Published 19:04 IST, December 13th 2024
Atul Subhash: सुसाइड के बाद भी तारीख-पे-तारीख...बेटे के पोषण के लिए मांगी थी इतनी रकम, अब क्या होगा?
अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद उनके खिलाफ चल रहे मामलों में कोर्ट की सुनवाई रुकने का नाम नहीं ले रही है। जानें अतुल के खिलाफ चल रहे मामलों का स्टेटस रिपोर्ट।
अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद उनके खिलाफ चल रहे मामलों में कोर्ट की सुनवाई रुकने का नाम नहीं ले रही है। अतुल सुभाष पर जौनपुर जिला सत्र न्यायालय में सिर्फ 3 केस एक्टिंव हैं। वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट में अतुल से जुड़े मामले लंबित हैं। दिसंबर में आनेवाली 16 तारीख को एक मामले की सुनवाई होनी थी।
वहीं दूसरी तरफ अतुल के आरोपों के आधार पर मामले में FIR दर्ज की जा चुकी है। हालांकि, अबतक एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। बेंगलुरु पुलिस निकिता सिंहानिया की तलाश में जौनपुर पहुंची, लेकिन वो वहां नहीं मिली। ऐसे में पुलिस ने उनके घर पर नोटिस चस्पा कर दिया है।
अतुल के खिलाफ कोर्ट में लंबित केस का स्टेटस रिपोर्ट
पहला-
एसीजीएम जौनपुर की कोर्ट में निकिता सिंघानिया की तरफ से अतुल सुभाष और उसके परिवार पर जौनपुर कोतवाली में दर्ज कराए गए केस 115/2022 जिसमें दहेज के लिए प्रताड़ित करने, मारपीट और दहेज प्रथा अधिनियम के केस की सुनवाई चल रही है।
दूसरा मामला-
जौनपुर के अपर सिविल जज फर्स्ट की अदालत में निरस्त हो चुके घरेलू हिंसा अधिनियम के वाद को दोबारा दर्ज कराया गया और जिसकी सुनवाई 24 जनवरी 2025 को होनी है।
तीसरा केस-
सीजेएम जौनपुर की कोर्ट में निकिता की तरफ से अतुल सुभाष पर भरण पोषण अधिनियम के तहत दर्ज करवाया मुकदमा जिसमें बीती 29 जुलाई 2024 को कोर्ट ने बेटे व्योम के भरण पोषण के लिए 40,000 के गुजारा भत्ता निर्धारित कर दिया था। इसी गुजारा भत्ता की वसूली के लिए बेटे व्योम की तरफ से रिकवरी के लिए दाखिल किया गया है, जिस पर 16 दिसंबर को सुनवाई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दहेज का मामला लंबित
इन तीन केस के अलावा अतुल सुभाष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दहेज प्रथा अधिनियम के दर्ज केस के जूरिडिक्शन को चैलेंज करते हुए याचिका डाली है, जिसमें अतुल सुभाष ने याचिका में कहा है कि निकिता के साथ मारपीट या दहेज की मांग की घटना बेंगलुरु में हुई है, लिहाजा जौनपुर में इस केस का जूरिडिक्शन नहीं बनता है।
हाई कोर्ट में भरण पोषण के लिए निकिता सिंघानिया ने एक याचिका डाली है। लोअर कोर्ट ने सिर्फ बेटे के भरण पोषण को निर्धारित किया था लेकिन निकिता ने यह कहते हुए अपने भरण पोषण के लिए हाईकोर्ट में याचिका डाली है कि उसके पास आय का कोई साधन नहीं है, जबकि अतुल सुभाष ने दावा किया था कि निकिता दिल्ली में एक कंपनी में जॉब करती है।
इसके साथ ही निकिता की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में उसके केस की जल्द से जल्द सुनवाई कर निस्तारण के लिए भी याचिका डाली गई थी, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 6 महीने में केस के निस्तारण का आदेश दिया था। इस तरह जौनपुर की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अतुल सुभाष पर 3 केस न्यायालय में विचाराधीन है। वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक केस निकिता की तरफ से चल रहा है। वहीं अतुल सुभाष की तरफ से भी एक केस न्यायालय क्षेत्र के अधिकार को चैलेंज करते हुए लंबित है।
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Updated 19:04 IST, December 13th 2024