Published 20:06 IST, November 25th 2024
Utpanna Ekadashi Katha: इस कथा के बिना अधूरा है उत्पन्ना एकादशी व्रत? सुनने-पढ़ने से पूरी होगी पूजा
Utpanna Ekadashi: उत्पन्ना एकादशी का व्रत बहुत ही खास माना जाता है। लेकिन यह व्रत बिना कथा के अधूरा होता है। आइए जानें उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा क्या है?
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Utpanna Ekadashi vrat katha: 24 एकादशियों (Ekadashi) में कई एकादशी बहुत ही खास मानी जाती है, जिसमें से एक उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) भी है। भगवान विष्णु और एकादशी माता को समर्पित उत्पन्ना एकादशी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। वहीं इस दिन विधिवत पूजा अर्चना और व्रत करने के साथ ही इस व्रत की कथा (Utpanna Ekadashi Vrat Katha) का पाठ करना या श्रवन करना बहुत ही जरूरी होता है, नहीं तो आपकी यह पूजा अधूरी रह जाती है। अगर आप भी उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने जा रहे हैं, तो इस दिन पूजा में इस व्रत की कथा का पाठ जरूर करें।
इस साल मागर्शीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी (Ekadashi 2024) तिथि की शुरुआत सोमवार 25 नवंबर, 2024 की देर रात 1 बजकर 1 मिनट से होगी, जो अगले दिन यानी मंगलवार 26 नवंबर, 2024 की देर रात 3 बजकर 47 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में उदया तिथि को मानते हुए इस बार उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) का व्रत 26 नवंबर, 2024 दिन मंगलवार को रखा जाएगा।
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उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा (Utpanna Ekadashi Vrat katha)
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बेहद खास महत्व माना जाता है, लेकिन उत्पन्ना एकादशी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु के अंश से एक देवी उत्पन्न हुई थीं, जिन्हें एकादशी के नाम से जाना जाता है। कथा के मुताबिक जब भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा में थे, तब उनपर मुर नामक एक राक्षस ने आक्रमण करने आया था, ऐसे में विष्णु जी के शरीर से दिव्य स्वरूपा देवी की उत्पत्ति हुई थी, जिन्हें उस दैत्य का वध किया। इसके बाद जब भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) योग निद्रा से जागे, तो वह देवी के ऊपर अति प्रसन्न हुए और उन्हें देवी एकादशी (Ekadashi Devi) का नाम दिया और इसी रूप में उन्हें पूजे जानें का वरदान दिया। जिसके बाद से ही इस दिन एकादशी का व्रत रखने के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ एकादशी माता (Ekadashi Mata) की पूजा करने से व्यक्ति को दुख-दर्द से निजात मिलता है और वह सुख-समृद्धि की प्राप्ति करता है।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
20:06 IST, November 25th 2024