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Published 08:22 IST, December 6th 2024

Vivah Panchami 2024: विवाह पंचमी आज, जरूर करें भगवान राम और माता सीता की इस आरती का पाठ

Vivah Panchami 2024 Aarti: आज विवाह पंचमी के दिन आप भगवान राम और मां सीता की ये आरती जरूर पढ़ें।

Reported by: Kajal .
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भगवान राम और मां सीता | Image: Freepik

Vivah Panchami 2024 Aarti: वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी (Vivah Panchami 2024) मनाई जाती है। जो कि इस साल आज यानी, शुक्रवार 6 दिसंबर 2024 के दिन मनाई जा रही है। इस दिन विशेष रूप से भगवान राम और माता सीता की पूजा किए जाने की परंपरा है।

माना जाता है कि विवाह पंचमी के दिन ही भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसीलिए जो लोग इस दिन रामजी और मां सीता की उपासना करते हैं उन्हें सुख-समृद्धि समेत धन की प्राप्ति होती है व उनके जीवन के सभी दुखों का नाश होता है। ऐसे में आप भगवान राम और माता सीता को प्रसन्न करने के लिए उनकी विशेष आरती का पाठ भी कर सकते हैं। जो कि इस प्रकार है।

भगवान राम की आरती (Shri Ramchandra Ji Aarti)

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

दोहा- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

मां सीता आरती (Sita Mata Aarti)

आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

जगत जननी जग की विस्तारिणी,
नित्य सत्य साकेत विहारिणी,
परम दयामयी दिनोधारिणी,
सीता मैया भक्तन हितकारी की ॥

आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

सती श्रोमणि पति हित कारिणी,
पति सेवा वित्त वन वन चारिणी,
पति हित पति वियोग स्वीकारिणी,
त्याग धर्म मूर्ति धरी की ॥

आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

विमल कीर्ति सब लोकन छाई,
नाम लेत पवन मति आई,
सुमीरात काटत कष्ट दुख दाई,
शरणागत जन भय हरी की ॥

आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Updated 08:22 IST, December 6th 2024

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