पब्लिश्ड 18:39 IST, December 31st 2024
भोपाल गैस त्रासदी का जहरीला कचरा पीथमपुर में नष्ट करने को लेकर मचा बवाल, लोगों ने की US भेजने की मांग
भोपाल गैस त्रासदी का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा पीथमपुर में नष्ट किया जा रहा है। इसे लेकर वहां के लोगों में आक्रोश है, उनका कहना है कि ये कचरा अमेरिका भेजा जाए।
(सत्य विजय सिंह)
भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल हो चुके हैं। मगर आप लोगों को जानकर बड़ी हैरानी होगी कि यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के गोदाम में रखा 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा अब जाकर हटाया जा रहा है। कचरा हटाने के लिए सरकार 126 करोड़ खर्च कर रही है। अब ये कचरा भोपाल से कहां ले जाया जाएगा? कैसे खत्म होगा? क्या वहां भी आम लोग इसका विरोध कर रहे हैं? इन सभी सवालों का जवाब इस आर्टिकल में हैं।
भोपाल गैस त्रासदी को भला कौन भूल सकता है। 2 और 3 दिसंबर 1984 की वो जहरीली रात, जिसने 20 हजार से ज्यादा लोगों की जान ली, 5 लाख लोगों को प्रभावित किया। आज भी गैस पीड़ित संगठन इसकी लड़ाई सरकार से लड़ रहे हैं। मगर अब 40 वर्षों के बाद ही ये कचरा हटाया जा रहा है।
12 कंटेनर में एक साथ जहरीला कचरा ले जाया जा रहा
12 कंटेनर में एक साथ 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा पीथमपुर ले जाया जा रहा है। इसके लिए 250Km लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है, कचरे को जंबू बैग में भरने का काम सोमवार को पूरा हो गया। इन बैग्स को कंटेनर में लोड करना भी शुरू कर दिया गया। 1 कंटेनर में एवरेज 30 टन कचरा भरा जा रहा है। 200 से ज्यादा मजदूर कचरा भरने में जुटे हैं, लेकिन उनकी 8 घंटे की बजाय 30 मिनट की शिफ्ट लगाई गई है।
कचरा उठाने वाले मजदूरों के लिए खास व्यवस्था
सुरक्षा के लिए सभी मजदूरों की जेब में ब्लड प्रेशर मॉनिटर रखा गया है। हर मजदूर पीपीई किट और दस्ताने पहनकर कचरा भर रहा है। सरकार इस जहरीले कचरे को हटाने के लिए 126 करोड़ रू खर्च कर रही है। कचरा हटाने का आदेश जबलपुर हाई कोर्ट ने सरकार को दिया है।
पीथमपुर में कचरा जलाने को लेकर हो रहा विरोध
इधर, कचरे को पीथमपुर में जलाने को लेकर विरोध प्रदर्शन भी हो रहा है। ज्ञापन भी कई बार दिए जा चुके हैं। यहां के कई लोग दिल्ली के जंतर-मंतर में प्रदर्शन करेंगे। कांग्रेस भी प्रदर्शन कर चुकी है। कचरा जलाने के विरोध में 10 से ज्यादा संगठनों ने 3 जनवरी को पीथमपुर बंद का आह्वान किया है। पीथमपुर क्षेत्र रक्षा मंच, पीथमपुर ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति, मप्र किसान सभा सहित कई संगठनों का कहना है, भोपाल का कचरा अमेरिका भेजा जाए। कचरा जलाने से यहां के लोग बीमार पड़ सकते हैं। इसका असर तुरंत तो नहीं मगर धीरे-धीरे जरूर होगा। वहीं पीथमपुर बचाओ समिति 2 जनवरी को दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की तैयारी में है।
वही भोपाल में लंबे वक्त से गैस पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वाली रचना ढींगरा का कहना है कि ये असल कचरे का एक प्रतिशत भी नहीं है। यहां तो 1.2 मिलियन टन कचरा है। अभी सरकार सिर्फ वही कचरा उठा रही है, जो पहले बोरियों में पैक किया गया था। यहां का पानी दूषित हो चुका है। दूसरी बात ये है की गैस त्रासदी भी हमने झेली, मुआवजा भी हमने दिया और अब आम लोगों के ही टैक्स के पैसे से 126 करोड़ कचरा हटाने के लिए खर्च हो रहे हैं। डॉव कैमिकल और यूनियन कार्बाइड इस कचरे को अपने देश लेकर जाएं। इससे पहले तमिलनाडु में ऐसा हो चुका है। क्योंकि ये 300 मेट्रिक टन कचरा जलने के बाद 900 मेट्रिक टन में तब्दील होगा।
वहीं इंदौर के महात्मा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल एल्युमिनी एसोसिएशन ने पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा जलाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। एसोसिएशन के सदस्य डॉ. संजय लोंढ़े व अन्य सदस्यों द्वारा लगाई गई इस याचिका में बिना ट्रायल और रिसर्च के कचरा निपटान पर सवाल उठाए हैं। स्थानीय नागरिकों ने भी इसका विरोध किया है।
इस मामले में सियासत भी हो रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी का कहना है कि ‘इसका कोई दूसरा विकल्प देखना होगा। कोर्ट का आदेश है मगर कोर्ट ऐसा तो नहीं कहेगा कि दूसरे के घर में कचरा जलाओ। सरकार को इस पर फिर से विचार करना चाहिए।’ 40 वर्ष गुजर जाने के बाद आज भी भोपाल के लोग परेशान हैं। वो नहीं चाहते कि कोई और शहर इस दर्द को झेले। यही कारण है कि MP के पीथमपुर में इस जहरीले कचरे के जलने से लोगों की जिंदगी बर्बाद ना हो इसे लेकर सरकार कोई और विकल्प तलाश करें।
यूनियन कार्बाइड परिसर के टॉक्सिक बेस्ट को डिस्पोज करने पर गैस राहत एवम् पुनर्वास संचनालय के डायरेक्टर स्वतंत्र प्रताप सिंह ने कहा कि यूनियन कार्बाइड परिसर में 337 मेट्रिक टन टॉक्सिक बेस्ट पड़ा हुआ है। उसके संबंध में 3 दिसंबर 2024 को हाईकोर्ट जबलपुर ने ऑर्डर के तारतम में आज की डेट में कार्रवाई चल रही है। उसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि 337 मेट्रिक टन जो कचरा है, 4 हफ्ते अंदर में पीथमपुर में निष्पादन किया जाए, जहां 2015 में 10 टन कचरा निष्पादन किया गया था। उसकी जो रिपोर्ट आई है फेयरवेल रही है। कोई भी पर्यावरण को नुकसानदायक नहीं रहा है। जो वेस्ट पड़ा हुआ है उसे प्रॉपर पैकिंग करके सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और मध्य प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों के सुपरविजन में प्रॉपर सेफ्टी गाइडलाइन पालन करते हुए इसका निष्पादन पीतमपुर में किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में मैं आपको बताना चाहूंगा कि यूनियन कार्बाइड परिसर हमारे टीम के लोग और हैंडलर हैं जो PPE किट पहनकर पूरी सेफ्टी के साथ उसकी पैकिंग की कार्रवाई कर रहे हैं। पूरी सिक्योरिटी प्रोटेक्ट प्रोटोकॉल का काम किया जा रहा है, जिससे कोई व्यवधान उत्पन्न ना हो अंदर हमारे सारे अधिकारी हैं। पैकिंग के बाद स्टेकिंग और लोडिंग की कार्रवाई और फिर कंटेनर को एयर टाइट करना ये कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है। आज रात या फिर कल रात तक हम तक हम कोशिश करेंगे पूरे कंटेनर में डालकर पीतमपुर की साइड तक पहुंचाएं और इंश्योरेंस को लेकर मेरी सीनियर पुलिस ऑफिसर से बात हुई है कि हाईएस्ट सिक्योरिटी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए इसे ट्रांसपोर्ट किया जाए।
9 महीनों में पूरे टॉक्सिक बेस्ट इंश्योरेंस को डिस्पोज कर सकते
डायरेक्टर स्वतंत्र प्रताप सिंह ने आगे कहा, "इंश्योरेंस की कार्रवाई की जाएगी। वह अभी पूरी मॉनिटरिंग की जाएगी। इस सब की रिपोर्ट हम हाई कोर्ट में भी प्रस्तुत करेंगे। सब कुछ सही रहा तो हम तीन से साढ़े तीन महीनों में टॉक्सिक बेस्ट को डिस्पोज कर देंगे और ज्यादा एनालिसिस और टॉक्सिक बेस्ट में फीड रेट कम आता है, तो मैक्सिम 9 महीनों में पूरे के पूरे टॉक्सिक बेस्ट इंश्योरेंस करते हुए डिस्पोज करने में कामयाब होंगे।"
जमीन के अंदर जो टॉक्सिक बेस्ट उसको भी डिस्पोज किया जाएगा! इसे लेकर उन्होंने कहा कि अभी जो हमें आदेश प्राप्त हुआ है, वह 337 मेट्रिक टन का है। यह कोर्ट का प्रकरण बहुत सालों चल रहा था। 20 साल से ज्यादा चल रहा था यह केस। आगे कोई आदेश हायर अथॉरिटी और कोर्ट से तो हम तत्काल कार्रवाई करेंगे।
पीथमपुर के लोगों द्वारा जहरीला कचड़ा निष्पादन का विरोध करने और चिंता जाहिर करने पर कहा कि पहले तो मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि यह कोई ऐसा जहरीला कचरा नहीं है जिससे कोई चिंता होनी चाहिए। दो-तीन दिसंबर की रात को जो घटना घटित हुई थी 1984 जो मिथाइल आइसोसायनाइड गैस के लीक होने से हुई थी। मिथाइल आइसोसायनाइड गैस इस पेस्टिसाइड के निर्माण के लिए यूज होते हैं। यह ऐज पर पेस्टिसाइड का रेसिड्यूल मटेरियल है जिसकी सेल्फ लाइफ भी होती है। मैं आपके माध्यम सबको बताना चाहता हूं पेस्टिसाइड कई जगह पर खेतों में भी उपयोग होता है। विभिन्न पर्पस के लिए भी उपयोग होता है। इसकी मारक क्षमता उतनी नहीं है, जितना वहां के लोग सोच रहे हैं, मैं सबको बताना चाहता हूं की पूरी प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है।
गैस राहत संगठन और एक्टिविस्ट के आरोपों पर डायरेक्टर स्वतंत्र प्रताप सिंह ने कहा, "पूरी कार्रवाई कोर्ट के आदेशों पर की जा रही है। 20 साल से मामला कोर्ट के अधीन है, जिसको भी कोई तथ्य रखने से कोर्ट के सामने रखना चाहिए। अब कोर्ट ने फैसला दे दिया है। हम उसके अनुरूप काम कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यदि कोई अब इसपर सवाल उठा रहा है, तो वह कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहा है। हमारे काम में रुकावट कोई डालेगा तो हम रिपोर्ट भी कर सकते है।"
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अपडेटेड 18:39 IST, December 31st 2024