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पब्लिश्ड 08:14 IST, November 11th 2024

Pradosh Vrat 2024: कार्तिक माह का दूसरा प्रदोष व्रत कब? नोट करें डेट, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Pradosh Vrat 2024 Date: आइए जानते हैं कि कार्तिक माह का दूसरा प्रदोष व्रत किस तारीख को पड़ रहा है।

प्रदोष व्रत 2024 | Image: social media

Pradosh Vrat 2024 Puja Muhurat: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बेहद खास महत्व है। हर महीने दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं, जिनमें एक प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।

मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन और विधि-विधान से प्रदोष व्रत के साथ-साथ भगवान शिव की उपासना और पूजा करता है उससे प्रभु प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इस व्रत को करने से महादेव अपने भक्त के जीवन की समस्त समस्याओं का निवारण कर उस पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं। आइए जानते हैं कि कार्तिक मास का दूसरा प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत 2024 की तिथि (Pradosh Vrat 2024 Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी की शुरुआत बुधवार, 13 नवंबर दोपहर 01 बजकर 01 मिनट पर होगी, जिसका समापन 14 नवंबर सुबह 09 बजकर 43 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत बुधवार 13 नवंबर को रखा जाएगा। बुधवार का दिन होने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत भी कहा जा सकता है।

बुध प्रदोष व्रत 2024 शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2024 Muhurat)

वहीं अगर बात करें इस दिन पूजा के शुभ मुहूर्त की तो बुधवार, 13 नवंबर को शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात 08 बजकर 25 मिनट तक शिवजी की पूजा के लिए सबसे सही मुहूर्त रहेगा। इस दौरान आप शिवजी की उपासना कर सकते हैं।

प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat 2024 Puja Vidhi)

  • शाम के समय पूजा के शुभ मुहूर्त से पहले स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें।
  • फिर भगवान शिव और माता पार्वती समेत उनके पूरे परिवार और अन्य देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें।
  • इसके बाद संध्या के समय घर के मंदिर में गोधूलि बेला में दीपक जलाएं।
  • अब शिव मंदिर या घर में भगवान शिव का अभिषेक करें और शिव परिवार की पूजा-अर्चना करें।
  • इस दौरान शिवजी को चंदन, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूध, गंगाजल इत्यादि अर्पित करें।
  • भगवान को साबूदाने की खीर का भोग लगाएं।
  • पूजा करने के बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें।
  • इसके बाद घी के दीपक से भगवान शिव की आरती करें।
  • आखिर में 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें।
  • इसके बाद भगवान से क्षमा आदि मांगकर जो भी विनती आपको करनी है वह करें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

अपडेटेड 08:14 IST, November 11th 2024

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