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Published 14:50 IST, July 5th 2024

Jharkhand: 'परिवारवाद' की चक्की में पिस गए चंपई सोरेन? कुर्सी छिनने पर BJP बोली- ये है घोर अपमान

चंपई सोरेन का हेमंत सोरेन से पारिवारिक रिश्ता नहीं है। 31 जनवरी को हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद 2 फरवरी 2024 को चंपई सोरेन झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री बने थे।

Reported by: Dalchand Kumar
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चंपई सोरेन | Image: PTI
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Champai Soren: चंपई सोरेन से झारखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन ली गई। एक झटके में चंपई सोरेन मुख्यमंत्री से पूर्व मुख्यमंत्री बन गए। तो क्या माना जाए कि झारखंड मुक्ति मोर्चा मतलब JMM की कथित रूप से 'परिवारवाद' की राजनीति चंपई सोरेन पर भारी पड़ गई। अगर नहीं तो फिर सवाल पूछा जाना लाजमी है कि चंपई सोरेन की गलती क्या है, जो एक झटके में उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया। बीजेपी इसे चंपई सोरेन का घोर अपमान बता रही है।

'परिवारवाद' की सियासत को संभवत: लोकतंत्र की भावना के विपरीत माना जाता है, लेकिन कई राजनीतिक पार्टियां 'परिवारवाद' के सहारे ही जिंदा हैं। इन पार्टियों में झारखंड मुक्ति मोर्चा को भी गिना जाता है, क्योंकि शिबू सोरेन का राजनीतिक विरासत को अभी हेमंत सोरेन संभाल रहे हैं। जेल से लौटने के बाद हेमंत सोरेन ने ही चंपई सोरेन की कुर्सी छीन ली है और फिर से मुख्यमंत्री बन गए हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने गुरुवार को झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद कार्यभार संभाला।

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'चंपई सोरेन की गलती क्या है'

इसको समझना होगा कि हेमंत सोरेन की गैरमौजूदगी में, खासकर उस वक्त में जब JMM को एक मजबूत चेहरे की जरूरत थी, क्योंकि वो वक्त लोकसभा चुनावों का था, चंपई सोरेन ने अपनी सबसे अहम भूमिका निभाई। सूझबूझ के साथ चंपई सोरेन ने संगठन को मजबूत बनाए रखा और सत्ता का भी नेतृत्व किया। अपनी चुनावी परीक्षा में भी चंपई सोरेन खरे उतरे। लोकसभा चुनावों में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने शानदार प्रदर्शन किया और 3 सीटें जीतीं। उसके अलावा 2 सीटों पर अपनी सहयोगी कांग्रेस को भी जीत दिलाई। यही काबिलियत सत्ता के साथ उनके संगठन नेतृत्व को दिखाती है। खैर, अभी मुख्यमंत्री के तौर पर चंपई सोरेन की पारी का अंत हो चुका है।

चंपई सोरेन का हेमंत सोरेन से कोई पारिवारिक रिश्ता नहीं है। 31 जनवरी को हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद 2 फरवरी 2024 को चंपई सोरेन झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री बने थे। अपनी ईमानदारी, पार्टी के प्रति विश्वास और मेहनत की बदौलत वो मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे। पार्टी संग विश्वास का अंदाजा लगा सकते हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा में कई बार विभाजन के बावजूद चंपई सोरेन JMM के प्रमुख नेता शिबू सोरेन के साथ डटे रहे। हालांकि उन्हें अचानक मुख्यमंत्री पद से दूर कर देना सवाल खड़े कर देता है।

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BJP बोली- ये है घोर अपमान

भारतीय जनता पार्टी भी पूछ रही है कि चंपई सोरेन की क्या गलती है कोई ये बता दे। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के झारखंड चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि ये चंपई सोरेन का अपमान है। शिवराज सिंह का कहना है कि झारखंड का भविष्य इस सरकार ने अंधकार में डाल दिया है, इसलिए बीजेपी इस कुशासन का अंत करके सुशासन की स्थापना करेगी।

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बीजेपी विधायक और झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार कहते हैं कि झामुमो के वरिष्ठ नेता, गुरु जी (शिबू सोरेन) के साथी चंपई सोरेन को सत्ता के लिए इस प्रकार 'यूज एंड थ्रो' किया जाना इतिहास याद रखेगा। अमर कुमार कहते हैं- 'इन्हें (हेमंत सोरेन) पता है दो-तीन महीने में इनका सूपड़ा साफ होने वाला है, सिर्फ इसलिए सत्ता पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है, सोरेन खानदान का एक परिवार।'

बाबूलाल मरांडी कहते हैं- 'वो षड्यंत्रकारी कौन था, जो चंपई सोरेन के 'ऊंचे पद' को नहीं पचा पाया? इसका जवाब झारखंड की जनता को अच्छे से पता है। हेमंत सोरेन के साथ दिक्कत ये है कि ये सिर्फ अपने निजी परिवारजनों को ही आदिवासी समझते हैं। चंपई सोरेन के जैसा आंदोलनकारी और जुझारू व्यक्ति इन्हें आदिवासी नहीं लगता, झामुमो का कोई कार्यकर्ता इन्हें आदिवासी नहीं लगता। जिस तरह से आपने अकारण चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री की कुर्सी से अपदस्थ किया है, आदिवासी समाज उसका करारा जबाव जरूर देगी।'

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14:50 IST, July 5th 2024