Published 18:10 IST, December 11th 2024
'साधारण को असाधारण बनाने वाले इंसान थे दिलीप साहब', जयंती पर सायरा बानो ने सुनाई मोहब्बत की दास्तां
फिल्म इंडस्ट्री में कमाल की अदाकारी, गजब के डायलॉग और गहरे हावभाव से पर्दे पर छाने वाले ‘ट्रेजडी किंग’ दिलीप कुमार की बुधवार को 102वीं जयंती है। दिलीप कुमार की हमसफर सायरा बानो ने सोशल मीडिया पर अपनी मोहब्बत और जज्बात को बखूबी बयां कर ‘यूसूफ जान’ को याद किया और उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दी।
Dilip Kumar Birth Anniversary: फिल्म इंडस्ट्री में कमाल की अदाकारी, गजब के डायलॉग और गहरे हावभाव से पर्दे पर छाने वाले ‘ट्रेजडी किंग’ दिलीप कुमार की बुधवार को 102वीं जयंती है। दिलीप कुमार की हमसफर और दिग्गज अभिनेत्री सायरा बानो ने सोशल मीडिया पर अपनी मोहब्बत और जज्बात को बखूबी बयां कर ‘यूसूफ जान’ को याद किया और उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दी।
हर एक खास मौकों पर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाली दिग्गज अभिनेत्री सायरा बानो ने इंस्टाग्राम पर खूबसूरत वीडियो मोंटाज शेयर कर दिल को छू लेने वाला नोट लिखा, “कुछ लोग आपकी जिंदगी में हमेशा के लिए आते हैं और आपकी जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं। मेरी जिंदगी में दिलीप साहब का आना भी ऐसा ही था। हम दोनों का अस्तित्व और विचार एक रहा। दिन बदल सकते हैं और मौसम बीत सकते हैं, लेकिन 'साहब' हमेशा मेरे साथ हैं और वह हमेशा मेरे हाथ में हाथ डालकर चलते रहे हैं।
कैसा था दिलीप कुमार का व्यवहार?
"आज, उनके जन्मदिन पर मैं सोचती हूं कि वह न केवल मेरे लिए बल्कि उन्हें जानने वाले सभी लोगों के साथ दुनिया भर के लिए एक बड़ा तोहफा है। दिलीप साहब का व्यवहार, संतुलन, शिष्टता शानदार थी। वह जब भी मेरे आस-पास होते थे तो एक बच्चे की तरह बन जाते थे, जो कि चंचल, लापरवाह, सांसारिकता के बोझ से आजाद रहता था।"
सायरा बानो ने आगे कहा, "उनकी सहज मुस्कुराहट के सामने एक लड़के की मासूमियत फेल थी और खास समय में वह खुद को खो देते थे। साहब के बारे में एक बात मैं निश्चित रूप से कह सकती हूं कि वह कभी भी शांत नहीं बैठते थे। उन्हें घूमना-फिरना बहुत पसंद था। जब भी उन्हें शूटिंग से छुट्टी मिलती थी तो वह हमें अपने साथ खूबसूरत जगहों पर चलने के लिए कहते थे। मेरे भाई सुल्तान के बच्चे, परिवार के दूसरे लोग और मैं अक्सर उनके साथ बेहतरीन सफर पर निकल पड़ते थे।"
सायरा बानो ने शेयर किया दिलचस्प किस्सा
बानो आगे बताती हैं, “उनकी सहजता आज भी मुझे हैरान कर देती है। मुझे एक ऐसा ही पल अच्छी तरह याद है। मैं उन्हें विदा करने के लिए एयरपोर्ट गई थी और जब वह जाने की तैयारी कर रहे थे, तो मैंने उन्हें अलविदा कहा। वह मेरी ओर मुड़े और पूछा, 'सायरा, तुम क्या कर रही हो?' मैंने जवाब दिया, 'मेरी शूटिंग कैंसिल हो गई है, इसलिए कुछ नहीं।' इसके बाद जो हुआ, उससे मैं हैरान रह गई कि वे मुझे अपने साथ ले गए! उन दिनों, फ्लाइट टिकट सीधे काउंटर पर बुक किए जाते थे। साहब ने तुरंत अपने सचिव को मेरे लिए टिकट सुरक्षित करने के लिए भेजा और मुझे अपने साथ ले चले। अब कल्पना कीजिए कि उस वक्त मैंने एक साधारण सूती सलवार कमीज पहन रखी थी। मेरे पास साथ ले जाने के लिए ना तो कपड़े थे और ना ही कुछ और सामान।
"फिर भी साहब मुझे शादी में ले गए। मैं उस साधारण पोशाक में पूरे समारोह में शामिल हुई, जबकि दिलीप साहब मेरे साथ हाथ में हाथ डाले चल रहे थे। उनकी सादगी उन्हें परिभाषित करती थी और यही वह विशेषता थी जिसने मुझे हमेशा आश्चर्य में डाला।"
शायरा बानो कुछ यूं मनाती थीं दिलीप कुमार का जन्मदिन
शायरा बानो ने आगे कहा, "मैं उनके जन्मदिन को खास बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती। मैं उन्हें सरप्राइज देने के लिए बढ़िया कश्मीरी स्वेटर, बेहतरीन घड़ी चुनती थी और वह भीतर से इतने संतुष्ट थे कि तारीफ करने पर अपना सामान बिना संकोच या लालच के किसी को भी दे देते थे। मैं यह देखकर हैरत में पड़ जाती थी कि कोई भी व्यक्ति अपनी इतनी कीमती चीजों से इतनी आसानी से कैसे अलग हो सकता है? किसी को अपना सामान कैसे दे सकता है? लेकिन जल्द ही, मुझे एहसास हुआ कि दिलीप साहब अपने भीतर इतने संतुष्ट थे कि कोई भी भौतिक संपत्ति उनकी कला, उनके परिवार और उनके प्यार के खजाने की बराबरी नहीं कर सकती थी।"
शायरा बानो ने कहा कि वह एक ऐसे समृद्ध इंसान थे, जिसे सांसारिक संपत्तियों से कोई लगाव नहीं था। वह अपनी खुद की बनाई दुनिया में रहते थे, जहां हर काम और हर शब्द का एक बढ़िया अर्थ और उद्देश्य होता था। जहां तक मेरा सवाल है, मुझे उस व्यक्ति को देखने का सौभाग्य मिला। दुनिया उन्हें अपने कोहिनूर के रूप में पूज सकती है, लेकिन मेरे लिए, वह बस एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने साधारण को असाधारण बना दिया था। जन्मदिन मुबारक हो, यूसुफ जान!”
Updated 18:10 IST, December 11th 2024