया गया, जिसमें कहा गया था कि अक्षय शिंदे की उस पिस्तौल पर कोई फिंगरप्रिंट नहीं थी, जिसके बारे में कहा गया कि उसने कांस्टेबल से छीनकर उससे गोली चलाई थी। हाईकोर्ट ने कहा, "जहां तक ​​एफएसएल रिपोर्ट का सवाल है, मृतक के माता-पिता द्वारा लगाए गए आरोप (कि उनके बेटे को पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मार डाला) सत्य पाए गए हैं।" हाईकोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पुलिस को भविष्य में ऐसी स्थितियों में किस तरह की सावधानी बरतनी होगी।


हाईकोर्ट ने अपने पास रखे सारे सबूत

हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट की एक प्रति अभियोजन पक्ष और अन्ना शिंदे को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने कहा, 'हम मूल रिपोर्ट और इसके साथ संलग्न सभी दस्तावेज तथा गवाहों के बयान फिलहाल अपने पास रखेंगे। अभियोजन पक्ष को मामले की जांच के दौरान बाद में इसकी जरूरत पड़ सकती है।' कोर्ट ने सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर से कहा कि वह दो सप्ताह में पीठ को बताएं कि मामले की जांच कौन सी जांच एजेंसी करेगी। अक्षय शिंदे (24) को अगस्त 2024 में बदलापुर के एक स्कूल के शौचालय के अंदर दो बच्चियों का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह स्कूल में ‘अटेंडेंट’ था।


तलोजा जेल में कथित गोलीबारी से हुई मौत

शिंदे की 23 सितंबर को तलोजा जेल से पूछताछ के लिए ले जाते समय कथित पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई थी। पुलिस ने दावा किया कि उसने पुलिस वाहन में मौजूद एक पुलिसकर्मी का हथियार छीन लिया, गोली चलाई और जवाबी गोलीबारी में वह मारा गया। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संजय शिंदे ने अक्षय को गोली मारी थी, जबकि गोलीबारी के समय गाड़ी में एपीआई नीलेश मोरे, दो कांस्टेबल और एक पुलिस चालक मौजूद थे। अक्षय शिंदे को उसकी पत्नी द्वारा उसके खिलाफ दर्ज कराए गए एक मामले के संबंध में पूछताछ के लिए ले जाया जा रहा था।


31 जनवरी तक आएगी वेनेगांवकर समिति की रिपोर्ट

पुलिस हिरासत में किसी आरोपी की मौत के मामले में कानून के तहत मजिस्ट्रेटी जांच शुरू की जाती है। हाईकोर्ट ने भी यौन उत्पीड़न मामले का स्वतः संज्ञान लिया था और स्कूलों तथा अन्य शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं के समाधान के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का आदेश दिया था। सरकारी वकील वेनेगांवकर ने सोमवार को पीठ के समक्ष राज्य शिक्षा विभाग का हलफनामा पेश किया जिसमें घटना के बाद उठाए गए कदमों के बारे में बताया गया है। वेनेगांवकर ने कहा कि समिति की रिपोर्ट 31 जनवरी तक तैयार हो जाएगी।

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अपडेटेड 09:50 IST, January 21st 2025