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Published 22:13 IST, July 8th 2024

नीट-यूजी की शुचिता भंग हुई है, पुन: परीक्षा का निर्णय पेपर लीक की सीमा पर आधारित होगा: सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने कहा, "एक बात स्पष्ट है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि परीक्षा की शुचिता भंग हुई है। सवाल यह है कि लीक कितना व्यापक है?"

supreme court regarding neet paper leak | Image: Sutterstock

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि नीट-यूजी 2024 की शुचिता ‘‘भंग’’ हुई है और यदि पूरी प्रक्रिया प्रभावित हुई है तो दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दिया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने साथ ही राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से प्रश्नपत्र लीक होने के समय एवं तरीके के साथ ही गलत कृत्य करने वालों की संख्या की जानकारी मांगी ताकि इसके प्रभाव का पता लगाया जा सके।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने केंद्र और प्रतिष्ठित परीक्षा आयोजित करने वाली राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) से कड़े शब्दों में कहा, "हमें नकारना की मुद्रा में नहीं रहना चाहिए। इससे समस्या और बढ़ेगी।"

एक बात स्पष्ट है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है- सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने कहा, "एक बात स्पष्ट है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि परीक्षा की शुचिता भंग हुई है। सवाल यह है कि लीक कितना व्यापक है?"

पीठ ने कई सवाल उठाते हुए कहा कि अगर शुचिता भंग होने से पूरी प्रक्रिया प्रभावित होती है तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा। अदालत ने कहा कि अगर नीट-यूजी 2024 की शुचिता "नष्ट’’ हो गई है और अगर इसके लीक प्रश्नपत्र को सोशल मीडिया के जरिये प्रसारित किया गया है तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा।

पेपर लीक के लाभार्थियों का पता लगाना होगा- सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने कहा कि प्रश्नपत्र लीक की सीमा और भौगोलिक सीमाओं के पार लाभार्थियों का पता लगाना होगा, उसके बाद ही अदालत पांच मई को आयोजित हुई विवादास्पद मेडिकल प्रवेश परीक्षा में दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दे सकती है। उक्त परीक्षा 14 विदेशी शहरों सहित 571 शहरों में 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी जिसमें 23.33 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे।

इसने कहा कि यदि उल्लंघन विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित हो और गलत काम करने वालों की पहचान करना संभव हो, तो इतने बड़े पैमाने की परीक्षा में दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देना उचित नहीं होगा।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे इस बात की पड़ताल करनी होगी कि क्या कथित उल्लंघन "प्रणालीगत स्तर" पर हुआ है, क्या इसने पूरी परीक्षा प्रक्रिया की शुचिता को प्रभावित किया है और क्या धोखाधड़ी के लाभार्थियों को 5 मई को परीक्षा देने वाले बेदाग अभ्यर्थियों से अलग करना संभव है।

पीठ ने कहा, "ऐसी स्थिति में जिसमें शुचिता भंग होने से पूरी प्रक्रिया प्रभावित होती है और गलत कृत्यों के लाभार्थियों को दूसरों से अलग करना संभव नहीं है, फिर से परीक्षा कराने का आदेश देना आवश्यक हो सकता है।"

कोर्ट ने  एनटीए को गलत कृत्यों के लाभार्थियों की जानकारी मांगी

पीठ ने कहा, ‘‘एक बात स्पष्ट है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है।’’ पीठ ने एनटीए को गलत कृत्यों के लाभार्थियों की जानकारी के साथ ही उनकी पहचान के लिए अपनाये गए तरीके की भी जानकारी मांगी।

अदालत ने कदाचार, ओएमआर शीट में हेराफेरी, अभ्यर्थी की जगह किसी अन्य के परीक्षा देने और धोखाधड़ी के आरोपों की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के जांच अधिकारी को जांच की सोमवार तक की स्थिति बताने वाली रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा कि एनटीए को गलत कामों के लाभार्थियों की पहचान के लिए अब तक उठाए गए कदमों का खुलासा करना चाहिए।

पीठ ने एनटीए से उन केंद्रों और शहरों की पहचान करने के लिए उठाए गए कदमों, जहां प्रश्नपत्र लीक हुए थे, लाभार्थियों की पहचान करने के लिए अपनाए गए तौर-तरीकों और अब तक पता लगाई गई उनकी संख्या के बारे में जानकारी मांगी।

पुनः परीक्षा के आदेश से पहले जानना चाहते हैं कि लीक की प्रकृति क्या है- कोर्ट

पीठ ने कहा, "पुनः परीक्षा के लिए आदेश पारित करने से पहले, हमें यह समझना चाहिए कि लीक की प्रकृति क्या है।" उसने कहा कि 23 लाख से अधिक अभ्यर्थियों को परीक्षा में फिर से बैठने के लिए कहना कठिन है।

उसने कहा, "लीक किस तरीके से हुई? क्या लीक का तरीका टेलीग्राम और व्हाट्सऐप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से है..., तो संभावना है कि लीक व्यापक है।"

पीठ ने कहा, "इस दृष्टिकोण से, एनटीए को अपने पास मौजूद सामग्रियों के आधार पर स्पष्ट करने का निर्देश दिया जाता है: (1) प्रश्नपत्र का लीक पहली बार कब हुआ; (2) प्रश्नपत्र किस तरह लीक हुआ और प्रसारित हुआ; (3) लीक की घटना और 5 मई को हुई परीक्षा के वास्तविक आयोजन के बीच की समय अवधि।"

नीट-यूजी 2024 की काउंसलिंग की स्थिति के बारे में जानकारी मांगते हुए, जिसे फिलहाल टाल दिया गया है, शीर्ष अदालत ने केंद्र और एनटीए से साइबर फोरेंसिक यूनिट या अन्य विशेषज्ञ एजेंसियों से डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करने की व्यवहार्यता के बारे में भी पूछा ताकि संदिग्ध मामलों का पता लगाया जा सके जिसमें उन्हें फिर से परीक्षा देने के लिए कहा जा सकता है।

नीट-यूजी की शुचिता सुनिश्चित करने पर चिंता व्यक्त करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सरकार के लिए जानेमाने विशेषज्ञों की एक बहु-विषयक टीम गठित करने पर विचार करना आवश्यक होगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

नीट-यूजी 2024 से संबंधित 30 से अधिक याचिकाओं हुई सुनवाई

उच्चतम न्यायालय विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 से संबंधित 30 से अधिक याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई कर रहा था। इनमें पांच मई को हुई परीक्षा में अनियमितताओं और कदाचार का आरोप लगाने वाली और परीक्षा नये सिरे से आयोजित करने का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।

उसने कहा कि यदि प्रश्नपत्र लीक टेलीग्राम, व्हाट्सऐप और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से हो रहा है, तो यह "जंगल में आग की तरह फैलेगा।’’

पीठ ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है। हम लीक की सीमा का पता लगा रहे हैं।" पीठ ने कहा कि इसमें कुछ "चेतावनी के संकेत" हैं क्योंकि 67 उम्मीदवारों ने 720 में से 720 अंक प्राप्त किए हैं। पीठ ने कहा, "पिछले वर्षों में यह अनुपात बहुत कम था।"

11 जुलाई को याचिकाओं पर अगली सुनवाई

केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी ने हाल में न्यायालय में अपने हलफनामों के जरिये कहा था कि गोपनीयता भंग होने के किसी साक्ष्य के बिना इस परीक्षा को रद्द करने का बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इससे लाखों ईमानदार अभ्यर्थियों पर ‘‘गंभीर असर’’ पड़ सकता है।

देश भर के सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनटीए द्वारा नीट-यूजी परीक्षा आयोजित की जाती है। पेपर लीक सहित अनियमितताओं के आरोपों के कारण कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए और प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के बीच तकरार हुई।

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Updated 22:13 IST, July 8th 2024

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