Published 22:52 IST, December 16th 2024
Chhattisgarh: CRPF शिविरों में स्थानीय निवासियों की जरूरतों को ध्यान रखा जाए, बोले अमित शाह
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के जंगल में स्थित गुंडम पहले भाकपा (माओवादी) का प्रशिक्षण केंद्र था, जो अब सीआरपीएफ का एक शिविर बन गया है और नक्सल रोधी अभियानों का केंद्र भी है।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के जंगल में स्थित गुंडम पहले भाकपा (माओवादी) का प्रशिक्षण केंद्र था, जो अब सीआरपीएफ का एक शिविर बन गया है और नक्सल रोधी अभियानों का केंद्र भी है। महीनों के संघर्ष के बाद इस गांव को नक्सलियों से मुक्त कराने के बाद फरवरी में यहां केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का एक शिविर स्थापित किया गया था।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शिविर का दौरा करने के दौरान सुरक्षाकर्मियों से बातचीत की और उनके साथ दोपहर का भोजन किया। उन्होंने उनसे यह भी कहा कि उन्हें नक्सलियों के साथ सख्ती से पेश आना होगा, लेकिन स्थानीय आबादी की जरूरतों पर भी विचार करना होगा।
शाह ने कहा…
शाह ने कहा, ‘‘यदि आप नक्सलियों का सामना करते हैं, तो उनका डटकर मुकाबला करें, लेकिन सुनिश्चित करें कि आपकी कार्रवाई से कोई नागरिक नाराज न हो।’’
गृह मंत्री ने कहा कि किसी भी शिविर में आने वाले किसी भी स्थानीय व्यक्ति की चिकित्सा देखभाल, या मुफ्त भोजन, या उनके बच्चों की शिक्षा जैसी मदद की जानी चाहिए। उन्होंने जवानों से कहा, 'आपको स्थानीय लोगों से दोस्ती करनी होगी, उनका भरोसा और दिल जीतना होगा।'
पिछले पांच वर्षों में सुरक्षा बलों ने देश के अलग-अलग हिस्सों में नक्सल प्रभावित इलाकों में 289 नये शिविर खोले हैं। इस साल अकेले बीजापुर में चार शिविर खोले गए। गुंडम के अलावा, इस साल अब तक तीन अन्य शिविर-चुटुवाही, कुंदापल्ली और बाटेबाबू में स्थापित किए गए हैं। इन शिविरों की स्थापना इन इलाकों को नक्सलियों से मुक्त कराने के बाद की गई है।
निकटवर्ती सुकमा जिले में, सुरक्षा बलों ने टेकलगुडियम, गुलाकुंडा और खूंखार माओवादी नेता हिडिम्बा के पैतृक गांव पुबर्टी में शिविर खोले हैं। सीआरपीएफ के कमांडेंट अमित कुमार ने कहा, 'यह सब सरकार द्वारा सुरक्षा बलों को उपलब्ध कराए गए उच्च तकनीक वाले हथियारों और उपकरणों की वजह से संभव हो पाया है।'
निगरानी ड्रोन और स्नाइपर राइफल जैसे उन्नत हथियारों के अलावा, सुरक्षा बलों को पहियेदार बख्तरबंद प्लेटफॉर्म, बारूदी सुरंग रोधी वाहन और उन्नत एंबुलेंस भी मुहैया कराई गई हैं। एक पहियेदार बख्तरबंद प्लेटफॉर्म पर स्वचालित मशीन गन के साथ 12 सशस्त्र कर्मी सवार हो सकते हैं। यह मशीन 100 किलोग्राम के आईईडी के विस्फोट के प्रभाव को झेल सकती है, जबकि बारूदी सुरंग रोधी वाहन 50 किलोग्राम के आईईडी के विस्फोट के प्रभाव को झेल सकता है।
सुरक्षा शिविरों की स्थापना के साथ ही सरकार ने सड़कें, स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) दुकानें भी बनवाई हैं। शाह ने कहा कि अविभाजित बस्तर जिले में, जो भौगोलिक दृष्टि से केरल से 1.4 गुना बड़ा है, 1980 के दशक में केवल 187 कर्मचारी थे, जिसके कारण लोगों तक लगभग कोई विकास नहीं पहुंच पाया।
उन्होंने कहा कि अब, जिले को सात जिलों में विभाजित कर दिया गया है और सरकारी योजनाओं की देखरेख के लिए 32,000 सरकारी कर्मचारियों की तैनाती की गई है। गुंडम के मूल निवासी सोमेश पुनेम ने कहा कि शिविर के पास पीडीएस की दुकान खुलने के बाद अब ग्रामीणों को उनके दरवाजे पर मुफ्त चावल, नमक, चना और गुड़ मिल रहा है।
पुनेम ने कहा, ‘पहले हम राशन के लिए 12 किलोमीटर दूर तरेम जाते थे। अब हमारे घर में बिजली का कनेक्शन भी है।’ एक अन्य ग्रामीण मरकम दरे ने कहा कि उसे आधार कार्ड मिल गया है, बैंक खाता खुल गया है और सरकार से नकद हस्तांतरण मिल रहा है। उसने कहा, 'स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ने हमारी बहुत मदद की है।'
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में देश भर में हताहत होने वाले सुरक्षा बलों की संख्या में भारी कमी आई है। आंकड़ों के मुताबिक, 2004 से 2014 के बीच नक्सली हिंसा की 16,463 घटनाएं हुईं। इसके अनुसार, 2014 से 2024 के बीच की अवधि में यह संख्या घटकर 7,744 रह गई। इसी तरह हिंसक घटनाओं में जान गंवाने वाले जवानों की संख्या में भी काफी कमी आई है।
आंकड़ों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से पिछले एक साल में 287 नक्सली मारे गए, 992 गिरफ्तार किए गए और 831 अन्य को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया गया।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Updated 22:52 IST, December 16th 2024