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Published 16:45 IST, September 18th 2024

'वन नेशन वन इलेक्शन' पर आया सियासी भूचाल, Asaduddin Owaisi भड़के- मोदी और शाह को छोड़कर किसी...

ओवैसी ने कहा कि मैंने 'एक देश एक चुनाव' का लगातार विरोध किया है क्योंकि यह एक समस्या की तलाश में एक समाधान है।

Reported by: Deepak Gupta
असदुद्दीन ओवैसी | Image: x/@asadowaisi

केंद्रीय कैबिनेट ने मोदी सरकार 3.0 के 100 दिन पूरे होने पर बड़ा फैसला लेते हुए 'एक देश एक चुनाव' (One Nation One Election) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रस्ताव के मुताबिक, साल 2029 में देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ हो सकते हैं।

'एक देश एक चुनाव' के प्रस्ताव पर केंद्रीय कैबिनेट की मुहर के बाद सियायी प्रतिक्रियाएं आनी भी शुरु हो गई हैं। अक्सर केंद्र के फैसलों को खिलाफ मुखर स्वर में बोलने वाले AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने 'एक देश एक चुनाव' का विरोध करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।

'एक देश एक चुनाव' संघवाद को नष्ट करता है- ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि मैंने 'एक देश एक चुनाव' का लगातार विरोध किया है क्योंकि यह एक समस्या की तलाश में एक समाधान है। यह संघवाद को नष्ट करता है और लोकतंत्र से समझौता करता है, जो संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है।

AIMIM चीफ ने कहा कि मोदी और शाह को छोड़कर किसी के लिए एक से अधिक चुनाव कोई समस्या नहीं हैं। सिर्फ इसलिए कि उन्हें नगरपालिका और स्थानीय निकाय चुनावों में भी प्रचार करने की अनिवार्य आवश्यकता है, इसका मतलब यह नहीं है कि हमें एक साथ चुनाव की आवश्यकता है। बार-बार और आवधिक चुनावों से लोकतांत्रिक जवाबदेही में सुधार होता है।

One Nation One Election के क्‍या हैं फायदे

एक देश एक चुनाव का सबसे बड़ा फायदा यह है कि चुनाव का खर्च घट जाएगा। अलग-अलग चुनाव कराने पर हर बार भारी-भरकम राशि खर्च होती है। बार-बार चुनाव होने से प्रशासन और सुरक्षा बलों पर बोझ पड़ता है, क्योंकि उन्हें हर बार चुनाव ड्यूटी करनी पड़ती है। एक बार में चुनाव निपट जाने पर केंद्र और राज्य सरकारें कामकाज पर फोकस कर सकेंगी। बार-बार वह इलेक्शन मोड में नहीं जाएंगी और विकास के कामों पर ध्यान दे सकेंगी।

626 पन्नों की रिपोर्ट

यह कमेटी इसी साल 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है। 191 दिनों तक विशेषज्ञों और स्टेकहोल्डर्स से चर्चा के बाद कमेटी ने 18 हजार 626 पन्नों की रिपोर्ट दी है। इसमें सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाकर 2029 तक करने का सुझाव दिया गया है, जिससे लोकसभा चुनाव के साथ ही इनके चुनाव भी कराए जा सकें।

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Updated 16:45 IST, September 18th 2024

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