Published 10:32 IST, July 6th 2024
Ashadh Gupt Navratri 2024: गुप्त नवरात्रि आज से शुरू, नोट करें घटस्थापना का समय और सही पूजन विधि
Ashadh Gupt Navratri 2024 Muhurat: आज से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। आइए जानते हैं इस दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त क्या होगा।
Advertisement
Ashadh Gupt Navratri 2024: हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। वैसे तो साल में चार बार नवरात्रि उत्सव मनाया जाता है, जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि ज्यादा प्रचलित हैं। हालांकि इससे अलग साल में दो बार गुप्त नवरात्रि भी मनाई जाती हैं। गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से माघ और आषाढ़ माह में मनाई जाती हैं।
ऐसे में अगर बात करें आषाढ़ में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि की तो यह आज यानी शनिवार, 6 जुलाई से शुरू हो रही है। जिसका समापन 15 जुलाई को होगा। गुप्त नवरात्रि, गोपनीय साधनाओं के लिए जानी जाती है। इसमें भक्त देवी दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा करते हैं। माना जाता है कि जो व्यक्ति सच्ची श्रद्धा के साथ गुप्त नवरात्रि का व्रत करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है और मां दुर्गा का आशीर्वाद हमेशा भक्तों पर बना रहता है।
Advertisement
वहीं, सामान्य नवरात्रि की तरह ही गुप्त नवरात्रि में भी घटस्थापना किए जाने का विधान है। इसलिए अगर आप भी आज से गुप्त नवरात्रि की पूजा-पाठ शुरू करने जा रहे हैं तो आपको घटस्थाना के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जान लेना चाहिए।
गुप्त नवरात्रि की घटस्थापना का शुभ मुहूर्त (Gupt Navratri Kalashsthapna Muhurat)
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि यानी शनिवार, 6 जुलाई के दिन सुबह 5 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 5 मिनट तक घट स्थापना का शुभ मुहूर्त रहेगा। वहीं अगर बात करें कलश स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त की तो वह सुबह 11 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक है। इस मुहूर्त में कलश की स्थापना करना काफी फलदायी रहेगा।
Advertisement
गुप्त नवरात्रि में घट स्थापना की पूजा विधि (Gupt Navratri Kalashsthapna Puja Vidhi)
- गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन घट स्थापना से पहले मंदिर की साफ-सफाई करें।
- अब लकड़ी की एक चौकी पर साफ लाल कपड़ा बिछाएं।
- इसके बाद चौकी पर थोड़े से चावल रखें और फिर इसके ऊपर जल से भरा हुआ कलश रख दें।
- अब कलश के ऊपर अशोक के पत्ते रखने के बाद इस पर लाल चुनरी में लपेटा हुआ एक नारियल रख दें।
- घट स्थापना करने के बाद मां दुर्गा समेत महाविद्याओं का पूजन आरंभ करें। जिसमें पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा किए जाने का विधान है।
- माता की पूजा करने के दौरान उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं।
- अब उन्हें फूल, चंदन, कुमकुम, बताशा आदि अर्पित करें।
- इसके बाद माता को किसी मिष्ठान का भोग लगाकर इसे प्रसाद के रूप में घर के सभी सदस्यों में वितरित करें।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
09:31 IST, July 6th 2024