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पब्लिश्ड 20:56 IST, January 2nd 2025

भारत के इतिहास को तथ्यों-प्रमाणों के साथ लिखने और दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का वक्त, कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग- शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि PM मोदी के दृढ़ संकल्प ने धारा 370 को समाप्त कर दिया। इससे देश के बाकी हिस्सों के साथ कश्मीर का विकास का अध्याय शुरू हुआ।

Reported by: Deepak Gupta
Amit Shah | Image: PTI

Amit Shah: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 'जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख: सातत्य और संबद्धता का ऐतिहासिक वृत्तांत' पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में  कहा कि धारा 370 और 35A हमारे देश के साथ कश्मीर को एकरूप होने से रोकने वाले प्रावधान थे। प्रधानमंत्री मोदी के दृढ़ संकल्प ने धारा 370 को समाप्त कर दिया। इससे देश के बाकी हिस्सों के साथ कश्मीर का विकास का अध्याय शुरू हुआ।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमने न केवल आतंकवाद को नियंत्रित किया है, बल्कि मोदी सरकार ने आतंक के इको-सिस्टम को भी घाटी से पूरी तरह समाप्त करने का काम किया है। भारत को समझने के लिए हमारे देश को जोड़ने वाले तथ्यों को समझना होगा। कश्मीर और लद्दाख कहां थे, इसका विश्लेषण करना, इस आधार पर कि किसने शासन किया, यहां कौन रहता था और क्या समझौते हुए, व्यर्थ है और केवल इतिहास की कुटिल दृष्टि वाले इतिहासकार ही ऐसा कर सकते हैं।

कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है और हमेशा से रहा है- अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि सभी क्षेत्रों में फैली भारत की 10,000 साल पुरानी संस्कृति कश्मीर में भी मौजूद थी। जब 8000 साल पुरानी किताबों में कश्मीर और झेलम का जिक्र है, तो कोई भी इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता कि कश्मीर किसका है। कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है और हमेशा से रहा है। कोई भी इसे कानून की धाराओं का उपयोग करके अलग नहीं कर सकता। कानून का उपयोग करके इसे अलग करने का प्रयास किया गया लेकिन समय के प्रवाह में उन धाराओं को निरस्त कर दिया गया और सभी बाधाएं दूर हो गईं।

आज देश में ऐसा शासन है, जो देश के विचारों से संचालित हो रहा है- शाह

शाह ने कहा कि यह पुस्तक प्रमाणित करती है कि भारत के कोने-कोने में जो संस्कृति, भाषाएं, लिपियां, आध्यात्म के विचार, तीर्थ स्थलों की कला, व्यापार और वाणिज्य बिखरा हुआ है, वो 10 हजार वर्षों से कश्मीर में उपस्थित था और वहां से ही देश में आया। काशी, मगध, बौद्ध और शैव दर्शन, लद्दाख की मूर्तिकला और मंदिरों के अवशेषों का इतिहास इस पुस्तक में गंगा की तरह समाहित है, जो कश्मीर को भारत का अविभाज्य अंग प्रमाणित करता है। इतिहासकारों को कोसने के बजाय आगे बढ़ें। आज देश में ऐसा शासन है, जो देश के विचारों से संचालित हो रहा है।

अब वक्त है, भारत के इतिहास को तथ्यों और प्रमाणों के साथ लिखने का- शाह

गृहमंत्री ने कहा कि शासकों को खुश करने के लिए लिखे गए इतिहास से छुटकारा पाने का समय आ गया है। अब वक्त है, भारत के इतिहास को तथ्यों और प्रमाणों के साथ लिखने और दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का। महर्षि चरक, सुश्रुत और पंडित कल्हण जैसी महान विभूतियों के कार्यों को पढ़ने पर कश्मीर की समृद्ध संस्कृति और उसकी गहराई का अद्वितीय चित्र उभरकर सामने आता है। बौद्ध धर्म की चतुर्थ काउन्सिल कनिष्क के समय में कश्मीर में आयोजित की गई, जो कश्मीर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को प्रमाणित करती है। 

इसे भी पढ़ें: 'लालू जी कितने सपने देखें, वो...', नीतीश को ऑफर पर फडणवीस की प्रतिक्रिया
 

अपडेटेड 21:13 IST, January 2nd 2025

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