Published 15:32 IST, October 31st 2024
मुंबई टेस्ट से पहले बुरे फंसे गौतम गंभीर, धोखाधड़ी के आरोप में कोर्ट ने दिया ये आदेश, जानें मामला
Gautam Gambhir News: दिल्ली की एक अदालत ने फ्लैट खरीदारों से कथित धोखाधड़ी के मामले में गौतम गंभीर से जुड़ी जांच फिर से शुरू कर दी है।
Advertisement
Gautam Gambhir News: न्यूजीलैंड के खिलाफ मुंबई में होने वाले तीसरे टेस्ट से पहले टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। दिल्ली की एक अदालत ने फ्लैट खरीदारों से कथित धोखाधड़ी के मामले में गौतम गंभीर से जुड़ी जांच फिर से शुरू कर दी है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोग्ने ने गंभीर को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के पिछले फैसले को पलट दिया और फैसले को उनके खिलाफ आरोपों पर "मन की अपर्याप्त अभिव्यक्ति" को प्रतिबिंबित करने वाला बताया।
न्यायाधीश गोगने ने 29 अक्टूबर के आदेश में कहा कि आरोप गौतम गंभीर की भूमिका की आगे की जांच के लायक भी हैं। यह मामला शुरू में रियल एस्टेट फर्म रुद्र बिल्डवेल रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दायर किया गया था। लिमिटेड, एच आर इंफ्रासिटी प्राइवेट लिमिटेड, यू एम आर्किटेक्चर एंड कॉन्ट्रैक्टर्स लिमिटेड, और गंभीर (जिन्होंने कंपनियों के संयुक्त उद्यम के लिए निदेशक और ब्रांड एंबेसडर दोनों के रूप में काम किया), का दावा है कि निवेशकों को धोखा दिया गया था।
Advertisement
गौतम गंभीर पर धोखाधड़ी का आरोप
न्यायाधीश गोगने ने कहा कि गंभीर ब्रांड एंबेसडर के रूप में "निवेशकों के साथ सीधा संपर्क" रखने वाले एकमात्र आरोपी थे। उनकी रिहाई के बावजूद, निचली अदालत के फैसले में कंपनी के साथ उनकी वित्तीय भागीदारी का जिक्र नहीं किया गया, जिसमें रुद्र बिल्डवेल रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड को 6 करोड़ रुपये का भुगतान भी शामिल था।
क्या है पूरा मामला?
Advertisement
कथित तौर पर आरोपी पक्षों ने इंदिरापुरम, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में एक आवास परियोजना का प्रचार और विज्ञापन किया, जिसे शुरू में 2011 में "सेरा बेला" कहा जाता था और 2013 में इसका नाम बदलकर "पावो रियल" कर दिया गया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, खरीदारों ने 6 लाख रुपये से लेकर रुपये तक की राशि का भुगतान किया। इन प्रमोशनों के आधार पर 16 लाख रुपये मिले, लेकिन 2016 में शिकायत दर्ज होने तक संपत्ति पर कोई महत्वपूर्ण विकास नहीं हुआ था।
शिकायतकर्ताओं को बाद में पता चला कि परियोजना को न तो प्रस्तावित योजना के अनुसार विकसित किया गया था और न ही आवश्यक राज्य सरकार की मंजूरी मिली थी। कंपनियों ने कथित तौर पर पूछताछ का जवाब देना बंद कर दिया, और यह पता चला कि संपत्ति पर 2003 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा भूमि के कब्जे पर जारी स्थगन आदेश के साथ मुकदमा चल रहा था।
Advertisement
इसे भी पढ़ें: IPL Retention: टूट जाएगा विराट कोहली का रिकॉर्ड, 23 करोड़ में इस विदेशी खिलाड़ी को रिटेन करेगी SRH?
Advertisement
15:32 IST, October 31st 2024