Published 22:24 IST, November 5th 2024

Social Media Reels Addiction: कैसे लगती है लत? बचपन के बुरे अनुभव हो सकते कारण, एडिक्शन से ऐसे बचे

जब घर की कोई बात या किसी घटना से ट्रिगर होते हैं तो शॉर्ट्स-रील्स का सहारा लेते हैं, जिससे लोगों की निर्भरता बढ़ती जाती है और ये एक लत का रूप ले लेती है।

Reported by: Nidhi Mudgill
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सोशल मीडिया एडिक्शन से बचे | Image: Pixabay
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Social Media Reels Addiction: सोशल मीडिया की लत लगातार तेजी से बढ़ रही है, खासकर रील्स और शॉर्ट्स जैसे छोटे वीडियो के रूप में। इंस्टाग्राम रील्स हो या यूट्यूब शॉर्ट्स (YOUTUBE) इन वीडियो ने लोगों की जिंदगी में अपनी गहरी जगह बना ली है। लोगों के पल पल में आज सोशल मीडिया घुस चुका है। 15 सेकेंड्स से लेकर एक मिनट तक की ये छोटे-छोटे वीडियो थोड़े वक्त के लिए खुशी का अहसास तो कराते हैं, लेकिन क्या आप इस बारे में समझ बना पा रहे हैं कि ये आपको एक खतरनाक लत की तरफ धकेल रही है। इन वीडियोज को देखने से मस्तिष्क में डोपामाइन नामक हार्मोन का स्त्राव होता है, जो हमें थोड़ी देर के लिए आनंद का अनुभव कराता है, लेकिन ये मस्तिष्क को इनका आदी बना रहा है। 

कंप्यूटर इन ह्यूमन बिहेवियर में प्रकाशित एक अध्ययन सामने आया है, जिसमें ये सामने आया कि सोशल मीडिया शॉर्ट्स का एडिक्शन बचपन के बुरे अनुभवों से जुड़ा हो सकता है। चीनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि जिन लोगों के बचपन में मानसिक या शारीरिक शोषण, उनकी अनदेखी होना, पारिवारिक समस्याएं, या बाकि नेगेटिव घटनाएं रही हैं, उनमें शॉर्ट-फॉर्म वीडियोज की लत लगने का खतरा ज्यादा बढ़ रहा है। बचपन की कठिनाईयों का सामना करने के बजाय, वे इन वीडियोज से अपनी समस्याओं से दूर भागते हैं, जो धीरे-धीरे लत बन जाती है।

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जो लोग जीवन से संतुष्ट नहीं वो हो रहे हैं शिकार

रिसर्च में पाया गया कि जो लोग अपनी जीवन से संतुष्ट नहीं होते हैं, उनमें इंस्टाग्राम रील्स, Facebook या Youtube शॉर्ट्स देखने की आदत ज्यादा देखने को मिलती है। ये लोग अपनी परेशानियों को नजरअंदाज करने के लिए इन वीडियोज में खो जाते हैं। जब भी उन्हें घर की कोई बात या किसी घटना से ट्रिगर मिलता है, वे शॉर्ट्स या रील्स का सहारा लेते हैं, जिससे उनकी निर्भरता बढ़ती जाती है और यह पूरी तरह से एक लत का रूप ले लेती है।

लत का मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर

सोशल मीडिया की लत मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकती है। बार-बार रील्स और शॉर्ट्स देखने से तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसके अलावा, यह लत दिमाग को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है।

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सोशल मीडिया की लत से बचने के कुछ तरीके

  1. टाइम सीमित करें: सोशल मीडिया रील्स, Facebook या वीडियोज के लिए टाइम निर्धारित करें  
  2. सोशल मीडिया ऐप्स हटाए: अपने फोन से सोशल मीडिया ऐप्स को हटा दें या उनका यूज कम कर दें 
  3. दूसरे ऑप्शन रखें: पढ़ाई, लेखन, योग या किसी खेल में खुद को अपनी दिनचर्या में जोड़ें 
  4. परिवार और दोस्तों के साथ वक्त बिताएं: रिश्तों में समय लगाएं और उनसे जुड़े
  5. सोशल मीडिया के साइड इफेक्ट्स को समझें: सोशल मीडिया से जुड़े नेगेटिव प्रभावों के बारे में जागरूक रहें 
  6. गोल्स पर ध्यान दें: अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों को पाने के लिए अपना ध्यान केंद्रित करें 
  7. हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं: नियमित व्यायाम, ध्यान और संतुलित खाना खाएं 

सोशल मीडिया एक साधन है, न कि जीवन का जरूरी हिस्सा। अगर हम इसे सही तरीके से यूज करें, तो यह सहायक हो सकता है। नहीं तो ये हमारे पल पल में घुसकर हमें सिर्फ विज्ञापन ही दिखाएगा। अपने जीवन में सोशल मीडियो को इतनी अहमियत न दें कि ये आपकी मानसिक स्थिति को खराब कर दें। दिमाग को सोशल मीडिया की आदत लगवाने से बेहतर है आप असल जिंदगी में देखें, कि आपको क्या चीज़ें खुशिया देती हैं। सोशल मीडिया पर सब देखना जरूरी नहीं।'

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22:24 IST, November 5th 2024