Published 19:09 IST, July 20th 2024
छत्रपति शिवाजी का 'वाघनख' कैसे पहुंचा लंदन? इसी हथियार से चीर दिया था अफजल खान का सीना
'वाघनख' इसका मतलब है बाघ का नाखून दरअसल ये एक लोहे के खंजर जैसा हथियार होता है जो हाथ की अंगुलियों में फिट बैठता है और हथेली के नीचे छिप जाता है।
छत्रपति शिवाजी का 'वाघनख' बुधवार (17 जुलाई) को लंदन से महाराष्ट्र लाया गया है। शिवाजी का ये 'वाघनख' ब्रिटेन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम में संरक्षित था अब इस 'वाघनख' को महाराष्ट्र के सतारा जिले में छत्रपति शिवाजी संग्रहालय में प्रदर्शनी के लिए रखा गया है। इस हथियार के नाम का अर्थ क्या है ये इसके नाम से ही स्पष्ट हो जाता है 'वाघनख' इसका मतलब है बाघ का नाखून दरअसल ये एक लोहे के खंजर जैसा हथियार होता है जो हाथ की अंगुलियों में फिट बैठता है और हथेली के नीचे छिप जाता है। जब इससे किसी पर वार किया जाता है तो ये बिलकुल बाघ के पंजे की तरह से काम करता है।
इसी 'वाघनख' से वीर शिवाजी ने अफजल खान को मौत के घाट उतारा था। दरअसल छत्रपति शिवाजी के पिता शाहजी राजे भोंसले बीजापुर सल्तनत के लिए काम किया करते थे अफजल खान से किसी बात की अनबन पर उन्हें लोहे की जंजीरों में जकड़ कर बीजापुर लाया गया। इतना ही नहीं शिवाजी के भाई शाहजी राजे भोंसले की हत्या में भी अफजल खान की साजिश थी। इसके बाद जब शिवाजी गद्दी पर बैठे तो बीजापुर में अपनी गतिविधियों से बड़ी बेगम का ध्यान खींचा इससे वो घबरा गईं और ऐलान कर दिया कि कोई ऐसा शख्स दरबार में है जो शिवाजी को बंदी बनाएगा। डेनिस किनकेड की किताब 'शिवाजी द ग्रैंड रेबेल' लिखा है, बड़ी बेगम की इस बात के बाद अफजल खान ने ऐलान कर दिया कि वह शिवाजी को चूहे की तरफ पिंजरे में बांधकर बीजापुर लाएगा।
अफजल खान कौन था ?
इतिहासकार जदुनाथ सरकार की किताब 'शिवाजी एंड हिज टाइम्स' में इस बात का जिक्र किया गया है कि जब नवाब मोहम्मद आदिल शाह की मौत हो गई थी तब बीजापुर में गद्दी के लिए हुए संघर्ष में अफजल खान एक बड़ा नाम बन कर उभरा। अफजल खान का असली नाम अब्दुल्ला भटारी था वो लगभग सात फुट लंबा और बहुत ही विशाल कद काठी का था। वो नवाब आदिल शाह और बड़ी रानी का दाहिना हाथ था। औरंगजेब ने जब 1656 में बीजापुर पर हमला किया था तब उसने बहुत बहादुरी से मुगल सेना का मुकाबला किया था।
शिवाजी ने वाघनख से चीर दिया था अफजल खान का सीना
अफजल खान ने छत्रपति शिवाजी को पकड़ने के लिए दोस्ती का बहाना किया, जब शिवाजी को अफजल खान की इस साजिश का पता चला तो उन्होंने भी सफेद वस्त्र धारण किया उसके नीचे लोहे का कवच और सिर पर टोपी के नीचे लोहे की टोपी पहनी। इस दौरान उन्होंने बाएं हाथ में 'वाघनख' और दाएं हाथ में बिछुआ पहना। इसके बाद जब शिवाजी अफजल से गले मिलने पहुंचे तो अफजल ने उन्हें अपनी भुजाओं में जकड़ लिया, जैसे ही इस बात का आभास शिवाजी को हुआ उन्होंने बाएं हाथ में पहले 'वाघनख' से अफजल के पेट में वार किया। जब तक वो समझ पाता कि उसके साथ क्या हुआ तब तक शिवाजी उसका काम तमाम कर चुके थे। इसी समय उसके अंगरक्षक उसे पालकी में लेकर बाहर भागने लगे तभी शिवाजी के सैनिकों ने पालकी से निकालकर उसका गला काट दिया। इस तरह से शिवाजी ने अपने भाई की हत्या और पिता के अपमान का बदला भी ले लिया था।
'वाघनख' कैसे पहुंचा लंदन?
छत्रपति शिवाजी का 'वाघनख' आखिर लंदन कैसे पहुंचा? इस बात के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक एक अंग्रेजअधिकारी जेम्स ग्रांट डफ के जरिये ये 'वाघनख' लंदन पहुंचा। डफ ईस्ट इंडिया कंपनी में अधिकारी थे और अंग्रेजी हुकूमत के दौरान सतारा जिले में ईस्ट इंडिया कंपनी के एजेंट हुआ करते थे। हालांकि अभी तक इस बात की पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है कि जेम्स ग्रांट डफ के पास शिवाजी का वो 'वाघनख' कैसे पहुंचा? कुछ प्राचीन इतिहासकारों का इस बारे में मत है कि मराठों के अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय जब तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध में हारे तो 1818 में अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। ऐसा हो सकता है कि इसी दौरान उन्होंने वाघनख डफ को सौंप दिया हो। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस 'वाघनख' को खुद पेशवा प्रधानमंत्री ने अंग्रेजों को दे दिया था। हालांकि बाद में डफ के परिजनों ने इस 'वाघनख' को लंदन म्यूजियम में उपहार के तौर पर भेंज कर दिया था।
Updated 16:38 IST, July 23rd 2024