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पब्लिश्ड 22:25 IST, September 2nd 2024

देश के विकास में सहकारी क्षेत्र का योगदान अद्वितीय है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक समारोह के संबोधित करते हुये कहा कि देश के विकास में सहकारी क्षेत्र का योगदान अतुलनीय है ।

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President Draupadi Murmu
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू | Image: @X

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक समारोह के संबोधित करते हुये कहा कि देश के विकास में सहकारी क्षेत्र का योगदान अतुलनीय है ।

पश्चिम महाराष्ट्र के शहर वारणानगर में श्री वारणा महिला सहकारी समूह के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, "व्यापार और उद्यमिता ने आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है, लेकिन देश के विकास में सहकारी क्षेत्र की भूमिका अतुलनीय है।"

मुर्मू ने कहा कि सहकारिता समाज में निहित शक्ति का बेहतर उपयोग करने का सर्वोत्तम माध्यम है।

सहकारिता के सिद्धांत संविधान में परिकल्पित न्याय, एकता और भाईचारे की भावना के अनुरूप- राष्ट्रपति मुर्मू

उन्होंने कहा, “सहकारिता के सिद्धांत संविधान में परिकल्पित न्याय, एकता और भाईचारे की भावना के अनुरूप हैं। जब अलग-अलग वर्गों और विचारधाराओं के लोग सहकार के लिए एकजुट होते हैं, तो उन्हें सामाजिक विविधता का लाभ मिलता है।”

मुर्मू ने कहा कि देश के आर्थिक विकास में सहकारी समितियों ने अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा अमूल और लिज्जत पापड़ जैसे घरेलू ब्रांड ऐसी सहकारी समितियों के ही उदाहरण हैं।

भारत को विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनाने में सहकारी समूहों का योगदान- राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति ने कहा कि सहकारी समूहों ने भारत को विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसी सहकारी समितियां लगभग सभी राज्यों में दूध और दूध उत्पादों का उत्पादन और वितरण करती हैं।

उन्होंने ने कहा कि सहकारी संस्थाएं केवल दूध ही नहीं, बल्कि उर्वरक, कपास, हथकरघा, आवास, खाद्य तेल और चीनी जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

मुर्मू ने कहा, "लेकिन तेजी से बदलते इस समय में उन्हें खुद को बदलने की जरूरत है। उन्हें जितना संभव हो सके प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए और प्रबंधन को और अधिक पेशेवर बनाना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि कई सहकारी समितियां पूंजी व संसाधनों की कमी, शासन व प्रबंधन एवं कम भागीदारी जैसी समस्याओं का सामना कर रही हैं और अधिक से अधिक युवाओं को सहकारिता से जोड़ना इस दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि युवा, प्रशासन और प्रबंधन में प्रौद्योगिकी को शामिल करके उन संस्थाओं का कायाकल्प कर सकते हैं। उन्होंने सहकारी संस्थाओं को जैविक खेती, भंडारण क्षमता निर्माण और इको-टूरिज्म (पर्यटन) जैसे नए क्षेत्रों में अवसर तलाशने की सलाह दीं।

'सहकारी समितियों की सफलता के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था और पारदर्शिता महत्वपूर्ण'

उन्होंने कहा कि किसी भी उद्यम की सफलता का असली राज़ उसका आम लोगों के साथ जुड़ाव है और सहकारी समितियों की सफलता के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था और पारदर्शिता महत्वपूर्ण है।

मुर्मू ने कहा कि सहकारी समितियों में किसी के एकाधिकार की जगह वास्तविक सहकार होना चाहिए।

उन्होंने कहा, “सहकारी संस्थाओं में सदस्यों के हित सर्वोपरि होने चाहिए। यह हमेशा ध्यान में रखा जाना चाहिए कि कोई भी सहकारी संस्था किसी व्यक्ति के निजी स्वार्थ और लाभ कमाने का एक साधन न बने, अन्यथा सहकारिता का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा।”

राष्ट्रपति ने कार्यक्रम में मौजूद जनसमूह, जिसमें अधिकतर महिलाएं शामिल थीं, से शिक्षा के महत्व को समझने, नई तकनीकों को सीखने, दैनिक जीवन में पर्यावरण संरक्षण को महत्व देने, जरूरतमंदों की सहायता करने और देश के विकास में अपना योगदान देने के लिए हमेशा तैयार रहने का अनुरोध किया।

उन्होंने कहा, “ हमारे व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयास विश्व पटल पर भारत को ऊंचे स्थान पर पहुंचाएंगे।”

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अपडेटेड 22:25 IST, September 2nd 2024