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पब्लिश्ड 00:18 IST, September 6th 2024

राजनाथ सिंह ने उकसावे की घटनाओं पर समन्वित, त्वरित और उचित कार्रवाई करने पर जोर दिया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों से यूक्रेन और गाजा में संघर्षों के साथ-साथ बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति का विश्लेषण करने का आह्वान किया।

राजनाथ सिंह | Image: ANI

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को शीर्ष सैन्य अधिकारियों से यूक्रेन और गाजा में संघर्षों के साथ-साथ बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति का विश्लेषण करने का आह्वान किया ताकि भविष्य की किसी भी समस्या का अनुमान लगाया जा सके और ‘‘अप्रत्याशित स्थिति’’ से निपटने के लिए तैयार रहा जा सके।

सिंह ने यहां संयुक्त कमांडरों के प्रथम सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि शांति बनाए रखने के वास्ते सशस्त्र बलों को युद्ध के लिए तैयार रहने की जरूरत है और ‘‘उकसावे की घटनाओं पर समन्वित, त्वरित और उचित कार्रवाई करने पर जोर दिया’’।

रक्षा मंत्री का यह बयान पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच आया है।

सिंह ने चीन के साथ लगती भारत की सीमा पर स्थिति और पड़ोसी देशों के घटनाक्रम का गहन विश्लेषण करने पर जोर दिया, जो क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन रहे हैं।

‘सशक्त और सुरक्षित भारत: सशस्त्र बलों में बदलाव’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में ‘एकीकृत थिएटर कमान’ शुरू करने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना की रूपरेखा पर व्यापक चर्चा हुई।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हमारे पास एक मजबूत और सुदृढ़ राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचा होना चाहिए।’’ उन्होंने कमांडरों से सशस्त्र बलों के शस्त्रागार में पारंपरिक और आधुनिक युद्ध उपकरणों के सही मिश्रण की पहचान करने और उसे शामिल करने का भी आह्वान किया।

उन्होंने अंतरिक्ष और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में क्षमता विकास पर जोर दिया और इन्हें आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए अभिन्न अंग बताया।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार क्षेत्र में उभरते क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य पर सिंह ने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है और शांति बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों को युद्ध के लिए तैयार रहने की जरूरत है।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास के बीच जारी संघर्षों और बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति का उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्री ने कमांडरों से इन घटनाओं का विश्लेषण करने, देश के सामने भविष्य में आने वाली समस्याओं का अनुमान लगाने और ‘अप्रत्याशित’ परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।’’

इसमें कहा गया है कि सिंह ने उत्तरी सीमा पर स्थिति और पड़ोसी देशों में हो रही घटनाओं के मद्देनजर शीर्ष सैन्य नेतृत्व द्वारा व्यापक और गहन विश्लेषण की आवश्यकता पर बल दिया।

सिंह ने कहा, ‘‘वैश्विक अस्थिरता के बावजूद, भारत अपेक्षाकृत शांत माहौल में शांतिपूर्ण तरीके से विकास कर रहा है। हालांकि, चुनौतियों की बढ़ती संख्या के कारण हमें सतर्क रहने की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि हम अमृतकाल के दौरान शांति के माहौल को बरकरार रखें। हमें अपने वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, वर्तमान में हमारे आसपास हो रही गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत है और भविष्योन्मुखी होने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके लिए हमारे पास एक मजबूत और सुदृढ़ राष्ट्रीय सुरक्षा का घटक होना चाहिए। हमारे पास अचूक प्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए।’’

दो दिवसीय सम्मेलन बुधवार को शुरू हुआ था।

सम्मेलन में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, नौसेना अध्यक्ष एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने भी शामिल हुए।

सिंह ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में सशस्त्र बलों के ‘‘अमूल्य योगदान’’ की सराहना की।

रक्षा मंत्री ने तीनों सेनाओं के बीच समन्वय को बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की भी सराहना की।

उन्होंने अंतरिक्ष और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षेत्र में क्षमता विकास पर जोर दिया और इन्हें आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए अभिन्न अंग बताया। उन्होंने सैन्य नेतृत्व से डाटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी प्रगति के उपयोग को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का भी आग्रह किया।

सिंह ने रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देते हुए इस क्षेत्र को मजबूत करने तथा सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक स्वदेशी हथियारों और प्लेटफार्म से लैस करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने सेवारत और सेवानिवृत्त दोनों तरह के सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण और खुशहाली के प्रति सरकार के संकल्प को दोहराया।

इस सम्मेलन में देश के शीर्ष-स्तरीय सैन्य नेतृत्व ने हिस्सा लिया, जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में राष्ट्र के समक्ष वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया।

मंत्रालय ने कहा कि सम्मेलन में कमांडरों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम की समीक्षा करने का मौका मिला और साथ ही देश की रक्षा क्षमताओं को और बेहतर बनाने के उपायों पर भी चर्चा की गई।

अपडेटेड 00:18 IST, September 6th 2024

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