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Published 20:33 IST, August 26th 2024

Janmashtami Puja Vidhi: कुछ ही घंटों में होगा बाल गोपाल का जन्म, जानें पूजा विधि और मुहूर्त

Janmashtami Vrat Vidhi: बाल गोपाल के जन्म में अब बस कुछ घंटे ही शेष रह गए हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि श्रीकृष्ण की किस विधि से पूजा करें और मुहूर्त क्या है?

जन्माष्टमी पूजा विधि? | Image: Freepik

Shri Krishna Janmashtami Puja Vidhi: पूरे देशभर में बड़ी ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला जन्माष्टमी का त्योहार आ चुका है। हर गली हर मोहल्ले पर इसकी धूम देखने को मिल रही है। घर-घर में कान्हा के स्वागत की तैयारियां चल रही है। हालांकि बाल गोपाल के जन्म में अब बस कुछ घंटे ही और शेष रह गए हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि कान्हा का जन्म समय क्या है और उनके अवतरण के बाद किस मुहूर्त और विधि से उनकी पूजा अर्चना करनी चाहिए।

धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में भादों माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में आधी रात यानी 12 बजे हुआ था। वहीं इस साल यानी 2024 में इस तिथि की शुरुआत सुबह 3 बजकर 39 मिनट से हो चुकी है, जिसका समापन 27 अगस्त 2024 दिन मंगलवार की रात 2 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में आइए जानते हैं कि कान्हा की पूजा का सही समय और विधि क्या है?

जन्माष्टमी पर कृष्ण पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

जन्माष्टमी पर बाल गोपाल के जन्म के बाद उनकी विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे में पूजा के शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। तो चलिए जानते हैं कि लल्ला के जन्म के बाद कब तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। पंचांग के मुताबिक पूजा के लिए रात 12 बजकर 1 मिनट से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक का समय अति शुभ है। ऐसे में इस मुहूर्त में पूजा जरूर कर लें। इसके अलावा इस तिथि में योगमाया का भी जन्म हुआ था, इस कारण यह दिन साधना के लिए भी बहुत अच्छा दिन है।

जन्माष्टमी पर घर में कैसे करें बाल गोपाल की पूजा?

  • अगर आप कान्हा के भक्त हैं, तो जाहिर सी बात है कि आप घर पर ही बाल गोपाल के जन्म के साथ पूजा भी करेंगे। ऐसे में आइए जानते हैं कि जन्माष्टमी पर कान्हा की पूजा कैसे करें।
  • जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल की पूजा के लिए सबसे पहले एक चौकी लगाएं और उसपर साफ लाल कपड़ा बिछा लें। 
  • इसके बाद बाल गोपाल का खीरे से जन्म कराएं, फिर उन्हें एक थाली में रखें और उन्हें पंचामृत से नहलाएं।
  • इसके बाद गंगा जल से नहलाएं और फिर उन्हें एक कपड़े से पोंछ कर कपड़े पहनाएं और फिर उनका श्रृंगार करके चौकी पर स्थापित कर दें।
  • इसके बाद उन्हें नमस्कार कर विधिवत उनकी पूजा-अर्चना करें। इस दौरान ध्यान रहे कि पूरब या उत्तर की ओर या मंदिर की दिशा में मुख करके ही बैठना चाहिए।
  • भगवान कृष्ण को यज्ञोपवीत पहना कर, चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप और दीप से पूजन करें और झूला में रखकर झूलाएं।
  • 'प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः, वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः, सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते' अवतरित होने के बाद इस मंत्र का जप करते रहें।
  • मक्खन, मिश्री, पंजीरी, फल के अलावा मेवे से बनाए पकवान भी भगवान को अर्पित करें।
  • भगवान के नैवेद्य में तुलसी दल का होना आवश्यक माना गया है। लौंग, इलायची, पान भी अर्पित करें।
  • पूजन के साथ ही कृष्ण के मंत्र का जप या स्त्रोत का पाठ भी करें।
  • अंत में क्षमा-प्रार्थना करें और प्रसात वितरण कर भजन कीर्तन करते हुए रतजगा करें क्योंकि स्वयं सृष्टि के पालनहार ने आपके यहां जन्म ले लिया है।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधियां, तरीके और दावे अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं।  REPUBLIC BHARAT आर्टिकल में दी गई जानकारी के सही होने का दावा नहीं करता है। किसी भी उपचार और सुझाव को अप्लाई करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

Updated 20:33 IST, August 26th 2024

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