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Published 23:48 IST, January 4th 2024

मूंगफली के भाव स्थिर, बाकी तेल-तिलहन में सुधार

विदेशों में मिले-जुले रुख के बीच देश के तेल-तिलहन बाजारों में बृहस्पतिवार को मूंगफली तेल-तिलहन के अपरिवर्तित रुख को छोड़कर अन्य तेलों के भाव मजबूत रहे।

Edited by: Nidhi Mudgill
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मूंगफली | Image: pixabay
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विदेशों में मिले-जुले रुख के बीच देश के तेल-तिलहन बाजारों में बृहस्पतिवार को मूंगफली तेल-तिलहन के अपरिवर्तित रुख को छोड़कर अन्य तेलों के भाव मजबूत रहे। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेल-तिलहनों की मजबूती भाव ऊंचा बोले जाने की वजह से है और अगर सही मायने में देखें तो बाजार में मांग ही नहीं है। फिर भी भाव ऊंचा बोले जाने की वजह से कल के मुकाबले अधिकांश खाद्य तेलों में आज सुधार है। 

मूंगफली तेल-तिलहन के भाव ऊंचा होने की वजह से लिवाली कम है जबकि सस्ते आयातित तेलों के दबाव में किसानों द्वारा नीचे भाव पर बिकवाली करने से बचने के कारण बाकी खाद्य तेल- तिलहनों में सुधार है। सूत्रों ने कहा कि आयातित सस्ते सूरजमुखी तेल का थोक भाव (80 रुपये किलो) और सोयाबीन तेल का थोक भाव (83 रुपये किलो) के मौजूद रहते कोई देशी सूरजमुखी (थोक भाव 155-160 रुपये किलो), मूंगफली (थोक भाव लगभग 165 रुपये किलो), सरसों (थोक भाव 125-130 रुपये किलो) खरीदने की हिम्मत क्यों जुटायेगा? इन सस्ते आयातित तेलों की वजह से देश में देशी तिलहन पेराई मिलें कुछ स्थानों पर अपनी मिलों के बिजली के ‘कनेक्शन’ कटवाने लगी हैं ताकि एक न्यूनतम वाणिजयिक बिजली शुल्क अदायगी का बोझ उनपर से हट जाये। यह स्थिति देशी तेल पेराई मिलों की स्थिति बताने के लिए पर्याप्त है।

उन्होंने कहा कि बाजार का ‘राजा तेल’ सूरजमुखी जब 900 डॉलर प्रति टन (80 रुपये प्रति किलो) के भाव देश में उपलब्ध हो तो उसके सामने आयातित सोयाबीन, पामोलीन जैसे तेल भी नहीं टिक पा रहे हैं। इन सस्ते आयातित तेलों के सामने देशी सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी, बिनौला, सोयाबीन तेल तो अधिक लागत की वजह से पहले ही बेहाल हैं।

पिछले साल का स्टॉक बचा रहने के बाद अब जो सरसों के बेहतर उत्पादन होने की उम्मीद की जा रही है, ऐसे में सरसों तो तभी खपेगा जब वह आयातित तेलों से 10-15 रुपये किलो सस्ता होगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में हर साल की वृद्धि और पानी से लेकर बिजली, खाद, बीज की लागत की निरंतर वृद्धि के बाद सरसों को सिर्फ घाटे में बेचकर ही अब बाजार में खपाया जा सकता है। 

इस स्थिति के बारे में किसी ने भी आज तक प्रश्न नहीं किया या सरकार को सही जानकारी नहीं दी कि जब तिलहन का एमएसपी हर साल बढ़ाया जाता है तो खाद्य तेलों के दाम को बांधकर नहीं रखा जाना चाहिये। किसानों को दाम अच्छा मिलने पर उत्पादन भी बढ़ेगा। खाद्य तेलों के दाम की बेतहाशा वृद्धि पर राशन की दुकानों से वितरण करके अंकुश लगाने का हरियाणा सरकार के एक अच्छे प्रयोग से सीख ली जा सकती है। इस प्रयोग के जरिये देशी तेल मिलें भी चलीं, किसानों की उपज भी बाजार में खपे, राशन की दुकानों के वितरण के रास्ते से उपभोक्ताओं को शुद्ध और सस्ता तेल मिलना संभव हुआ।

शिकॉगो एक्सचेंज में गिरावट चल रही है। जबकि मलेशिया एक्सचेंज में मामूली सुधार है। बृहस्पतिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: 

सरसों तिलहन - 5,315-5,365 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,690-6,765 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,750 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,350-2,625 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 9,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,665 -1,760 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,665 -1,765 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 7,850 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 7,700 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,125 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 8,850 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,100 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,900-4,950 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,730-4,770 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल।

Updated 23:48 IST, January 4th 2024