sb.scorecardresearch

Published 11:55 IST, August 31st 2024

असम में 'जुम्मा ब्रेक' बंद, भड़के AIMIM के नेता- 'एक ही समुदाय को अगर टारगेट करेंगे तो...'

AIMIM के नेता वारिस पठान ने असम की सरकार को एंटी मुस्लिम सरकार बताया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी और हिमंता बिस्वा सरमा मुस्लिमों के दुश्मन हैं।

Reported by: Digital Desk
Follow: Google News Icon
  • share
Waris Pathan and Assam CM Himanta Biswa Sarma
असम विधानसभा के फैसले पर वारिस पठान ने सवाल उठाए। | Image: Facebook

Assam Namaz Break: असम विधानसभा में अब मुस्लिम विधायकों को नमाज के लिए दो घंटे का ब्रेक नहीं मिलेगा। विधानसभा ने शुक्रवार (30 अगस्त, 2024) को ब्रिटिश काल के उस नियम को खत्म कर दिया, जिसके तहत मुस्लिम सदस्य शुक्रवार को नमाज अदा करने के लिए दो घंटे का ब्रेक ले सकते थे। नया आदेश अगले विधानसभा सत्र से लागू होगा। हालांकि असम विधानसभा के इस फैसले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। मुस्लिम समुदाय से आने वाले नेता इसका विरोध कर रहे हैं। इसी क्रम में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के नेता वारिस पठान ने सवाल उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी को घेरा है।

AIMIM के नेता वारिस पठान ने असम की सरकार को एंटी मुस्लिम सरकार बताया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी और हिमंता बिस्वा सरमा मुस्लिमों के दुश्मन हैं। हफ्ते में एक दिन नमाज को जाता है, उसमें भी इन्हें दिक्कत है। वारिस पठान ने कहा कि कभी खाने पीने से दिक्कत तो कभी नमाज से दिक्कत, ये मुद्दों से भटकाकर बांटने का काम करते हैं। एक ही समुदाय को अगर टारगेट करेंगे तो सबका साथ सबका विकास कैसे हुआ।

हिमंता बिस्वा सरमा का जवाब

हालांकि विरोधियों के आरोपों पर हिमंता बिस्वा सरमा भी अपना जवाब दे रहे हैं। हिमंता बिस्वा सरमा कहते हैं, 'विधानसभा के सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से इसका समाधान निकाला है। ये प्रथा 1937 में शुरू हुई थी और कल से इसे स्थगित कर दिया गया है। इस निर्णय में विशेष समुदाय के विधायक शामिल थे। ये फैसला सिर्फ मेरी तरफ से नहीं लिया गया, विधानसभा ने ये फैसला लिया है।'

असम में 'जुम्मा ब्रेक' पर रोक क्यों?

असम विधानसभा ने शुक्रवार को मुस्लिम विधायकों को जुम्मा के 'दो घंटे' का ब्रेक देने की प्रथा को बंद करने का फैसला किया। विधानसभा अध्यक्ष की अध्यक्षता वाली नियम समिति ने नियम में संशोधन करने का सर्वसम्मति से फैसला लिया, ताकि शुक्रवार को सदन की कार्यवाही अन्य दिनों की तरह ही संचालित हो सके। एक आधिकारिक बयान में कहा गया, 'आज इस औपनिवेशिक प्रथा को समाप्त करके इतिहास रचा गया है, जिसका उद्देश्य समाज को धार्मिक आधार पर विभाजित करना था।'

बयान के अनुसार, ये प्रथा 1937 में शुरू की गई थी और सदन शुक्रवार को सुबह 11 बजे दो घंटे के लिए स्थगित कर दिया जाता था, ताकि मुस्लिम विधायक नमाज अदा कर सकें और दोपहर के भोजन के बाद काम फिर से शुरू कर सकें। बयान में कहा गया है, 'अन्य सभी दिनों में सदन धार्मिक उद्देश्यों के लिए बिना किसी स्थगन के अपनी कार्यवाही संचालित करता था। विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने इस मामले पर ध्यान दिया और संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को देखते हुए प्रस्ताव दिया कि राज्य विधानसभा को बिना किसी स्थगन के किसी अन्य दिन की तरह शुक्रवार को अपनी कार्यवाही संचालित करनी चाहिए। इसके बाद विधानसभा की प्रक्रिया के नियमों में इस नियम को खत्म करने का प्रस्ताव नियम समिति के समक्ष रखा गया था।' नियम समिति ने सर्वसम्मति से इस नियम को हटाने पर सहमति व्यक्त की।

यह भी पढ़ें: पॉक्सो मामलों से जुड़ी विशेष अदालतों को मजबूत करें ममता: अन्नपूर्णा देवी

Updated 11:55 IST, August 31st 2024