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Published 23:42 IST, December 13th 2024

अल्लू अर्जुन बेल में हाईकोर्ट ने दिया अर्नब गोस्वामी मामले का उदाहरण, कहा-'न्याय और निष्पक्षता...'

तेलंगाना HC ने अल्लू अर्जुन को अंतरिम जमानत देते हुए कहा, "मैं अर्नब गोस्वामी मामले के बाद सीमित अवधि के लिए अंतरिम जमानत देने के लिए इच्छुक हूं।"

Reported by: Digital Desk
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अल्लू अर्जुन को बेल देते समय तेलंगाना HC ने अर्नब गोस्वामी के 2020 मामले का उदाहरण दिया। | Image: Republic Digital

तेलुगु एक्टर अल्लू अर्जुन को संध्या सिनेमा हॉल में भगदड़ के कारण महिला की मौत होने के मामले कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। 13 दिसंबर 2024 को एक्टर को गिरफ्तार कर उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। हालांकि, कुछ ही घंटे में उन्हें जमानत भी मिल गई। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी के एक मामले का जिक्र किया। तेलंगाना HC ने तेलुगु सुपरस्टार अल्लू अर्जुन को चार सप्ताह की राहत देते हुए कहा कि 'मैं अर्नब गोस्वामी मामले के बाद सीमित अवधि के लिए अंतरिम जमानत देने के लिए इच्छुक हूं'। तेलंगाना हाई कोर्ट ने अल्लू अर्जुन को जमानत देते हुए पुलिस की मंशा और 'निष्पक्षता' पर सवाल उठाया और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हवाला देते हुए अर्नब गोस्वामी को जमानत दी गई थी। 


अर्नब गोस्वामी के फैसले को पढ़ते हुए, अभिनेता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एस निरंजन रेड्डी ने कहा, "एक दिन के लिए भी स्वतंत्रता से वंचित करना बहुत ज्यादा है"। वरिष्ठ वकील एस निरंजन रेड्डी ने कहा, “अर्नब के मामले में, गिरफ्तारी के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया गया था। मैंने गिरफ्तारी से पहले अदालत का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जब कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है, तो अदालत अंतरिम जमानत दे सकती है।” बता दें, स्थानीय कोर्ट द्वारा अभिनेता को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के तुरंत बाद HC का आदेश आया। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच रिमांड के बाद उन्हें चंचलगुडा की जेल भेज दिया गया। उच्च न्यायालय ने अल्लू अर्जुन को जमानत देने का आदेश जेल ले जाते समय सुनाया। अदालत ने अभिनेता को अंतरिम जमानत देते हुए जांच में अधिकारियों के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया।

HC ने अर्नब गोस्वामी VS महाराष्ट्र का हवाला दे मामले पर कैसे रोक लगाई?

लगभग दो घंटे तक दलीलें सुनने के बाद, जस्टिस जुव्वाडी श्रीदेवी ने आदेश सुनाते हुए कहा, "मैं अर्नब गोस्वामी मामले के बाद, सीमित अवधि के लिए अंतरिम जमानत देने के लिए इच्छुक हूं। गिरफ्तारी के बाद जेल अधीक्षक को बांड दिया जाना चाहिए।"

अर्नब गोस्वामी के 2020 के केस का दिया हवाला

संदर्भ के लिए, HC ने अर्नब गोस्वामी के 2020 के मामले का हवाला देते हुए इस बात पर जोर दिया कि निष्पक्षता और न्याय के सिद्धांत सार्वभौमिक हैं। रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को 2020 में आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी।

तत्कालीन CJI चंद्रचूड़ ने क्या कहा था?

सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी की रिहाई के पीछे विस्तृत तर्क देते हुए कहा था कि "आपराधिक कानून नागरिकों के चुनिंदा उत्पीड़न का साधन नहीं बनना चाहिए"। तत्कालीन CJI डीवाई चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की बेंच ने जो फैसला सुनाया था, उसमें मशहूर टिप्पणी थी, "एक दिन के लिए भी स्वतंत्रता से वंचित करना बहुत ज्यादा दिन है।"

अर्नब गोस्वामी को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट के शब्द…

  • SC ने कहा था, "'A' 'B' को पैसे नहीं देता है, और क्या यह आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला है? अगर HC इस तरह के मामलों में कार्रवाई नहीं करता है, तो व्यक्तिगत स्वतंत्रता का पूर्ण विनाश होगा। हम इसके लिए बहुत चिंतित हैं। अगर हम इस तरह के मामलों में कार्रवाई नहीं करते हैं तो यह बहुत परेशान करने वाला होगा।"
  • जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था, ‘मान लीजिए कि FIR सच है और यह जांच का विषय है, लेकिन क्या पैसे न चुकाना आत्महत्या के लिए उकसाना है? अगर FIR लंबित रहने तक जमानत नहीं दी जाती है तो यह न्याय का मजाक होगा।’ बता दें, इस मामले में कपिल सिब्बल उस समय राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए याचिका पर सुनवाई कर रही जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था, "हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है। मुद्दा यह है कि सरकारों को उन्हें (टीवी पर ताने) नजरअंदाज करना चाहिए। यह वह आधार नहीं है जिस पर चुनाव लड़े जाते हैं। आप (महाराष्ट्र) सोचते हैं कि वे जो कहते हैं उससे चुनावों में कोई फर्क पड़ता है?"
  • न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा था, ‘उनकी विचारधारा जो भी हो, कम से कम मैं तो उनका चैनल भी नहीं देखता, लेकिन अगर इस मामले में संवैधानिक अदालतें आज हस्तक्षेप नहीं करतीं, तो निस्संदेह हम विनाश के रास्ते पर चल रहे हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि क्या आप इन आरोपों के आधार पर किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से इनकार कर सकते हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हमें आज उच्च न्यायालयों को भी संदेश देना चाहिए। कृपया व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करें।’
  • न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा था, "यदि राज्य सरकारें व्यक्तियों को निशाना बनाती हैं तो उन्हें यह समझना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है।"

जब तेलंगाना HC ने कहा 'अभिनेताओं को भी जीने का अधिकार है...'

सुनवाई के दौरान पीठ ने अंतरिम जमानत देने की अपनी इच्छा जाहिर करते हुए टिप्पणी की, "यह वास्तव में मुझे परेशान कर रहा है। सिर्फ इसलिए कि वह एक अभिनेता है, क्या उन्हें इस तरह रखा जा सकता है? इसमें कोई तत्व नहीं है... इस धरती पर, उसे जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार है। अभिनेता होने के आधार पर इसे नहीं छीना जा सकता।"

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Updated 23:42 IST, December 13th 2024