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Published 11:28 IST, April 19th 2024

Lok Sabha 1st phase : राजस्थान की 5 हॉट सीट्स, केंद्र के 2 मंत्रियों की साख दांव पर; ये है समीकरण?

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए वोटिंग जारी है। राजस्थान में दो केंद्रीय मंत्रियों समेत 5 सीटें ऐसी हैं जो हाईप्रोफाइल हैं।

Reported by: Kiran Rai
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राजस्थान में पहले दौर की वोटिंग, जानें टक्कर में कौन-कौन? | Image: republic

Lok Sabha Voting Phase 1:  लोकसभा चुनाव 2024 के तहत राजस्थान की 12 सीटों पर मतदान होने हैं। इनमें से 5 पर दमदार शख्सियतें हैं जिनकी ओर पूरे देश की निगाहें हैं। राम मंदिर, जातीय, क्षेत्रीय, बाहरी बनाम भीतरी जैसे मु्द्दों के साथ समीकरण कुछ ऐसे हैं जो सुर्खियों में है।

पहले फेज की 12 सीटें-  जयपुर, जयपुर ग्रामीण, अलवर,भरतपुर,श्रीगंगानगर, बीकानेर, चूरू, नागौर, झुंझुनूं, सीकर, दौसा, करौली- धौलपुर हैं।

दो केंद्रीय मंत्री, RLP के हनुमान और कांग्रेस के फायर ब्रांड नेता भी लिस्ट में

इस चऱण में राजस्थान की 5 ऐसी सीटें हैं जिस पर सबकी निगाहें टिकी हैं। इनमें बीकानेर से अर्जुन राम मेघवाल और अलवर से भूपेंद्र यादव का नाम शामिल है। दोनों ही केंद्रीय मंत्री हैं। एक और सीट को लेकर शोर मचा है और वो है नागौर की सीट। जिसमें आरएलपी के हनुमान बेनीवाल के सामने बीजेपी की ज्योति मिर्धा खड़ी हैं। दोनों ही जाट बिरादरी से हैं और रसूखदार हैं। जयपुर से प्रताप सिंह खाचरियावास खड़े हैं और उन्हें सीधी टक्कर दे रही हैं बीजेपी की मंजू शर्मा जो दिग्गज नेता रहे भंवरलाल शर्मा की बेटी हैं। इनके अलावा सीकर की सीट चर्चा में है। यहां से भाजपा ने तीसरी बार स्वामी सुमेधानंद को उतारा है तो इंडी अलायंस ने सीपीएम प्रत्याशी अमराराम पर भरोसा जताया है।

बीकानेर : केंद्रीय मंत्री मेघवाल Vs मेघवाल

केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल बनाम कांग्रेस के गोविंद राम मेघवाल

बीकानेर में एक बार फिर बीजेपी ने सिटिंग सांसद पर भरोसा जताया। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का दावा पक्का है। उनके सामने कांग्रेस के गोविंदराम मेघवाल हैं जो  राजस्थान सरकार में मंत्री रह चुके हैं। विधानसभा चुनाव में  गोविंदराम मेघवाल खाजूवाला सीट हार गए थे। वहीं अर्जुनराम मेघवाल लगातार 3 बार से सांसद रहे हैं और चौथी बार भी उनकी जीत पक्की मानी जा रही है। फिलहाल यहां बीजेपी की स्थिति मजबूत है। विधानसभा चुनावों में बीजेपी को लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा में से 6 सीटों पर जीत मिली थी।

अलवर: भूपेंद्र यादव बनाम युवा ललित यादव

भूपेंद्र यादव बनाम ललित यादव

अलवर की इस सीट पर मुकाबला रोचक होने की रिपोर्ट है। यहां केंद्रीय मंत्री को टक्कर कांग्रेस के युवा नेता ललित यादव दे रहे हैं। दोनों यादव हैं इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि वोट बंटेंगे। यहां भूपेंद्र का अनुभव बनाम ललित का लोकल मुद्दा है। यानि ललित का दावा कि वो स्थानीय हैं और भूपेंद्र बाहरी तो वहीं भूपेन्द्र का अनुभव उनके लिए एसेट है।

चुनावी समीकरण की बात करें तो 8 विधानसभा सीटों में से 5 पर कांग्रेस के विधायक जीते तो भाजपा के खाते में 3 सीट आई। वहीं  पिछले लोकसभा के नतीजे विधानसभा और लोकसभा के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हैं। जहां से कांग्रेस के विधायक जीते थे, वहां भाजपा प्रत्याशी महंत बालकनाथ ने जबरदस्त वोट बटोरे। बहरोड़ और मुंडावर में एक लाख 80 हजार वोटों से भाजपा ने लीड बनाई थी। ललित यादव की ग्रामीण तो भूपेंद्र यादव की शहरी इलाकों में मजबूत पकड़ है। कांग्रेस को झटका बसपा से मिल रहा है।  तीसरे फैक्टर के तौर पर बसपा ने तैयब हुसैन को उतारा है।  मेव मुस्लिम और एससी-एसटी वोटरों की अलवर लोकसभा क्षेत्र में बड़ी तादाद है और इसका फायदा बीएसपी को मिलता है तो सीधा नुकसान कांग्रेस को होना तय है।

जयपुर- राम मंदिर, हिंदू वोट और कांग्रेस की चूक मुद्दा

मंजू शर्मा बनाम प्रताप सिंह खाचरियावास

जयपुर शहर की सीट पर मुकाबला मंजू शर्मा और प्रताप सिंह खाचरियावास के बीच है। कांग्रेस ने पहले यहां से सुनील शर्मा को दावेदार बनाया था, लेकिन उनका एक पुराना वीडियो सरफेस हुआ। इसमें वो आरएसएस के मंच पर दिखे। बस मुद्दा बना और टिकट हाथ से चला गया। इसके बाद हाल ही में विधायकी हार बैठे और गहलोत सरकार में मंत्री रहे राजपूत नेता प्रताप सिंह खाचरियावास को टिकट थमाया गया। इस पूरे घटनाक्रम ने कांग्रेस के इकबाल पर असर डाला। समीकरण बीजेपी के पक्ष में जाता दिख रहा है।  शहरी सीट पर राम मंदिर, हिंदुत्व और मोदी फैक्टर का असर देखने को मिल रहा है। विधानसभा चुनावों में भी मोदी फैक्टर और हिंदुत्व का मुद्दा हावी रहा था। वहीं अल्पसंख्यक इलाकों में कांग्रेस का दावा मजबूत है। जयपुर लोकसभा सीट में 8 विधानसभा सीटों में से 6 पर भाजपा का कब्जा है।

नागौर: फिर एक बार मिर्धा बनाम बेनीवाल लेकिन...

ज्योति मिर्धा बनाम हनुमान बेनीवाल

ज्योति मिर्धा कांग्रेस छोड़ पार्टी बीजेपी में शामिल हुईं और उन्हें पार्टी ने नागौर से अपना दावेदार घोषित कर दिया। मिर्धा को मोदी लहर, राम मंदिर का फायदा है तो तीन हार को भी मुद्दा बना इमोशनल लड़ाई लड़ रही हैं। विभिन्न सभा स्थलों में जाती हैं और खुद को चिड़िया बता वोट अपील करती हैं। कहती हैं - इस चिड़िया को मारना या ज़िंदा रखना आपके हाथ है। वहीं हनुमान बेनीवाल सीटिंग एमपी हैं। तब वो बीजेपी के साथ गठबंधन में लड़े और जीते। फायर ब्रांड नेता हैं और इस बार भी विश्वास है कि जीत उनकी ही होगी। मजे की बात ये है कि 2019 में भी इनके सामने ज्योति मिर्धा ही थीं। लेकिन तब वो कांग्रेस से और बेनीवाल बीजेपी गठबंधन से चुनाव लड़े थे।

सीकर : भाजपा की हैट्रिक को चुनौती

सुमेधानंद सरस्वती बनाम अमरा राम

सीकर लोकसभा सीट से इंडी अलायंस के तहत सीपीएम प्रत्याशी अमराराम को उतारा गया है। यहीं से कांग्रेस के राज्य ईकाई अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा आते हैं। ऐसे में परसेप्शन के तौर पर इमेज को थोड़ा सा धक्का जरूर लगा है। कांग्रेस की मजबूरी गिनाई जा रही है। उनके सामने हैट्रिक जड़ने के इरादे से सुमेधानंद सरस्वती उतरेंगे। स्पष्ट है कि भाजपा और कांग्रेस गठबंधन सामाजिक समीकरणों को साधने में जुटा है। सुमेधानंद जातीय समीकरण के साथ अल्पसंख्यक वर्ग में मजबूत कैंडिडेट के तौर पर जाने जाते हैं। वहीं अमराराम का भी अपना दखल है।  सीपीएम के अमराराम सातवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। 6 लोकसभा चुनाव में शिकस्त खा चुके हैं। वहीं, धोद और दांतारामगढ़ से विधायक रह चुके हैं। 

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Updated 11:28 IST, April 19th 2024