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पब्लिश्ड 12:54 IST, August 14th 2024

सुनील दत्त से विनोद खन्ना तक... वो कलाकार जिन्होंने झेला बंटवारे का दर्द, भारत में जमाया सिक्का

Bollywood and Partition: हिंदी सिनेमा में ऐसे कई कलाकार रहे हैं जिन्होंने अपनी आंखों से वो दर्दनाक मंजर देखा था जब भारत के दो टुकड़े हो गए थे।

Reported by: Sakshi Bansal
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Sunil Dutt and Vinod Khanna
सुनील दत्त और विनोद खन्ना | Image: X

Bollywood and Partition: आज पूरा देश विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मना रहा है। इस दिन उन लोगों को याद किया जाता है जिन्होंने भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान अपनी जान गंवा दी थी। हिंदी सिनेमा में भी ऐसे कई कलाकार रहे हैं जिन्होंने अपनी आंखों से वो दर्दनाक मंजर देखा था जब भारत के दो टुकड़े हो गए थे। 

इन बॉलीवुड कलाकारों का जन्म पाकिस्तान (जो पहले भारत का हिस्सा था) में हुआ था लेकिन बंटवारे के दौरान वह भारत आ गए थे। उन्होंने बंटवारे का दर्द झेला लेकिन भारत आकर अपने काम से दुनियाभर में पहचान बना ली। 

बंटवारे का दर्द झेल चुके हैं ये बॉलीवुड सितारे

दिलीप कुमार को कौन नहीं जानता। उनके चाहनेवाले ये भी जानते होंगे कि उनका जन्म पेशावर में हुआ था जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। पेशावर में अभी भी उनका पुश्तैनी घर है जिसकी हालत फिलहाल खस्ता हो चुकी है। 1922 में जन्में मोहम्मद यूसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार 13 साल के थे जब वो भारत आ गए और बाद में हिंदी सिनेमा पर राज किया।

उनके अलावा, पृथ्वीराज कपूर का भी जन्म 1906 में पाकिस्तान के लायलपुर में हुआ था। लाहौर के खालसा कॉलेज से पढ़ाई करने वाले पृथ्वीराज ने हिंदी सिनेमा की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई थी। फिर 1929 में एक्टर बनने का ख्वाब लेकर वो मुंबई आ गए और फैंस को देखने को मिली कपूर परिवार की विरासत। उनके बेटे और 'बॉलीवुड के पहले शोमैन' राज कपूर का जन्म भी 14 दिसंबर 1924 को पेशावर में हुआ था। 

बंटवारे के दौरान पाकिस्तान से भाग आया था सुनील दत्त का परिवार

उनके अलावा, देव आनंद भी अविभाजित भारत के शकरगढ़ में पैदा हुए थे। वो बंटवारे से पहले ही भारत आ गए। अभिनेता से राजनेता बने सुनील दत्त की पैदाइश भी झेलम जिले के खुर्द गांव की है जो अब पाकिस्तान में आता है। बंटवारे के समय उनके पिता के दोस्त ने उनके परिवार को भागने में मदद की थी। पाकिस्तान में उनका परिवार जमींदारों का था। 

राजेंद्र कुमार का जन्म सियालकोट में हुआ था और उनके दादा कराची में मिलिट्री ठेकेदार थे। बंटवारे के समय पूरा परिवार आकर मुंबई में रहने लगा। इस फेहरिस्त में मशहूर लेखक गुलजार का नाम भी शामिल है जो अगस्त 1934 में झेलम के दीना में पैदा हुए थे। उनका असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है। बंटवारे की हिंसा में जैसे-तैसे उनका परिवार बच पाया और बाद में वो दिल्ली आकर बस गए। 

भारत आ रहे शेखर कपूर की मां ने ऐसे बचाई जान

फिल्ममेकर शेखर कपूर 1945 में लाहौर में पैदा हुए थे। उन्होंने एक बार एक्स के जरिए खुलासा किया था कि कैसे विभाजन के समय उनकी मां ने उन्हें और उनकी बहन को भारत आने वाली ट्रेन में अपने शरीर के नीचे छुपाकर बचाया था। उनकी मां ने बच्चों को बचाने के लिए मरने की एक्टिंग की थी।

मनोज कुमार भी पाकिस्तान के एबटाबाद से ताल्लुक रखते हैं। बंटवारे के दौरान उनका परिवार दिल्ली आया और रिफ्यूजी कैंप में रहने लगा। उस दौरान, 10 साल के मनोज और उनके परिवार को काफी दर्द और बुरे दिन झेलने पड़े थे। इसकी वजह से उन्होंने अपने छोटे भाई को भी खो दिया था। बात करें विनोद खन्ना की तो वह पेशावर में पैदा हुए और बंटवारे के दौरान वह केवल एक साल के थे। 2017 में मौत से पहले उन्होंने अपने होमटाउन जाने की इच्छा जताई थी। 

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अपडेटेड 12:55 IST, August 14th 2024