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पब्लिश्ड 17:32 IST, September 12th 2024

EXPLAINER/ JNU छात्र नेता से 3 बार CPI-M के महासचिव बनने तक... कैसा रहा सीताराम येचुरी का राजनीतिक सफर?

सीताराम येचुरी भारतीय CPI- M के महासचिव का आज निधन हो गया। ये भी एक इत्तेफाक है कि येचुरी का जन्म भी 12 तारीख को हुआ था और निधन भी 12 तारीख को हुआ।

Reported by: Ravindra Singh
सीताराम येचुरी का राजनीतिक सफर | Image: Republic

Sitaram Yechury Political Journey: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) के महासचिव सीताराम येचुरी का गुरुवार (12 सितंबर) को एम्स में इलाज के दौरान निधन हो गया। येचुरी ने 72 साल की अवस्था में अंतिम सांस ली। वो काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनकी श्वास नली में संक्रमण हो गया था जिसकी वजह से उन्हें दिल्ली के एम्स में पिछले कुछ दिनों से वेंटिलेटर मशीन पर रखा गया था। 19 अगस्त के दिन सीताराम येचुरी को तेज बुखाबर और सीने में संक्रमण की वजह से इलाज के लिए एम्स में भर्ती करवाया गया था। अभी हाल में ही उनकी मोतियाबिंद की सर्जरी भी हुई थी।


सीताराम येचुरी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव और पार्टी के संसदीय समूह के नेता थे। ये भी एक इत्तेफाक है कि येचुरी का जन्म भी 12 तारीख को हुआ था और उनका निधन भी 12 तारीख को ही हुआ। उनका जन्म 12 अगस्त 1952 को चेन्नई में एक तेलुगु भाषी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में इंजीनियर थे। उनकी माता कल्पकम येचुरी एक सरकारी अधिकारी थीं। वह हैदराबाद में बड़े हुए और दसवीं कक्षा तक हैदराबाद के ऑल सेंट्स हाई स्कूल में पढ़ाई की। साल 1969 का तेलंगाना आंदोलन उन्हें दिल्ली ले आया। सीताराम अर्थशास्त्र में पीएचडी के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था पर इमरजेंसी के दौरान उनकी गिरफ्तारी के बाद वो पूरी नहीं हो पाई।


सीताराम येचुरी का सियासी सफर

सीताराम येचुरी सन 1974 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एस.एफ.आई) में शामिल हुए और उसके एक साल बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य बने। आपातकाल के समय जब वो JNU के छात्र थे तब उन्हें गिरफ्तार किया गया था। आपातकाल के खिलाफ गुप्त में विरोध गठन करने के लिए। आपातकाल और उनके रिहा के बाद, येचुरी को JNU के छात्र-संगठन का नेता एक ही साल तीन बार निर्वाचित हुए थे। 1978 में येचुरी स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के सर्वभारतीय संयुक्त-संपादक बने एवं बाद में चल कर वह एस.एफ.आई के सर्वभारतीय सभापति निर्वाचित हुए। वह पहले ऐसे सभापति थे जो केरल या पश्चिम बंगाल से नहीं थे।


CPI-M की केंद्र समिति से महासचिव तक का सफर

1984 में वह सी.पी.आई.एम के केंद्रीय समिति में शामिल किए गए। एक साल बाद पार्टी का संविधान में बदलाव हुआ और एक पांच सदस्य केंद्रीय संपादक मण्डली का चुनाव हुआ। इस मंडली में येचुरी थे और उनके साथ प्रकाश करात, स.रामाचंदन पिल्लाई, प.रामाचंदन और सुनील मोइत्रा निर्वाचित हुए। यह संपादक मंडली पार्टी के पॉलिटबीयूरो के अन्तर्गत कार्य करेगी। आगे चलकर सीताराम येचुरी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPI-M) के महासचिव भी बनें।


CPI-M के पोलित ब्यूरो के सदस्य साल 2015 में बने पार्टी के महासचिव

सीताराम येचुरी साल 1992 से CPI-M के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी हैं। इसके पहले साल 2005 से लेकर साल 2017 तक वो पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सांसद भी रहे। येचुरी 1974 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) में शामिल हुए थे और एक साल बाद, वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) में शामिल हो गए थे। साल 2016 में येचुरी को राज्यसभा में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार दिया गया। साल 2015 में येचुरी को पार्टी का महासचिव चुन लिया गया था।

 

यह भी पढ़ेंः BREAKING: सीताराम येचुरी का निधन, दिल्ली AIIMS में ली अंतिम सांस
 

अपडेटेड 17:45 IST, September 12th 2024

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