अपडेटेड 14 April 2024 at 12:32 IST

Election: राजा, राजकुमारी तो कोई नवाब घराने से, UP में पूर्व रियासतों के सदस्य इस बार चुनावों से दूर

अमेठी के पूर्व राजा संजय सिंह, पडरौना के कुंवर आरपीएन सिंह, कालाकांकर की पूर्व राजकुमारी रत्ना सिंह और अमेठी के कुंवर अक्षय प्रताप सिंह चुनावी समर में नहीं हैं।

Follow : Google News Icon  
Sanjay Singh, Ratna Singh, Mahendra Aridman Singh
संजय सिंह, रत्ना सिंह, महेन्द्र अरिदमन सिंह | Image: Facebook

Lok Sabha Election 2024: राजनीतिक दल इस लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के पूर्व राजघरानों के सदस्यों को उन सीट से मैदान में उतारने में कम रुचि दिखा रहे हैं, जहां पहले उनका प्रभाव था। अमेठी के पूर्व राजा संजय सिंह, पडरौना (कुशीनगर) के कुंवर आरपीएन सिंह, प्रतापगढ़ के कालाकांकर की पूर्व राजकुमारी रत्ना सिंह और जामो (अमेठी) के कुंवर अक्षय प्रताप सिंह 'गोपाल जी' चुनावी समर में नहीं हैं। इसी तरह पूर्व विधायक एवं भदावर (आगरा) के पूर्व राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह और रामपुर की बेगम नूरबानो और नवाब काजिम अली भी चुनावी रण में नहीं हैं। ऐसे में उनके किलों में भी वैसी रंगत नहीं है, जैसी उनके उम्मीदवार होने पर दिखती रही है।

सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक कौशल कुमार शाही ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कई पूर्व राजाओं और राजकुमारों ने अपनी रियासतों के विलय के बाद राजनीति में कदम रखा। उन्होंने कहा, “लेकिन इस चुनाव में कई पूर्व राजाओं को चुनाव लड़ने का मौका न मिलने से उनके किलों की रौनक फीकी लग रही है।''

अमेठी के पूर्व राजा संजय सिंह मैदान से दूर

कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए 'अमेठी रियासत' के पूर्व राजा व पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय सिंह इस बार चुनाव मैदान में नहीं हैं। उनके एक करीबी ने बताया, ''महाराज (संजय सिंह) को लेकर इस बार उम्मीद थी कि उन्हें सुलतानपुर में भाजपा उम्मीदवार बनाएगी, लेकिन पार्टी ने मेनका गांधी को फिर से प्रत्याशी घोषित कर दिया।” पूर्व राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने 1998 में भाजपा के टिकट पर अमेठी संसदीय सीट से चुनाव जीता था और 2009 में कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर सुलतानपुर से सांसद बने थे। संजय सिंह 2019 में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर सुलतानपुर में मेनका गांधी से चुनाव हार गये थे।

यह भी पढ़ें: कैसे तैयार हुआ BJP का संकल्प पत्र? पीएम मोदी ने खुद देर रात तक बैठकर किया

Advertisement

प्रतापगढ़ में पूर्व राजकुमारी रत्ना सिंह का रहा है दबदबा

प्रतापगढ़ जिले के कालाकांकर रियासत की पूर्व राजकुमारी एवं पूर्व सांसद रत्ना सिंह के लिए चुनाव लड़ने की संभावना खत्म हो गयी है, क्योंकि भाजपा ने यहां अपने मौजूदा सांसद संगम लाल गुप्ता को फिर उम्मीदवार बनाया है। रत्ना सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई थी। प्रतापगढ़ में 2019 में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर तीसरे स्थान पर रहीं रत्ना सिंह ने यहां से 1996, 1999 और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था, लेकिन 2014 में अपना दल (एस) के कुंवर हरिवंश सिंह और 2019 में संगम लाल गुप्ता से पराजित हो गई थीं और कुछ वर्ष पहले वह भाजपा में शामिल हो गयीं।

कुंवर अक्षय प्रताप सिंह 2004 में संसद पहुंचे

कुंवर अक्षय प्रताप सिंह उर्फ 'गोपाल जी' ने 2004 में समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर प्रतापगढ़ से लोकसभा चुनाव जीता। वह 2019 में इस सीट से जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के उम्मीदवार थे लेकिन तीसरे स्थान पर रहे। इस बार उनके चुनाव लड़ने के फिलहाल कोई संकेत नहीं हैं।

Advertisement

यह भी पढ़ें: BJP के संकल्प पत्र में '24 गारंटी'; किस वर्ग और सेक्टर पर फोकस, समझिए

बेगम नूर बानो रामपुर से रहीं सांसद

उधर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रामपुर लोकसभा क्षेत्र की पूर्व सांसद व भूतपूर्व नवाब परिवार की बेगम नूर बानो 84 वर्ष की उम्र में भी विपक्षी दलों के समूह 'इंडिया’ गठबंधन' की प्रमुख घटक कांग्रेस से टिकट की दावेदार थीं लेकिन समझौते में यह सीट सपा के हिस्से में जाने से उनकी दावेदारी खत्म हो गयी। कांग्रेस से निकाले गए उनके पुत्र नवाब काज़िम अली भी इस बार चुनावी समर से दूर हैं जबकि सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) के नेता व काज़िम के पुत्र नवाब हैदर अली खां 'हमजा मियां' भी मौका नहीं पा सके। 2014 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले काज़िम अली रामपुर में तीसरे स्थान पर रहे थे।

बीजेपी ने ज्यादातर पुराने उम्मीदवारों पर लगाया दांव

राजनीतिक टिप्पणीकार राजीव तिवारी ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि भाजपा ने ज्यादातर अपने पुराने उम्मीदवारों और सांसदों पर ही दांव लगाया है जबकि कांग्रेस के साथ गठबंधन में सपा को अधिक सीटें मिलने के कारण, कांग्रेस के साथ रहने वाले पूर्व राजघरानों के सदस्यों को टिकट नहीं मिल पाया है। प्रदेश में लोकसभा की 80 सीट में ‘इंडिया’ गठबंधन में कांग्रेस के हिस्से में 17 सीट मिली हैं, जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले तृणमूल कांग्रेस को एक सीट (भदोही) मिली है। बाकी 62 सीट सपा के हिस्से में हैं।

भदावर राजघराने के अरिदमन सिंह भी मैदान में नहीं

आगरा के भदावर राजघराने के अरिदमन सिंह बाह विधानसभा सीट से छह बार के पूर्व विधायक हैं और प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे हैं। उन्होंने 2009 का लोकसभा चुनाव भाजपा उम्मीदवार के रूप में लड़ा लेकिन हार गए। उनकी पत्नी रानी पक्षालिका सिंह अभी भी बाह से भाजपा की विधायक हैं, लेकिन उन्होंने 2009 में फतेहपुर सीकरी की लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन तीसरे स्थान पर रहीं। पक्षालिका सिंह 2014 का लोकसभा चुनाव सपा के टिकट पर फतेहपुर-सीकरी सीट से हार गईं थी।

पूर्व PM विश्वनाथ के वंशज भी सक्रिय राजनीति से दूर

प्रतापगढ़ के राजा अजीत प्रताप सिंह और मांडा के भूतपूर्व राजघराने के सदस्य एवं पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के वंशज अब राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। राजा अजीत प्रताप सिंह ने 1962 और 1980 में प्रतापगढ़ से लोकसभा चुनाव जीता। उनके बेटे अभय प्रताप सिंह ने 1991 में सीट जीती लेकिन पोते अनिल प्रताप सिंह कई प्रयासों के बावजूद असफल रहे।

(PTI भाषा की इस खबर में सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया गया है)

Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 14 April 2024 at 12:32 IST