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पब्लिश्ड 13:37 IST, August 14th 2024

चीखती रही मां, खाए पुलिस के डंडे,बंटवारे के बाद मनोज कुमार ने ऐसे गुजारी थी रिफ्यूजी कैंप में जिंदगी

Manoj Kumar: मनोज कुमार का जन्म एबटाबाद में हुआ था जो इस समय पाकिस्तान का हिस्सा है। वो केवल 10 साल के थे जब अपने परिवार के साथ दिल्ली आ गए।

Reported by: Sakshi Bansal
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Manoj Kumar
मनोज कुमार | Image: X

Manoj Kumar: भारत को आजाद हुए 77 साल हो चुके हैं। इसके एक दिन पहले यानि 14 अगस्त को देशभर में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया जा रहा है। बंटवारे के दौरान भारत और पाकिस्तान दोनों तरफ काफी खून बहाया गया और कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी। इस पीड़ा से तो बॉलीवुड के 'भारत कुमार' उर्फ मनोज कुमार भी गुजर चुके हैं। वो बंटवारे के समय पाकिस्तान से भारत आ गए थे।

मनोज कुमार का जन्म एबटाबाद में हुआ था जो इस समय पाकिस्तान का हिस्सा है। वो केवल 10 साल के थे जब अपने परिवार के साथ दिल्ली आ गए। बाद में उन्होंने अपनी फिल्मों के जरिए लोगों में ऐसी देशभक्ति जगाई कि उन्हें 'भारत कुमार' के नाम से जाना जाने लगा। 

रिफ्यूजी कैंप में ऐसे बीता मनोज कुमार का बचपन

पद्म श्री सम्मान से नवाजे गए मनोज कुमार को बंटवारे के दौरान काफी मुश्किल वक्त से गुजरना पड़ा था। पाकिस्तान से भारत आने के बाद उनका परिवार काफी समय तक रिफ्यूजी कैंप में रहा। उन्होंने 'राज्यसभा टीवी' को दिए इंटरव्यू में अपने चुनौतीपूर्ण दिनों के बारे में बताया था जब रिफ्यूजी कैंप में रहने के दौरान उन्होंने अपना छोटा भाई तक खो दिया था।

इंटरव्यू के दौरान एक्टर ने खुलासा किया था कि कैसे रिफ्यूजी कैंप में ही उनकी मां ने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम कुकू रखा गया था। मां और बच्चे की तबीयत बिगड़ गई थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। उस समय दंगे हो रहे थे और सायरन बजते ही डॉक्टर और नर्स अंडरग्राउंड हो जाते। 

कम उम्र में मारपीट करने लगे थे मनोज कुमार

एक्टर ने बताया कि कैसे उनकी मां चीखती रही लेकिन डॉक्टर नहीं आए। उनके भाई कुकू की मौत हो गई। मनोज को काफी गस्सा आया और इतनी कम उम्र में ही उन्होंने अंडरग्राउंड जाकर कुछ डॉक्टरों और नर्सों को लाठी से पीटना शुरू कर दिया। तब उनके पिता ने उन्हें समझाया। मनोज ने कहा कि वह बात-बात पर मारपीट शुरू करने लगे थे। एक बार पुलिस के डंडे भी खाए। फिर पिता ने कसम दिलवाई कि दोबारा कभी वो किसी पर हाथ नहीं उठाएंगे। 

संघर्ष भरे बचपन के बावजूद मनोज कुमार ने हिम्मत नहीं हारी और 1957 में 'फैशन' के जरिए फिल्मों की दुनिया में कदम रखा। उन्हें आज भी उनकी 'गुमनाम', ‘पूरब और पश्चिम', 'यादगार', 'मेरा नाम जोकर' जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है।

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अपडेटेड 13:37 IST, August 14th 2024