Published 23:34 IST, November 17th 2024
'भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की करेंगे मांग', 100 दिन का कार्यकाल पूरे होने पर बाले यूनुस
अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर राष्ट्र के नाम संबोधन में यूनुस ने यह भी कहा कि भारत से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को वतन वापस भेजने की मांग करेंगे।
Advertisement
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने रविवार को कहा कि उनका प्रशासन अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को वतन भेजने की भारत से मांग करेगा। बांग्लादेश में अगस्त में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शनों के चलते सत्ता से बेदखल होने के बाद हसीना भारत चली गई थीं।
अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर राष्ट्र के नाम संबोधन में यूनुस ने यह भी कहा कि उनकी सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने हरसंभव प्रयास जारी रखे हुए है। सरकारी समाचार एजेंसी ‘बीएसएस’ ने यूनुस के हवाले से कहा, ‘‘हमें हत्या के हर मामले में न्याय सुनिश्चित करना होगा...हम भारत से यह भी कहेंगे कि वह सत्ता से अपदस्थ तानाशाह शेख हसीना को वापस भेज दे।’’
Advertisement
अपने बयान से यूनुस का यू-टर्न
उनकी टिप्पणी ‘यू-टर्न’ का संकेत देती है, क्योंकि पिछले महीने ब्रिटेन के ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ अखबार को दिए साक्षात्कार में यूनुस ने कहा था कि उनकी सरकार भारत से हसीना को भेजने की तत्काल मांग नहीं करेगी। आठ अगस्त को पदभार ग्रहण करने वाले यूनुस ने दावा किया कि हसीना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्रों और श्रमिकों सहित लगभग 1500 लोग मारे गए, जबकि 19,931 घायल हुए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार प्रत्येक मौत के बारे में सावधानीपूर्वक जानकारी एकत्र कर रही है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार ने घायलों के लिए विभिन्न विशेष अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था की, जिनमें ढाका के 13 अस्पताल भी शामिल हैं। हसीना (77) ने सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर अपनी सरकार के खिलाफ छात्रों और अन्य लोगों द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद इस्तीफा दे दिया था और भारत चली गई थीं।
Advertisement
5 अगस्त को आई थीं भारत
हसीना पांच अगस्त को दिल्ली के निकट हिंडन एयरबेस पर उतरीं। ऐसा माना जाता है कि बाद में उन्हें किसी अज्ञात स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया और तब से उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है। हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं पर भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के क्रूर दमन का आदेश देने का आरोप है, जिसके परिणामस्वरूप जुलाई-अगस्त के विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई लोग हताहत हुए।
यूनुस ने कहा कि उनकी सरकार उन सभी मामलों की जांच कर रही है, जहां धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा की गई। उन्होंने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, ‘‘हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है कि हिंदू समुदाय के सदस्यों समेत देश का कोई भी नागरिक हिंसा का शिकार न बने। हम यह प्रयास जारी रखेंगे।’’ उन्होंने कहा कि जब अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली थी, तब बांग्लादेश पूरी तरह असुरक्षित देश था।
Advertisement
अल्पसंख्यकों पर क्या बोले यूनुस
यूनुस ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों में अनावश्यक भय फैलाने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ मामलों में, उन्हें हिंसा का भी सामना करना पड़ा है। लेकिन इस बारे में जो भी प्रचार किया गया वह पूरी तरह से अतिशयोक्तिपूर्ण है। हिंसा के जो छोटे-मोटे मामले हुए वे मुख्य रूप से राजनीतिक थे।’’ उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को धार्मिक रंग देकर देश को फिर से अस्थिर करने के प्रयास किए गए। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी के सहयोग से स्थिति से दृढ़ता से निपटा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के सत्ता में आने के दो महीने बाद देश भर में लगभग 32,000 पूजा मंडपों में दुर्गा पूजा मनाई गई।
उन्होंने कहा कि सरकार ने दुर्गा पूजा के दौरान व्यापक सुरक्षा तैयारियां की ताकि हिंदू समुदाय के सदस्य त्योहार को सुचारू रूप से मना सकें। बांग्लादेश की 17 करोड़ आबादी में हिंदुओं की संख्या करीब आठ प्रतिशत है। यूनुस ने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग (ईसी) का गठन जल्द ही किया जाएगा, जबकि चुनावी प्रणाली में सुधारों के बाद चुनाव रोडमैप की घोषणा की जाएगी।
Advertisement
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
23:34 IST, November 17th 2024