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Published 16:42 IST, April 29th 2024

Varuthini Ekadashi 2024: 3 या 4 कब रखा जाएगा वरुथिनी एकादशी व्रत? जानें सही डेट, पूजा विधि-मुहूर्त

भगवान विष्णु को गुरुवार के साथ ही एकादशी का दिन भी समर्पित किया गया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि मई महीने की पहली एकादशी कब है और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।

Putrada Ekadashi
एकादशी पर नहीं खानी चाहिए ये चीजें | Image: instagram

Kab Hai Varuthini Ekadashi 2024: हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित की गई है। इस दिन जगत के पालनहार श्रीहरि (Shri Hari) की विधिवत पूजा-अर्चना करने के साथ ही व्रत का विधान है। वहीं अब हिंदू नववर्ष के दूसरे महीने वैशाख माह (Vaishakh Maah) की शुरुआत हो चुकी है। यह महीना धार्मिक दृष्टि के बहुत ही खास माना जाता है। ऐसे में इस माह में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है।

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी (Ekadashi) को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, लेकिन इस साल यह दो दिन पड़ रही है। ऐसे में काफी लोग कंफ्यूज है कि आखिरी वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi Vrat) का व्रत कब रखा जाएगा और इस दिन पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त क्या है। तो चलिए जानते हैं कि वैशाख के कृष्ण पक्ष की एकादशी की व्रत कब रखा जाएगा और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।

कब रखा जाएगा वरुथिनी एकादशी का व्रत? (Kab Hai Varuthini Ekadashi)

पंचांग के मुताबिक इस बार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की वरुथिनी एकादशी की शुरुआत 3 मई 2024 दिन शुक्रवार की रात 11 बजकर 24 मिनट पर हो रही है, जिसका समापन 4 मई 2024 दिन शनिवार की रात 8 बजकर 38 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के मुताबिक वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi Date) का व्रत 4 मई दिन शनिवार को रखा जाएगा।

वरुथिनी एकादशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त? (Varuthini Ekadashi Puja Shubh Muhurat)

वरुथिनी एकादशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 4 मई दिन शनिवार की सुबह 7 बजकर 18 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 58 मिनट तक है। वहीं पारण अगले दिन यानी 5 मई रविवार (Sunday) की सुबह 5 बजकर 37 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 17 मिनट तक है।

वरुथिनी एकादशी पर कैसे करें पूजा क्या है विधि? (Varuthini Ekadashi Puja Vidhi)  

  • वरुथिनी एकादशी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
  • इसके बाद भगवान विष्णु का स्‍मरण करके व्रत का संकल्‍प लें।
  • फिर पूजा स्‍थल को पवित्र करें और भगवान विष्‍णु की विधिवत पूजा करें।
  • पूजा में पीले फूल, हल्‍दी, कुमकुम, अक्षत, फल, मिठाई, पंचामृत जरूर शामिल करें।
  • इसके बाद धूप-दीप करें और विष्‍णु जी को तुलसी दल चढ़ाएं।
  • वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ ही मां लक्ष्‍मी की भी पूजा करें।
  • इसके बाद वरुथिनी एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
  • आखिर में आरती करें और प्रसाद सभी को बांट दें।
  • फिर अगले दिन द्वादशी तिथि प्रारंभ होने के बाद एकादशी व्रत का पारण करें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Updated 16:42 IST, April 29th 2024