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Published 09:10 IST, November 28th 2024

संभल हिंसाः सरकार नुकसान की भरपाई उपद्रवी तत्वों से करेगी, संसद के भीतर और बाहर जुबानी जंग शुरू

उत्तर प्रदेश के संभल में रविवार को हुई हिंसा के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई उपद्रवी तत्वों से करने समेत कड़े कदम उठाने और इन तत्वों की पहचान के लिए जगह-जगह उनके पोस्टर लगवाने की प्रदेश सरकार की घोषणा के बाद संसद के भीतर और बाहर जुबानी जंग शुरू हो गई।

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Violence erupts during protest over Sambhal mosque survey; 3 killed, 20 cops among injured | Image: ANI
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उत्तर प्रदेश के संभल में रविवार को हुई हिंसा के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई उपद्रवी तत्वों से करने समेत कड़े कदम उठाने और इन तत्वों की पहचान के लिए जगह-जगह उनके पोस्टर लगवाने की प्रदेश सरकार की घोषणा के बाद संसद के भीतर और बाहर जुबानी जंग शुरू हो गई। पुलिस ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपियों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी के लिए 30 टीमें गठित की गई हैं। उन्होंने बताया कि कोट पूर्वी इलाके से कथित दंगाइयों की 100 से अधिक तस्वीरें जारी की गई हैं।

उन्होंने बताया कि संभल में बाजार और स्कूल फिर से खुलने के बावजूद ऐतियाती उपाय के तहत इंटरनेट पर प्रतिबंध 48 घंटों के लिए बढ़ा दिया गया है। संभल शहर के मोहल्ला कोट पूर्वी स्थित मुगल कालीन जामा मस्जिद में पिछले रविवार को अदालत के आदेश पर सर्वे का काम शुरू किया गया था। इसके विरोध में भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी जबकि एक उप जिलाधिकारी समेत कम से कम 25 लोग घायल हो गए थे।

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आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस टकराव में नईम, बिलाल, नोमान और कैफ नाम के युवकों की मृत्यु हो गयी। पुलिस ने अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया है और साथ ही प्राथमिकी भी दर्ज की है। नामजद आरोपियों में सपा सांसद जिया-उर-रहमान बर्क, स्थानीय विधायक इकबाल महमूद का बेटा सोहैल इकबाल और 2,750 अज्ञात व्यक्ति शामिल हैं। राज्यसभा में विपक्ष ने संभल में हिंसा की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग की। इससे संसद के दोनों सदन- लोकसभा और राज्यसभा बिना किसी कामकाज के स्थगित हो गए।

समाजवादी पार्टी के नेताओं ने बुधवार को कहा कि वे संसद में संभल मुद्दे पर बहस करना चाहते हैं और इस हिंसा की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में कराए जाने की मांग करते हैं। सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा, “हम संभल की घटना पर चर्चा चाहते हैं। हमारे कई सांसदों ने इस संबंध में सभापति को नोटिस जारी किया है। हम सदन में पुलिस और प्रशासन के अमानवीय व्यवहार के बारे में बोलना चाहते हैं।” समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में पुलिस पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए दावा किया कि अधिकारियों ने नईम के परिजनों को धमकाया और सादे कागज पर उनका अंगूठा लगवाया।

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अपनी पोस्ट में यादव ने एक मीडिया रिपोर्ट संलग्न की है जिसमें नईम के परिजनों ने दावा किया कि 25 नवंबर की रात करीब 20 पुलिसकर्मी उनके घर आए और मीडिया से बात करने के खिलाफ चेतावनी दी। नईम के भाई तसलीम ने भी आरोप लगाया कि पुलिस ने एक सादे कागज पर उनका अंगूठा लगवाया। यादव ने कहा, “किसी को धमकाना और सादे कागज पर उनका अंगूठा लगवाना भी अपराध है। उच्चतम न्यायालय को तत्काल इसका संज्ञान लेना चाहिए और इसके लिए जिम्मेदार सभी लोगों को दंडित करना चाहिए। केवल अदालत न्याय सुनिश्चित करेगी।” संभल पुलिस ने यादव के आरोप पर अभी तक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

दिल्ली में संभल से सपा सांसद जिया-उर-रहमान ने दावा किया कि घटना के समय वह मौके पर मौजूद नहीं थे। उन्होंने नागरिकों पर गोली चलाने के लिए पुलिस और प्रशासन की भर्त्सना की और यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संभल का दौरा करना चाहिए। इस बीच, हिंदू पक्ष के वकील गोपाल शर्मा ने इन आरोपों का खंडन किया कि मस्जिद का दूसरा सर्वे गैर कानूनी था। सोमवार को शाही जामा मस्जिद प्रबंधन समिति के अध्यक्ष जफर अली ने आरोप लगाया था कि हाल ही में किया गया मस्जिद का सर्वे गैर कानूनी था। उन्होंने दावा किया कि वह रविवार की घटना के प्रत्यक्षदर्शी थे। शर्मा ने कहा कि सर्वे का आदेश एडवोकेट कमिश्नर द्वारा दिया गया और यह जल्दबाजी में नहीं दिया गया। कमिश्नर की रिपोर्ट 29 नवंबर को अदालत में पेश किये जाने की संभावना है जहां दोनों पक्षों को जवाब देने का अवसर मिलेगा।

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09:10 IST, November 28th 2024