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Published 07:37 IST, November 16th 2024

Shani Dev की पूजा के समय जरूर करें इस आरती और इन मंत्रों का जाप, हर मनोकामना होगी पूरी

Shani Dev Ki Aarti aur Mantras: अगर आप दुख और परेशानियों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो शनिवार को शनिदेव की ये आरती जरूर पढ़ें।

शनिदेव | Image: social media

Shani Dev Ki Aarti aur Mantras: हिंदू धर्म में शनिवार के दिन विशेष रूप से शनिदेव की पूजा की जाती है। शनि देवता को सनातन धर्म में एक विशेष स्थान दिया गया है। जिसके अनुसार अगर कोई व्यक्ति शनिवार के दिन शनि भगवान की पूजा अर्चना करता है तो भगवान उससे प्रसन्न होकर व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

पुराणों में शनि देव को धर्मराज और न्याय का देवता माना गया है। माना जाता है कि शनिदेव व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों के अनुसार उन्हें फल देते हैं। इसलिए शनिवार के दिन भगवान शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना के साथ-साथ उनकी आरती और कुछ मंत्रों का जाप करने से वह अति प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों का जीवन खुशियों से भर देते हैं। तो आइए जानते हैं शनिदेव की आरती और मंत्रों के बारे में।

शनि देव की आरती (Shani Dev Ki Aarti)

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....

श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नीलांबर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....

क्रीट मुकुट शीश राजित दीपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....

शनि देव के मंत्र (Shani Dev Ke Mantras)

  • शनि बीज मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
  • सामान्य मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नमः।
  • शनि महामंत्र- ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
  • शनि का वैदिक मंत्र- ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
  • शनि गायत्री मंत्र­- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।
  • तांत्रिक शनि मंत्र- ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
  • शनि दोष निवारण मंत्र- ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।

शनि देव के अन्य मंत्र 

1. ॐ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं।
छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

2. सुर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय:।
दीर्घचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ।।
तन्नो मंद: प्रचोदयात।।

3. ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Updated 07:37 IST, November 16th 2024

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