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Published 14:30 IST, August 15th 2024

Shabari: शादी से एक दिन पहले घर से क्यों भागीं शबरी? जानें श्रीराम से मिलने तक की पूरी कहानी...

Where did Shabari wait for Ram? माता शबरी का नाम तो आपने सुना ही होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं माता शबरी कौन थीं? जानते हैं उनके बारे में सबकुछ...

Shabari with Lord Ram | Image: www.hinduamerican.org
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Why did Shabari wait for Rama? रामायण में शबरी का जिक्र हुआ है। वहीं आपने भी शबरी की भक्ति के बारे में अक्सर अपने बड़े बुजुर्गों से सुना होगा। मान्यताओं के अनुसार माता शबरी ने श्री राम की कई वर्षों तक प्रतीक्षा की और जब वह आए तो उन्हें अपने जूठे बेर (Why did Ram eat shabri Ber?) खिलाए। लेकिन क्या जानते हैं माता शबरी कौन थी और उन्हें राम जी की प्रतीक्षा क्यों करनी पड़ी?

आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि माता शबरी कौन थीं (What is the story of Shabari?)? पढ़ते हैं आगे... 

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शबरी की कहानी क्या है? (who is shabari)

बता दें कि माता शबरी को राम का परम भक्त माना जाता था। वहीं उन्होंने श्री राम को अपने जूठे बेर भी खिलाए थे। असल में इनका नाम श्रमणा था। यह समुदाय के शबर जाति से संबंध रखती थीं इसलिए कालांतर में इनका नाम शबरी पड़ गया। इनके पिता को भीलों का मुखिया माना जाता था। 

100 पशुओं की बली

ऐसे में जब इनका विवाह तय हुआ तो उस दौरान 100 पशुओं की बली चढ़ाने का ऐलान हुआ। इन्हें यह बात सुनकर बहुत दुख हुआ। इसी कारण शबरी शादी से एक दिन पहले भाग गईं और एक जंगल में पहुंच गईं। उस जंगल में मतंग ऋषि तपस्या करते थे। लेकिन वह उनकी सेवा अपनी जाति के कारण नहीं कर पाईं। फिर भी वे सुबह जल्दी उठकर नदी का रास्ता साफ करती थीं। कांटे चुनकर एक तरफ रख देती थीं, जिससे ऋषियों को पता ना चले कि वे उनकी सेवा करती हैं।

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इसलिए राम की करने लगीं प्रतीक्षा

एक दिन ऋषियों ने शबरी को ये सब करते देख लिया। वे उनकी सेवा से बेहद प्रसन्न हुए और उन्हें अपने आश्रम में जगह दे दी। जब मतंग अपनी आखिरी सांस से ले रहे थे तब उन्होंने कहा कि तुम इसी आश्रम में श्री राम की प्रतीक्षा करना। वे यहां जरूर आएंगे। उसके बाद शबरी श्री राम की परीक्षा करने लगीं और वह आश्रम की अच्छे से सफाई करने लगी। 

2 युवक आए शबरी से मिलने

शबरी रोज मीठे बेर तोड़ कर लाती थीं। बेर में किसी भी प्रकार का कीड़ा ना लगा हो और वे खट्टे ना हों इसलिए हर बेर को शबरी जरूर चखती थीं। ऐसे में बहुत साल बीत गए। एक दिन शबरी को पता चला कि दो युवक उन्हें ढूंढ रहे हैं। वो समझ गईं कि श्री राम उन्हें दर्शन देने के लिए आ गए हैं। चूंकि वे बुजूर्ग थीं तो बहुत धीरे-धीरे चलती थीं लेकिन जब श्री राम के बारे में पता चला तो उनके अंदर चुस्ती आ गई और वे भागती हुईं राम जी के पास पहुंचीं और उन्हें घर ले आईं। घर लाकर उनके पार धोए और उन्हें अपने जूठे बेर खिलाए। हालांकि लक्ष्मण जी ने उनके बेर नहीं खाए थे।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

14:27 IST, August 15th 2024