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Published 21:09 IST, July 25th 2024

EXPLAINER/ 25 Years of Kargil War: कारगिल युद्ध के बाद जब पाकिस्तानी कर्नल ने खोल दिया था मुशर्रफ का चिट्ठा...

25 Years of Kargil War: इसका जिक्र पाकिस्तान आर्मी के Colonel (retired) Ashfaq Hussain की किताब 'Witness to Blunder: Kargil Story Unfolds' में मिलता है।

Reported by: Kunal Verma
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25 Years of Kargil War
25 Years of Kargil War | Image: Republic/AP
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25 Years of Kargil War: साल 1999 में कारगिल युद्ध शुरू होने से ठीक पहले पाकिस्तान के तत्कालीन आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ LOC पार कर भारत की सीमा में घुस आए थे। बताया जाता है कि उन्होंने भारत की सीमा के 11 किमी भीतर एक रात भी बिताई थी।

इस किस्से का जिक्र पाकिस्तानी आर्मी के कर्नल अशफाक हुसैन की किताब 'Witness to Blunder: Kargil Story Unfolds' में किया गया है। आपको बता दें कि कारगिल युद्ध में कई भारतीय जवानों ने अपने जीवन की आहुति देकर भारत को इस युद्ध में फतह दिलवाई थी। इसके बाद पाकिस्तानी कर्नल ने अपनी किताब में पाकिस्तान और मुशर्रफ का काला-चिट्ठा खोलकर रख दिया था।

एक टीवी प्रोग्राम में भी कर्नल ने बताया था किस्सा

कुछ सालों पहले एक टीवी प्रोग्राम में कर्नल अशफाक हुसैन ने इस वाक्ये का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि 28 मार्च 1999 को मुशर्रफ ने LOC के पार उड़ान भरी और भारतीय सीमा में 11 किलोमीटर का सफर तय किया था।

बताया गया था कि मुशर्रफ उस समय सेना प्रमुख थे। उनके साथ 80 ब्रिगेड के तत्कालीन कमांडर ब्रिगेडियर मसूद असलम भी थे। उन्होंने 'जिक्रिया मुस्तकर' में रात बिताई, जहां कर्नल अमजद शब्बीर के नेतृत्व में पाकिस्तानी सैनिक मौजूद थे। इसके बाद वो अगले दिन वापस पाकिस्तान लौट आए। आपको बता दें कि उसी साल कारगिल युद्ध के लिए बिगुल बज गया और 26 जुलाई को युद्ध के समापन की घोषणा की गई।

किसने की थी युद्ध की शुरुआत?

अशफाक हुसैन ने ये भी बताया था कि पाकिस्तानी सेना ने पहली बार 18 दिसंबर, 1998 को LOC पर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी। इस घुसपैठ के दौरान कैप्टन नदीम और अली हवलदार लालिक जान के साथ एक टोही मिशन के लिए भेजे गए थे। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी सेना को मिशन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। अचानक से फरमान आया था कि कुछ टुकड़ियों को LOC के पार भारत की तरफ तैनात करना है। उन्होंने कहा कि घुसपैठ को एक चरवाहे ने देखा था जिसने भारतीय सैनिकों को सूचित किया था।

हुसैन ने कहा था कि प्रारंभिक टोही मिशन की तरह पूरे कारगिल ऑपरेशन के लिए कोई लक्ष्य या उद्देश्य निर्धारित नहीं किए गए थे। इसके मास्टरमाइंड उत्तरी क्षेत्र बल कमान के तत्कालीन प्रमुख मेजर जनरल जावेद हसन थे। उन्होंने बताया कि हसन ने नियंत्रण रेखा पर भारतीय ठिकानों पर कब्जा करने की योजना तैयार की और तत्कालीन रावलपिंडी कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल महमूद अहमद, तत्कालीन चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अजीज और मुशर्रफ को इसके लिए राजी किया।

उन्होंने अपनी किताब में मुशर्रफ के जीत के दावे को भी सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना उस वक्त भारतीय क्षेत्र में घुसी थी, जब वहां पर कोई भारतीय जवान तैनात नहीं थे। हमारे सैनिकों को ये तक नहीं बताया गया था कि उन्हें LOC के पार क्यों भेजा जा रहा है। इस टीवी प्रोग्राम में हुसैन ने युद्ध के दौरान मरने वाले पाकिस्तानी सैनिकों की संख्या का भी खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि पाकिस्तान की तरफ से करीब 1000 सैनिक मारे गए थे। हालांकि, इसे छुपा लिया गया।

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