Published 19:14 IST, December 20th 2024
आत्महत्या के लिए उकसाने के मामलों पर SC, कहा- आरोप साबित करना आवश्यक
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में यह साबित किया जाना आवश्यक है कि आरोपी ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी को ऐसा करने के लिए उकसाया था।
- भारत
- 2 min read
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में यह साबित किया जाना आवश्यक है कि आरोपी ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी को ऐसा करने के लिए उकसाया था। न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 306 को किसी मामले में कायम रखने के लिए यह साबित होना आवश्यक है कि आरोपी के उकसाने की वजह से किसी ने आत्महत्या की।
न्यायालय ने कहा कि…
अदालत ने 25 वर्षीय महिला को आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के मामले में उसके पति और ससुराल के सदस्यों को बरी करते हुए यह टिप्पणी की। न्यायालय ने कहा कि उकसावे और आत्महत्या के बीच काफी निकट संबंध होना चाहिए। न्यायालय ने कहा, 'अभियुक्त की मंशा साबित किए बिना उक्त धारा के तहत आरोप कायम नहीं रखा जा सकता।'
शीर्ष अदालत ने महिला के पति, ससुर और देवर द्वारा दायर एक अपील पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें बंबई उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2022 के फैसले को चुनौती दी गई थी। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड सहिंता (आईपीसी) की धारा 306 और धारा 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था। न्यायालय ने कहा कि एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में 25 वर्षीय महिला की जान चली गई।
पीठ ने कहा, 'हालांकि, यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि अपीलकर्ताओं ने जानबूझकर महिला को ऐसी स्थिति में डाल दिया था कि उसके पास आत्महत्या करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था। अपीलकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखने से कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। लिहाजा हम अपील को स्वीकार करते हैं।”
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Updated 19:14 IST, December 20th 2024