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पब्लिश्ड 11:37 IST, September 19th 2024

अगले 10 वर्षों में भारत में जस्ता की खपत 20 लाख टन से अधिक होने की उम्मीद

Zinc consumption: आईजेडए ने अगले 10 वर्षों में भारत में जस्ता की खपत 20 लाख टन से अधिक होने की उम्मीद जताई है।

Hindustan Zinc
प्रतीकात्मक तस्वीर | Image: Facebook

Zinc consumption: अंतरराष्ट्रीय जस्ता संघ (आईजेडए) ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की जस्ता की खपत अगले 10 वर्षों में वर्तमान 11 लाख टन से बढ़कर 20 लाख टन से अधिक होने का अनुमान है।

‘जिंक कॉलेज’ 2024 कार्यक्रम से इतर आईजेडए के कार्यकारी निदेशक एंड्रयू ग्रीन ने कहा, ‘‘ भारत में जस्ता की खपत व मांग 11 लाख टन है, जो भारत में वर्तमान उत्पादन से अधिक है। अगले 10 वर्षों में इसके 20 लाख टन से अधिक पहुंचने की संभावना है। यह एक अनुमान है।’’

‘जिंक कॉलेज’ का आयोजन हर दो साल में अंतरराष्ट्रीय जस्ता संघ (आईजेडए) द्वारा सदस्य कंपनी के साथ साझेदारी में किया जाता है।

हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, ‘जिंक कॉलेज’ 2024 की साझेदार है।

एंड्रयू ग्रीन ने कहा कि प्राथमिक उत्पादन के मामले में वैश्विक जस्ता बाजार करीब 1.35 करोड़ टन प्रति वर्ष है। एक बड़ा अंतर यह है कि अगर जस्ता के प्रति व्यक्ति इस्तेमाल की बात करें तो वैश्विक औसत पर यह भारत में होने वाले उपयोग से करीब चार से पांच गुना अधिक है।

उन्होंने बताया कि ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां वैश्विक मानकों को पूरा करने के लिए जस्ता के इस्तेमाल को बढ़ाने की जरूरत है।

ग्रीन ने कहा, ‘‘ मैं आपको स्वचालन (ऑटोमोटिव) क्षेत्र का उदाहरण दे सकता हूं। वैश्विक स्वचालन क्षेत्र में करीब 90 से 95 प्रतिशत ‘गैल्वेनाइज्ड स्टील’ का इस्तेमाल किया जाता है। भारत में इस क्षेत्र में इस्पात को जंग से बचाने वाला जस्ता केवल 23 प्रतिशत है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हम भारत में स्वचालन बाजार में ‘गैल्वेनाइज्ड स्टील’ के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं, ताकि इसे विश्व के अन्य हिस्सों के बराबर लाया जा सके।’’

उन्होंने कहा कि आईजेडए भारत में ‘गैल्वेनाइज्ड रीबार’ के लिए मानक स्थापित करने पर भी काम कर रहा है।

‘गैल्वेनाइज्ड रीबार’ एक ऐसी सामग्री है जो इस्पात की छड़ों या तारों को जस्ता में गर्म कर डुबाने के बाद बनती है। इससे एक सुरक्षात्मक ‘कोटिंग’ तैयार होती है।

ग्रीन ने कहा, ‘‘ हम ‘गैल्वेनाइज्ड रीबार’ के लिए एक मानक निर्धारित करने हेतु सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’’

वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा अनुप्रयोगों में जस्ता की मांग 43 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। पवन ऊर्जा क्षेत्र में 2030 तक इसमें दोगुनी वृद्धि होने का अनुमान है।

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अपडेटेड 11:37 IST, September 19th 2024