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पब्लिश्ड 13:32 IST, January 17th 2024

Ramlala Idol: आंखों में चुभा नुकीला पत्थर फिर भी नहीं रुके अरुण योगीराज, गढ़ डाली रामलला की प्रतिमा

Ram Mandir: आंखों में पत्थर चुभा, सर्जरी कराई फिर भी योगीराज ने राम लला की मूर्ति गढ़ना नहीं छोड़ा। छेनी और हथौड़े से ऐसा अलौकिक रूप गढ़ा जिसकी चर्चा हर ओर है।

Reported by: Kiran Rai
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ram lala idol creator sculptor arun yogiraj
अरुण योगीराज | Image: arun yogiraj/x

Ramlala Idol Creator: अरुण योगीराज अब किसी पहचान के मोहताज नहीं है। उनके हुनर की हर ओर चर्चा है। जिस मूरत को उन्होंने तराशा वो राम मंदिर में स्थापित होगी। परिवार खुश है, पत्नी इमोशनल भी जिन्होंने पति को मूर्ति गढ़ते देखा अनथक!

खबर में आगे पढ़ें-

  • पत्नी विजेयता ने बताई किन दुश्वारियों से गुजरे योगीराज!
  • ऐसे भी दिन आए जब परिवार से बात तक नहीं की
  • रामलला की मूर्ति कैसी?


परिवार खुश कि दायित्व निभाया

कर्नाटक में मैसुरु के मूर्तिकार का परिवार खुशी से झूम रहा है क्योंकि अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट ने उनके द्वारा बनाई गए 'रामलला' की मूर्ति को राम मंदिर में स्थापना के लिए चुना है। योगीराज की पत्नी विजेयता ने कहा कि वह इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं। उन्होंने एक किस्सा भी साझा किया जिसमें बताया गया कि कैसे मूर्ति बनाते समय योगीराज की आंख में चोट लग गई थी। "मैं बहुत खुश हूं। हमें यह नेक काम करने का दायित्व सौंपा गया है।"

आंखों में लगी चोट फिर भी...

विजेयता ने कहा,'जब यह कार्य (योगीराज को) दिया गया तो हमें पता चला कि इसके लिए उचित पत्थर मैसूरु के पास उपलब्ध है। हालांकि, वह पत्थर बहुत सख्त था। इसकी नुकीली परत उनकी आंख में चुभ गई और उसे ऑपरेशन के जरिए निकाला गया। दर्द के दौरान भी वह नहीं रुके और काम करते रहे। उनका काम इतना अच्छा था कि हर कोई प्रभावित हुआ। हम सभी को धन्यवाद देते हैं।'

परिवार को भी नहीं दिया समय

योगीराज अपने काम में इतने तल्लीन थे कि उन्होंने परिवार को ज्यादा समय भी नहीं दिया। विजयेता ने बताया-,'वो (योगीराज) कई रात सोए नहीं और रामलला की मूर्ति बनाने में तल्लीन रहे। ऐसे भी दिन थे जब हम मुश्किल से बात करते थे और वह परिवार को भी मुश्किल से समय देते थे। अब ट्रस्ट की सूचना से सारी मेहनत की भरपाई हो गई है।'

पिता से सीखी मूर्तिकला

योगीराज के भाई सूर्यप्रकाश ने कहा कि यह परिवार के लिए एक यादगार दिन है। उन्होंने कहा, "योगीराज ने इतिहास रचा है और वह इसके हकदार थे। यह उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण है जो उन्हें इतनी ऊंचाइयों तक ले गया।" सूर्यप्रकाश ने कहा कि योगीराज ने मूर्तिकला की बारीकियां अपने पिता से सीखीं। वह बचपन से इसे लेकर उत्सुक थे।

मां की खुशी का ठिकाना नहीं

योगीराज की माता सरस्वती ने संवाददाताओं से कहा कि यह बहुत ही हर्ष की बात है कि उनके बेटे द्वारा निर्मित मूर्ति का चयन किया गया है। उन्होंने 'पीटीआई से कहा,'जब से हमें यह खबर मिली है कि अरुण द्वारा बनाई गई मूर्ति का चयन (स्थापना के लिए) किया गया है, हम बहुत खुश हैं। हमारा पूरा परिवार प्रसन्न है।'

गर्भगृह में होगी मूर्ति स्थापित

मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को अयोध्या में घोषणा की थी कि नई मूर्ति में भगवान राम को पांच साल के बच्चे के रूप में खड़ी मुद्रा में दर्शाया गया है और कहा कि इसे 18 जनवरी को 'गर्भगृह' में 'आसन' पर विराजमान किया जाएगा। रामलला की मूर्ति चुने जाने की सूचना जैसे ही बहार आई पड़ोसियों और कुछ नेताओं ने योगीराज के परिवार से मुलाकात की और उनके बेटे की प्रशंसा के रूप में सरस्वती को माला भेंट की।

मंझे हुए मूर्तिकार योगीराज

योगीराज ने ही केदारनाथ में स्थापित आदि शंकराचार्य की मूर्ति और दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थापित की गई सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा बनाई है। योगीराज ने रामलला की नई मूर्ति बनाने में आई चुनौतियों के बारे में बताया। कहा, ‘‘मूर्ति एक बच्चे की बनानी थी, जो दिव्य हो, क्योंकि यह भगवान के अवतार की मूर्ति है। जो भी कोई मूर्ति को देखें उसे दिव्यता का एहसास होना चाहिए।’’

प्रख्यात मूर्तिकार ने कहा,'बच्चे जैसे चेहरे के साथ-साथ दिव्य पहलू को ध्यान में रखते हुए मैंने लगभग छह से सात महीने पहले अपना काम शुरू किया था। मूर्ति के चयन से ज्यादा मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है कि ये लोगों को पसंद आनी चाहिए । सच्ची खुशी मुझे तब होगी जब लोग इसकी सराहना करेंगे।'

(पीटीआई इनपुट के साथ)

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अपडेटेड 14:15 IST, January 17th 2024