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Published 16:08 IST, December 18th 2024

उस्ताद जाकिर हुसैन पर तबला वादक, कोलकाता से संबंध और विनम्र व्यवहार को किया याद

उस्ताद जाकिर हुसैन दूसरों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए अक्सर ‘बहुत अच्छा’ शब्दों इस्तेमाल करते थे और इन्हीं शब्दों के साथ दक्षिण कोलकाता के तबला निर्माता श्यामल कुमार दास उन्हें याद कर रहे हैं।

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Zakir Hussain visited the sets of Mughal-e-Azam when he was 7 years old
उस्ताद जाकिर हुसैन पर तबला वादक, कोलकाता से संबंध और विनम्र व्यवहार को किया याद | Image: X

उस्ताद जाकिर हुसैन दूसरों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए अक्सर ‘बहुत अच्छा’ शब्दों इस्तेमाल करते थे और इन्हीं शब्दों के साथ दक्षिण कोलकाता के तबला निर्माता श्यामल कुमार दास उन्हें याद कर रहे हैं। दिग्गज तबला वादक हुसैन (73) का सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में सोमवार को निधन हो गया। उनके परिवार ने यह जानकारी दी थी।

परिवार ने एक बयान में कहा कि…

परिवार ने एक बयान में कहा कि हुसैन की मृत्यु फेफड़ों से संबंधित रोग ‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस’ से उत्पन्न जटिलताओं के कारण हुई। वर्षों पहले नेताजी इंडोर स्टेडियम में एक संगीत समारोह में उस्ताद से हुई एक आकस्मिक मुलाकात को याद करते हुए दास ने उन्हें “सौम्य और विनम्र” व्यक्ति बताया और कहा कि उन्होंने “कभी भी दूसरों की कला को कमतर नहीं आंका।”

चेतला क्षेत्र में नारायण वाद्य भंडार नामक लोकप्रिय संगीत वाद्ययंत्र दुकान के मालिक दास हुसैन के लिए उपहार स्वरूप एक जोड़ी तबला लेकर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे थे। दास ने मंगलवार को कहा, “जब मैंने उन्हें तबला सौंपा तो उन्होंने मुझे बहुत धन्यवाद दिया और वादा किया कि जब भी संभव होगा वह इसे बजाएंगे। इसके बाद, मैं उनसे कई अन्य संगीत समारोहों में मिला।”

दास ने कहा कि पंडित अनिंद्य कुमार बोस, पंडित समीर चटर्जी, पंडित बिक्रम घोष और पंडित तन्मय बोस जैसे उस्तादों ने उनके बनाए संगीत वाद्ययंत्रों का उपयोग किया है। उन्होंने दो दशक पहले हुसैन से प्राप्त एक आकस्मिक संदेश को याद किया, जब उस्ताद विलायत खान के साथ निर्धारित जुगलबंदी से पहले उनके तबले में कुछ समस्या उत्पन्न हो गई थी।

दास ने कहा कि एक बार हुसैन उन्हें होटल में मिले तो कहा कि यह तबला जरा ठीक कर दी दीजिए। दास ने कहा कि उन्होंने तबला ठीक कर दिया, जिससे हुसैन संतुष्ट हुए और उनका बहुत आभार व्यक्त किया। एक और वाकये का जिक्र करते हुए दास ने कहा कि एक बार वह रवीन्द्र सदन के मंच के पीछे तबले लेकर जा रहे थे, तो हुसैन ने उन्हें पकड़कर तबले दिखाने के लिए कहा।

दास ने कहा कि इसके बाद हुसैन ने उनसे कहा, “आपके तबले के कुछ स्केल में सुधार की जरूरत थी। मैंने सी-शार्प जैसे स्केल को ठीक कर दिया है।” दास ने कहा, ‘‘कई शास्त्रीय वाद्य यंत्र निर्माताओं ने उन्हें तबला उपहार में दिया था और अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरने पर भी उन्होंने कभी किसी भी वाद्ययंत्र की बुराई नहीं की। उनका व्यवहार बहुत सौम्य और दिल बहुत बड़ा था।’’

दास ने कहा कि वह एक बात बहुत कहते थे, जो मुझे आज भी याद आ रही है और वह है “बहुत अच्छा।” टॉलीगंज क्षेत्र की मुक्ता दास को भी हुसैन के लिए तबला बनाने के कुछ अवसर मिले थे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे याद है कि दादा (हुसैन) ने एक बार कोलकाता की अपनी यात्रा के दौरान मुझसे कहा था, ‘मेरे लिए कुछ बनाओ’।’’

शहर की शास्त्रीय बिरादरी के साथ उनके संबंधों के बारे में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तालवादक बिक्रम घोष ने कहा, ‘‘हालांकि मेरे असली गुरु मेरे पिता पंडित शंकर घोष थे, लेकिन ज़ाकिर भाई मेरे लिए अभिभावक की तरह थे जो मेरे करियर समेत कई मुद्दों पर सलाह देते रहते थे। जब भी हम मिलते, वह मुझे गले लगाते और मेरे बालों को सहलाते। मैं उनकी मौजूदगी की गर्मजोशी महसूस करता था।’’

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Updated 16:08 IST, December 18th 2024