Published 22:51 IST, September 16th 2024
पितृपक्ष को लेकर ऐसी भी मान्यताएं हैं कि जब हम पितृपक्ष में श्राद्ध की प्रक्रियाओं को करते हैं और कौवे को भोजन करवाते हैं तो वो सीधे पितरों तक पहुंचता है।
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Pitru Paksha 2024: 17 सितंबर से पितृपक्ष आरंभ हो रहा है। सनातन धर्म में पितृ पक्ष को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। पितृपक्ष के दौरान हम अपने पितृों और उनके पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। सनातन धर्म में पितरों की सेवा का ये एक खास अवसर होता है जिसमें हम अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध कर्मों द्वारा पिंडदान सहित कई अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। वहीं पितृपक्ष में हम अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए कौवों को भोजन भी करवाते हैं। सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में किए गए श्राद्ध कर्मों का फल सीधे पितरों को ही मिलता है। यही वजह कि हम पितृपक्ष के समय को बहुत ही अनुशासित तरीके से पूरा करते हैं।
हिन्दू धर्म में पितृपक्ष को लेकर ऐसी भी मान्यताएं हैं कि जब हम इस दौरान श्राद्ध की प्रक्रियाओं को करते हैं और कौवे को अपने पितरों का मनपसंद भोजन करवाते हैं तो वो सीधे उन तक (पितरों तक) पहुंचता है। ऐसा करने से हमारे पितरों को मुक्ति और शांति के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृपक्ष में श्राद्ध कर्मों से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को शुभाशीष प्रदान करते हैं। जिन लोगों की कुंडलियों में पितृ दोष होता है उन्हें पितृपक्ष में श्राद्ध करने से इससे छुटकारा मिलता है। हर किसी के मन में ये सवाल जरूर गूंजता है कि आखिर पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष में कौवे को भोजन खिलाना क्यों बहुत जरूरी होता है?
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पितृपक्ष में कौवे को क्यों खिलाते हैं भोजन?
सनातन धर्म में पितृपक्ष के दौरान हम कौवों को भोजन करवाते हैं। ऐसी मान्यता है कि कौवों करवाया गया भोजन सीधे हमारे पितरों तक पहुंचता है। वहीं एक और मान्यता ये भी है कि कौवे यमदूत का प्रतीक माने जाते हैं। हिन्दू धर्म के मुताबिक यमराज मृत्यु के भगवान हैं। ऐसा माना जाति है कि पितरों (पूर्वजों) की आत्माएं पितृपक्ष के दौरान धरती पर आती हैं। पितृपक्ष में वो कौए के रूप में अपना मनपसंद भोजन ग्रहण करती हैं। यही वजह है कि हिन्दू धर्म में पितृपक्ष के दौरान कौवों को भोजन करवाया जाता है। ताकि हम अपने पितरों की आत्माओं को संतुष्ट कर सकें।
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पितृपक्ष कब से शुरू हो रहा है और कब खत्म होगा, देखें यहां
17 सितंबर 2024, मंगलवार - प्रोषठपदी/पूर्णिमा श्राद्ध
18 सितंबर 2024, बुधवार - प्रतिपदा का श्राद्ध
19 सितंबर 2024, गुरुवार - द्वितीया का श्राद्ध
20 सितंबर 2024, शु्क्रवार - तृतीतया का श्राद्ध
21 सितंबर 2024, शनिवार - चतुर्थी का श्राद्ध
22 सितंबर 2024, रविवार - पंचमी का श्राद्ध
23 सितंबर 2024, सोमवार - षष्ठी का श्राद्ध और सप्तमी का श्राद्ध
24 सितंबर 2024, मंगलवार - अष्टमी का श्राद्ध
25 सितंबर 2024, बुधवार - नवमी का श्राद्ध
26 सितंबर 2024, गुरुवार - दशमी का श्राद्ध
27 सितंबर 2024, शुक्रवार - एकादशी का श्राद्ध
29 सितंबर 2024, रविवार - द्वादशी का श्राद्ध
29 सितंबर 2024, रविवार - मघा का श्राद्ध
30 सितंबर 2024, सोमवार - त्रयोदशी का श्राद्ध
01 अक्टूबर 2024, मंगलवार - चतुर्दशी का श्राद्ध
02 अक्टूबर 2024, बुधवार - सर्व पितृ अमावस्या
भगवान राम का कौवों से माना जाता है संबंध
हिन्दू धर्म के मुताबिक भगवान राम का भी कौए से संबंध माना जाता है। इस बात का जिक्र एक पौराणिक कथा के दौरान आता है। इसके मुताबिक, एक बार माता सीता के पैर में एक कौए ने चोंच मार दी थ। इसकी वजह से उनके पैर में चोट लग गई थी माता सीता की पीड़ा को देखकर भगवान राम को क्रोद्ध आ गया उन्होंने एक बाण मारकर कौवे को सजा देने के लिए घायल कर दिया था। इसके बाद कौवे को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने भगवान राम और माता सीता से इसके लिए क्षमा याचना की। तब प्रभु श्रीराम ने कौवे को वरदान दिया था कि अब तुम्हारे ही माध्यम से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होगी। तभी से पितृपक्ष में कौए को भोजन कराने की ये परंपरा चली आ रही है।
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22:51 IST, September 16th 2024