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पब्लिश्ड 17:57 IST, January 20th 2025

Budget 2025: 'चमड़े के ब्रीफकेस से लेकर बजट की तारीख तक...', 10 साल में मोदी सरकार ने तोड़े गुलामी के कई रिवाज

Budget 2025: नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता रही है कि हर भारतवासी गुलामी की मानसिकता से आजाद हो। PM मोदी के इसी संकल्प की झलक बजट पेश करने में भी साफतौर पर झलकती है

Reported by: Sagar Singh
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From leather briefcase to budget date Modi government Change Budget Traditions
मोदी सरकार ने तोड़े बजट से जुड़े गुलामी के कई रिवाज | Image: Republic

Union budget 2025: संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होगा और 4 अप्रैल तक प्रस्तावित है। परंपरा के अनुसार सत्र की शुरुआत संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक से होगी, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संबोधित करेंगी। इसके बाद आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगी, बतौर वित्त मंत्री यह उनका आठवां बजट होगा। बजट सत्र में कुल 27 बैठकें प्रस्तावित हैं।

सत्र के पहले चरण में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर दोनों सदनों में बहस होती है और संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री के जवाब के साथ यह संपन्न होता है। 2014 से अभी तक नरेंद्र मोदी सरकार ने बजट से जुड़ी कई परंपराओं को बदला है। सरकार ने परंपरागत तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले बजट ब्रीफकेस को भी बदल दिया है।

तोड़े गुलामी के रिवाज

नरेंद्र मोदी की यह प्राथमिकता रही है कि हर भारतवासी गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह आजाद हो। PM मोदी के इसी संकल्प की झलक उनकी सरकार में बजट पेश करने में भी साफतौर पर झलकती है। मोदी सरकार में पिछले कई सालों से पेपरलेस बजट (Paperless Budget) पेश किया जा रहा है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश का बजट पेश होने में कई ऐसी परंपराएं टूटीं हैं, जो आजादी के पहले से चली आ रही थीं। पहले चमड़े के ब्रीफकेस (Leather briefcase) में बजट पेश किया जाता है। अब डिजिटल बजट पेश किया जाता है और बजट पेश करने की तारीख से लेकर रेल बजट को आम बजट में शामिल करने तक बजट की कई परंपराओं को बदला गया है।

2017 में टूटी 92 साल की परंपरा

2017 के बजट में कई बड़े बदलाव किए थे। ये ही वो साल था जिसमें रेल बजट को आम बजट में शामिल किया। 2017 से पहले देश में दो तरह के बजट पेश किए जाते थे। पहला रेल बजट और दूसरा दूसरा आम बजट। आम बजट में सरकार देश की शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा और आर्थिक विकास से जुड़े कई अहम ऐलान करती हैं। इसके अलावा रेल बजट में अलग से रेलवे से संबंधित घोषणाओं को पेश किया जाता था। पहला रेल बजट ब्रिटिश सरकार ने 1924 में पेश किया था। गुलामी से चली आ रही इस परंपरा को मोदी सरकार ने बदला।

2017 से पहले तक भारत दुनिया का एकलौता ऐसा था देश, जहां दो बजट (रेल बजट और आम बजट) पेश होते थे। ये परंपरा 92 साल से चली आ रही थी। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017 में पहली बार आम बजट में रेल बजट पेश किया था। नीति आयोग ने ब्रिटिश शासन में चली आ रही इस परंपरा को खत्म करने की सलाह दी थी।

बजट पेश करने की तारीख

2017 से पहले भारत का आम बजट 28 फरवरी को पेश होता था। ये परंपरा अंग्रेजों के समय से चली आ रही थी। साल 2017 में बजट पेश करने की तारीख को बदलकर तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने 1 फरवरी कर दिया। पहली बार 1 फरवरी को 2017 में बजट पेश किया गया था।

लाल कपड़े में बजट

भारत में आजादी के पहले से बजट को चमड़े के ब्रीफकेस में पेश करने की परंपरा थी। दशकों से आ चली आ रही इस परंपरा को मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तोड़ा। मोदी सरकार में वित्त मंत्री का कार्यभार संभाने के बाद निर्मला सीतारमण, चमड़े के ब्रीफकेस की जगह लाल कपड़ें में बही-खाता रूपी बजट लेकर संसद पहुंची थीं। हिंदू धर्म में लाल रंग को शुभ के साथ साहस, इच्छाशक्ति और अंदरूनी हिम्मत का प्रतीक माना जाता है। लाल कपड़े में लिपटा बजट पेश करने वाली निर्मला सीतारमण भारत की पहली वित्त मंत्री हैं।

डिजिटल बजट

देश की सत्ता संभालने के बाद से ही नरेंद्र मोदी ने डिजिटल भारत (Digital India) पर जोर दिया है। देश का बजट भी इससे अछूता नहीं रहा। देश का बजट पेश होने से पहले हर साल बजट की छपाई होती थी। 2021 और 2022 में कोरोना की वजह से डिजिटल बजट पेश किया गया। ये पहली बार था जब यूनियन बजट मोबाइल ऐप पर उपलब्ध कराया गया था। लोकसभा के सभी सदस्यों समेत अन्य सभी लोगों को भी बजट की डिजिटल कॉपियां दी गई थी। 

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अपडेटेड 17:57 IST, January 20th 2025