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Published 16:20 IST, July 25th 2024

EXPLAINER/ 25 Years of Kargil War: 'खून का एक-एक कतरा बहा देंगे...', इस जांबाज से 3 दिन तक कांपता रहा था दुश्मन

25 Years of Kargil War: 'कारगिल युद्ध के 25 साल' की सीरीज में आज हम एक ऐसे जांबाज की कहानी बताने वाले हैं, जिसने 3 दिनों तक दुश्मनों के नाक में दम कर दिया था।

Reported by: Kunal Verma
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25 Years of Kargil War Rfn Sunil Jang story
इस जांबाज से 3 दिन तक कांपता रहा था दुश्मन | Image: Republic/X
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25 Years of Kargil War: कारगिल युद्ध में भारत की विजय गाथा कई जांबाजों की कुर्बानी का सार है। ये कोई आम गाथा नहीं है। इसमें दर्द की छुअन भी है तो विजय का उल्लास भी। कारगिल युद्ध में विजयी दिलाने में कई जांबाजों ने अपने जीवन की आहुति दे दी। इनमें एक नाम सुनील जंग का भी शामिल है।

रायफलमैन सुनील जंग उन योद्धाओं में शुमार किए जाते हैं, जिन्होंने बचपन में ही तय कर लिया था कि देश के लिए मर मिटना है। महज 8 साल की उम्र में ही एक स्कूल प्रतियोगिता में उन्होंने कह दिया था- देश के लिए खून का एक-एक कतरा बहा दूंगा। सुनील की ये बात सुनते ही वहां मौजूद हर शख्स का सीना गर्व से चौड़ा गया था।

स्कूल प्रतियोगिता की वो कहानी...

8 साल की उम्र में जिस फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में सुनील शामिल हुए थे, उसके लिए उन्होंने जिद करके अपने लिए फौजी की ड्रेस खरीदी थी। फिर उन्होंने अपनी मां से कहा कि वो बंदूक भी लेंगे। मां ने उन्हें एक प्लास्टिक की बंदूक लेकर भी दे दिया। इसके बाद प्रतियोगिता के दौरान उन्होंने कई देशभक्ति गीत गाए। बताया जाता है कि सुनील के पिता नर नारायण जंग महत भी गोरखा बटालियन में थे और दादा मेजर नकुल जंग भी ब्रिटिश काल में गोरखा रायफल्स में ही थे, जिससे उन्हें सेना में जाने की प्रेरणा मिली थी।

घरवालों को बिना बताए सेना में एंट्री

16 साल की उम्र में ही सुनील सेना में भर्ती हो गए थे। इसके बारे में उन्होंने अपने घरवालों को भी नहीं बताया था। घर पहुंचकर उन्होंने अपनी मां से कहा कि पापा और दादा की तरह ही मैं भी सेना में भर्ती हो गया हूं।

सुनील को 11 गोरखा रायफल्स में तैनाती मिली थी। कारगिल जाने से पहले उन्होंने अपनी मां से कहा था-

मां ,मैं अगली बार आऊंगा तो लंबी छुट्टी लेकर आऊंगा।

फिर कारगिल युद्ध की शुरुआत...

10 मई 1999 को सुनील को कारगिल पहुंचने का बुलावा आया। बताया जाता है कि वो 11 गोरखा रायफल्स की अपनी टुकड़ी के साथ कारगिल पहुंचे। जानकारी मिली थी कि कुछ पाकिस्तानी घुसपैठिए भारत की सीमा में घुस आए हैं। फिर क्या था, सुनील बंदूक लेकर सीमा पर पहुंच गया और 3 दिनों तक लगातार गोलीबारी होती रही। 3 दिनों तक सुनील ने दुश्मनों के पसीने छुड़ा दिए। इस दौरान सुनील ने दुश्मनों पर 25 बम फेंके।

इसके बाद 15 मई को उनके सीने में गोली लग गई। हालांकि, सुनील घबराए नहीं। उन्होंने इसके बाद भी दुश्मनों पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। कहा जाता है कि इस दौरान वो बुरी तरह से जख्मी हो गए और फिर छोटी सी उम्र देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

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