पब्लिश्ड 07:56 IST, January 25th 2025
Shattila Ekadashi 2025: षटतिला एकादशी आज, जानिए शुभ मुहूर्त से पूजा विधि तक सबकुछ
Shattila Ekadashi 2025 Date: आइए जानते हैं कि षटतिला एकादशी पर किस शुभ मुहूर्त में विष्णुजी की पूजा की जानी चाहिए।
- धर्म और अध्यात्म
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Shattila Ekadashi 2025 Date: हिंदू धर्म में षटतिला एकादशी बहुत ही खास मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा किए जाने का विधान है। माना जाता है कि जो साधक इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ व्रत भी करता है उस पर विष्णुजी और मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।
वहीं आज यानी शनिवार, 25 जनवरी के दिन षटतिला एकादशी मनाई जा रही है। ऐसे में अगर आप भी आज विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए व्रत कर उनकी पूजा करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको आज के दिन के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जान लेना चाहिए। तो चलिए बिना किसी देरी के जानते हैं इस बारे में।
षटतिला एकादशी 2025 मुहूर्त (Shattila Ekadashi 2025 Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 24 जनवरी शाम 7 बजकर 25 मिनट से शुरू हो चुकी है जिसका समापन 25 जनवरी को रात 8 बजकर 31 मिनट पर होगा। ऐसे में आज यानी 25 जनवरी 2025 को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। आइए जानते हैं कि आप इस दिन कन शुभ मुहूर्तों में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं।
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5 बजकर 26 मिनट से 6 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।
- विजय मुहूर्त: दोपहर 2 बजकर 21 मिनट से 3 बजकर 03 मिनट तक रहेगा।
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 5 बजकर 52 मिनट से 6 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।
- निशिता मुहूर्त: रात 12 बजकर 07 मिनट से 01:00 बजे तक रहेगा।
षटतिला एकादशी 2025 व्रत पारण का समय (Shattila Ekadashi 2025 Vrat Paran)
वहीं इस व्रत का पारण, रविवार 26 जनवरी सुबह 7 बजकर 12 मिनट से लेकर 9 बजकर 21 मिनट के बीच करना अति शुभ माना जाएगा।
विष्णु जी की पूजा विधि (Vishnuji ki Puja Vidhi)
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
- पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
- एक चौकी पर लाल रंग का आसन बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- विष्णु जी की पूजा के दौरान उन्हें गोपी चंदन, फल-फूल और तुलसी दल अर्पित करें।
- देसी घी का दीपक और कपूर जलाएं।
- विष्णु जी को पंचामृत, मिठाई, तिलकुट आदि का भोग अर्पित करें।
- भोग में तुलसी दल डालना न भूलें।
- विष्णु जी के मंत्रों का जप करें और एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
- अंत में विष्णु जी के साथ-साथ एकादशी माता की आरती करें और सभी में प्रसाद बांटें।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
अपडेटेड 08:51 IST, January 25th 2025