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Published 18:20 IST, December 22nd 2024

'हम अपने फैसलों पर दूसरे देशों के वीटो की इजाजत नहीं...', मुंबई से S Jaishankar का विश्व को संदेश

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि अब तो काफी समय हो चुका है जब हमें प्रगति और आधुनिकता को अपनी विरासत और परंपराओं की अस्वीकृति के रूप में देखने के लिए बताया गया है।

Reported by: Ravindra Singh
S Jaishankar का विश्व को बड़ा संदेश | Image: fb

External Affairs Minister Dr S Jaishankar On VETO: विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने मुंबई के एक कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि भारत एक असाधारण देश है, क्योंकि वो कल्चर वाला देश है। भारत देश के हित और दुनिया की भलाई के लिए जो कुछ भी सही होगा वो करेगा। उन्होंने इस दौरान पूरे विश्व को मुंबई के इस कार्यक्रम से संदेश देते हुए कहा, 'भारत कभी भी दूसरों को अपने फैसलों पर वीटो लगाने की अनुमति नहीं देगा। वह बिना किसी डर के अपने राष्ट्रीय हितों का पालन करेगा।' विदेश मंत्री ने आगे कहा कि आजादी को कभी भी तटस्थता के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए। हम बिना किसी भय के अपने राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए सही कर्मों का चयन करेंगे।


विदेश मंत्री ने आगे कहा कि अब तो काफी समय हो चुका है जब हमें प्रगति और आधुनिकता को अपनी विरासत और परंपराओं की अस्वीकृति के रूप में देखने के लिए बताया गया है। भारत बिना अपनी भारतीयता खोए हुए ही प्रगति करेगा। तभी हम विश्व में एक बढ़ती हुई शक्ति के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा सकेंगे। इसके लिए इस वैश्वीकरण के युग में प्रौद्योगिकी और परंपरा को एक साथ चलना होगा। एस जयशंकर को मुंबई में 27वें SIES श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

 

STRONG MESSAGE TO WEST.

EAM S Jaishankar says, "India can never permit others to have a veto on its choices." 🎯

"India will do whatever is right in the national interest and for the global good without being intimidated to conform." #zelena pic.twitter.com/9XXLEYShUr

— Nehra (@Nehra_Singh80)


किन लोगों को मिलता है ये सम्मान?

विदेश मंत्री एस जयशंकर को मुंबई के 27वें SIES श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आपको बता दें कि विदेश मंत्री को दिया गया ये पुरस्कार 4 क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को दिए जाते हैं। पहला है जो सार्वजनिक नेतृत्व कर रहा हो, दूसरा जो सामुदायिक नेतृत्व कर रहा हो, जो मानव प्रयास में भी शामिल हो, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा सामाजिक नेतृत्व, इसमें अध्यात्मवाद को प्राथमिकता दी जाती है। इन पुरस्कारों का नाम कांची कामकोटि पीठम के 68वें द्रष्टा स्वर्गीय श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती के नाम पर रखा गया है।


VETO का जिक्र कर दुनिया को एस जयशंकर ने क्या संदेश दिया?

मौजूदा समय राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (UNSC) के पांच स्थायी सदस्य हैं, जबकि कुल 15 सदस्य हैं। इसकी स्थापना साल 1945 में हुई थी। इसमें रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका स्थायी सदस्य हैं। ये वो पांच देश हैं जो यूएनएससी के स्थायी सदस्य हैं और ये प्रक्रियात्मक फैसलों को छोड़कर किसी भी फैसले पर अपना वीटो दे सकते हैं। इन 5 स्थायी सदस्यों को छोड़कर बाकी 10 अस्थायी सदस्य दो साल के लिए चुने जाते हैं, जिनके पास वीटो पॉवर नहीं होता है। भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इस व्यवस्था में लगातार सुधार की मांग कर रहा है। भारत का कहना है कि 21वीं सदी में UNSC के 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद पर्याप्त नहीं है। इसमें विस्तार किया जाना चाहिए स्थाई और अस्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत अपने वीटो के लिए ही आवाज उठा रहा है भारत के लिए ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका भी UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए भरपूर कोशिश कर रहे हैं। 

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Updated 18:20 IST, December 22nd 2024

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