Search icon
Download the all-new Republic app:

Published 16:54 IST, August 29th 2024

SC ने रेवंत रेड्डी पर जताई नाराजगी, कविता की जमानत पर टिप्पणी का मामला

SC ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मामलों में बीआरएस नेता के. कविता को दी गई जमानत के संबंध में रेवंत रेड्डी की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताई।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी | Image: facebook

उच्चतम न्यायालय ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मामलों में बीआरएस नेता के. कविता को दी गई जमानत के संबंध में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी की टिप्पणियों पर बृहस्पतिवार को कड़ी आपत्ति जताई। रेड्डी ने कविता की जमानत के लिए भाजपा और बीआरएस के बीच कथित सौदेबाजी की ओर इशारा किया था। उनके इस बयान पर नाराज़गी जताते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे बयानों से लोगों के मन में आशंकाएं पैदा हो सकती हैं।

रेड्डी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा…

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने रेड्डी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा, “क्या आपने अखबार में पढ़ा कि उन्होंने क्या कहा? बस इतना पढ़िए, कि उन्होंने क्या कहा। एक ज़िम्मेदार मुख्यमंत्री का यह कैसा बयान है? इससे लोगों के मन में आशंकाएं पैदा हो सकती हैं। क्या एक मुख्यमंत्री को ऐसा बयान देना चाहिए? संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति इस तरह से बोल रहे हैं?”

पीठ ने कहा, “ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में उन्हें अदालत को क्यों घसीटना चाहिए? क्या हम राजनीतिक दलों से सलाह-मशविरा करके आदेश पारित करते हैं? हमें राजनीतिक नेताओं या किसी अन्य द्वारा हमारे फैसलों की आलोचना करने से कोई परेशानी नहीं होती। हम अपने विवेक और शपथ के अनुसार अपना कर्तव्य निभाते हैं।”

रेड्डी ने मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि विधान परिषद सदस्य कविता को पांच महीने में जमानत मिलने पर संदेह है, जबकि मनीष सिसोदिया को 15 महीने बाद जमानत मिली और अरविंद केजरीवाल को अब तक जमानत नहीं मिली है। उन्होंने आरोप लगाया, “यह सच है कि बीआरएस ने 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की जीत के लिए काम किया। ऐसी भी चर्चा है कि कविता को बीआरएस और भाजपा के बीच समझौते के कारण जमानत मिली।”

शीर्ष अदालत ने कहा कि संस्थाओं के प्रति परस्पर सम्मान रखना बुनियादी कर्तव्य है और एक दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। पीठ ने कहा, “हम हमेशा कहते हैं कि हम विधायिका में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, तो उनसे भी यही अपेक्षा की जाती है। क्या हम राजनीतिक विचारों के आधार पर आदेश पारित करते हैं?”

पीठ में न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन भी शामिल हैं। शीर्ष अदालत 2015 के ‘नकद के बदले वोट’ घोटाला मामले में मुकदमे को राज्य से भोपाल स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रेड्डी एक आरोपी हैं।

ये भी पढ़ें - ममता बनर्जी के समर्थन में आए तेजस्वी, कहा-सिर्फ बंगाल में ही रेप नहीं...

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Updated 16:54 IST, August 29th 2024

Recommended

Live TV

Republic Bharat is Bharat's leading news channel.