Published 17:47 IST, February 25th 2024
2 दिन पहले चप्पल से हुई थी पिटाई, अब डर के मारे एक घर में छुपकर बैठे शेख शाहजहां के सहयोगी TMC नेता
Sandeshkhali News: शेख शाहजहां के सहयोगी TMC नेता अजीत मैती ग्रामीणों से डरकर एक घर में छुपे बैठे हैं।
Sandeshkhali News: शेख शाहजहां के सहयोगी TMC नेता अजीत मैती ग्रामीणों से डरकर एक घर में छुपे बैठे हैं। आपको बता दें कि 2 दिन पहले संदेशखाली के ग्रामीणों ने उन्हें चप्पल से पीटा था।
मीडिया की मौजूदगी में हुई थी पिटाई
इससे पहले शुक्रवार को मीडिया कर्मियों की मौजूदगी में प्रदर्शनकारियों द्वारा बाड़ तोड़ने और तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता अजीत मैती पर शारीरिक हमला करने के दृश्य सामने आए थे। मैती पश्चिम मेदिनीपुर के पिंगला विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
घटना से जुड़े एक वीडियो में संदेशखाली के ग्रामीणों को TMC विधायक अजीत मैती के घर में तोड़फोड़ करते और उन्हें चप्पलों से पीटते हुए देखा गया था। आपको बता दें कि अब बरमाजुर इलाके में ही मैती एक घर में छुपकर बैठे हैं।
पटना हाई कोर्ट के दल को पुलिस ने रोका
इससे पहले पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखालि में महिलाओं पर अत्याचार की कथित घटनाओं की जांच के लिए जा रही पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एल. नरसिंह रेड्डी के नेतृत्व वाली एक स्वतंत्र तथ्यान्वेषी समिति के छह सदस्यों को पुलिस ने वहां जाने से रोक दिया।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने संदेशखालि के कुछ हिस्सों में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू होने का हवाला देते हुए उनके काफिले को बसंती राजमार्ग पर भोजेरहाट क्षेत्र में रोक दिया, जो संदेशखालि से लगभग 52 किलोमीटर दूर है।
रेड्डी, पूर्व आईपीएस अधिकारी राजपाल सिंह, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य चारू वली खन्ना, वकील ओ पी व्यास एवं भावना बजाज और वरिष्ठ पत्रकार संजीव नायक सड़क के किनारे बैठ गए और आगे जाने पर अड़े रहे।
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि छह लोगों को हिरासत में लेकर एक वाहन में ले जाया गया और बाद में रिहा कर दिया गया।
रेड्डी ने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से अवैध है। हमने पुलिसकर्मियों से कहा है कि कानून का पालन करने वाले नागरिक के नाते हम नियम नहीं तोड़ेंगे। संदेशखालि में कोई कर्फ्यू नहीं लगा है। इसलिए हम दो समूहों में जा सकते हैं। हमारी कम से कम दो महिला सदस्यों को उन महिलाओं से मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए] जिन्हें राजनीतिक संरक्षण का लाभ ले रहे बाहुबलियों के अत्याचारों का खामियाजा भुगतना पड़ा है।”
(इनपुटः PTI)
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Updated 20:52 IST, February 25th 2024