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Published 11:41 IST, February 6th 2024

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में खुलासा, दिल्ली जल बोर्ड में बिना पोस्‍ट PS बिभव को केजरीवाल ने दिया फ्लैट

Delhi Jal Board Case: दिल्ली जल बोर्ड मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। शिकायत कॉपी के अनुसार केजरीवाल सरकार ने PS विभव कुमार को बिना पोस्ट के फ्लैट अलॉट की गई।

Reported by: Kanak Kumari Jha
दिल्ली जल बोर्ड केस | Image: Republic

Delhi Jal Board: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड (DJB) की निविदा प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की मनी लॉन्ड्रिंग जांच कर रही है। इसे लेकर अब एक और खुलासा हुआ है। दरअसल, ED दिल्ली जल बोर्ड के संबंध में दो अलग-अलग कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है। इस पूरे मामले में विजिलेंस की ओर से की गई शिकायत की कॉपी अब सामने आई है। इसके अनुसार दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने PS विभव कुमार को बिना किसी पोस्ट के ही फ्लैट अलॉट कर दी।

ये शिकायत एडिशनल चीफ सैकेट्री को की गई थी, जिसमें लिखा गया कि गलत तरीके से Interpool एक्सचेंज किया गया। इसका मतलब है कि PwD की जगह जल बोर्ड में फ्लैट दिया गया। इंटरपूल एक्सचेंज के तहत केजरीवाल सरकार की ओर से पीएस बिभव कुमार को दिल्ली जल बोर्ड का बंगला दिया गया था, जबकि वो सरकारी कर्मचारी नहीं हैं। इस मामले में 2023 में विजिलेंस ने पूछताछ शुरू की थी।

क्या है दिल्ली जल बोर्ड का मामला?

दिल्ली जल बोर्ड का ये पूरा मामला ED और CBI की FIR और दिल्ली एंटी करप्शन ब्रांच से संबंधित है। बता दें, केंद्रीय जांच एजेंसी ED दिल्ली जल बोर्ड के संबंध में दो अलग-अलग कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही थी। इस संबंध में पिछले साल जुलाई 2023 में ED ने दिल्ली-एनसीआर, केरल, चेन्नई में 16 जगहों पर छापेमारी की थी। ये छापेमारी जलबोर्ड के अधिकारी, NBCC के लोग और कुछ निजी संस्थाओं के अधिकारियों पर की गई। आरोप है कि दिल्ली जल बोर्ड की टेंडर प्रक्रिया में कई नियमों को ताक पर रखा गया और अनियमितता बरती गई।

ईडी ने CBI की ओर से दर्ज की गई FIR के आधार पर इस मामले में जांच शुरू की। DJB के अधिकारियों ने NBCC के अधिकारियों की मिलीभगत से इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फ्लो मीटर की इंस्टॉलेशन, सप्लाई और टेस्टिंग का टेंडर इशू किया था। जांच में सामने आया कि इस दौरान कंपनी को टेंडर देते समय NKG इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को अनुचित लाभ दिया और उस लाभ को देने की एवज में पैसे लिए गए।

करीब 38 करोड़ रुपए का मिला टेंडर

तत्कालीन NBCC के महाप्रबंधक DK मित्तल पर आरोप है कि उन्होंने उस दौरान NKG इंफ्रास्ट्रक्चर को परफॉर्मेंस बेस्ड नकली सर्टिफिकेट जारी करके दिया। टेंडर प्रक्रिया के दौरान NKG इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने तत्कालीन चीफ इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा और उसके जूनियर स्टाफ के साथ मिलीभगत करके करीब 38 करोड़ रुपए का टेंडर हासिल कर लिया।

वहीं दूसरे मामले में दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच ने जल बोर्ड के बिल पेमेंट के भुगतान के लिए जगह जगह पर ऑटोमेटिक मशीन लगाई जानी थी। मशीन भी लगाई गई और बिल के भुगतान भी हुए, लेकिन वो पैसा दिल्ली जल बोर्ड के अकाउंट जमा नहीं हुआ। इस मामले में भी ED जांच कर रही है। जल बोर्ड के अधिकारी ED की राडार पर हैं। ये कॉन्ट्रैक्ट 3 साल के लिए दिया गया था, जिसे बाद में समय-समय पर बढ़ाया गया। बावजूद इसके कंपनी की तरफ से जल बोर्ड को पेमेंट नहीं की जा रही थी। उसके बाद भी चीजों को अनदेखा किया गया। 

जल बोर्ड को हुआ करीब 14 करोड़ 41 लाख का घाटा

जांच में ये भी सामने आया कि नोट बंदी के दौरान करीब 10 करोड़ 40 लाख की पेमेंट एक साथ की गई लेकिन वो भी जल बोर्ड तक नहीं पहुंची। इस मामले में करीब 14 करोड़ 41 लाख का घाटा जल बोर्ड को हुआ और ये पैसा अभी भी कंपनी मेसर्स फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड और मैसर्स ऑरम ई-पेमेंट्स प्रा.लिमिटेड के पास बकाया है। जब ED की छापेमारी के दौरान कई अहम दस्तावेज, नकदी और डिजिटल उपकरण ED में सीज किए गए। इसके अलावा जगदीश कुमार अरोड़ा की कई बेनामी संपत्तियों की जानकारी भी मिली जो जगदीश अरोड़ा अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद से संचालित कर रहा था।

 

(Note: यह एक ब्रेकिंग स्टोरी है। अधिक जानकारी के साथ अपडेट हो रही है)

Updated 12:26 IST, February 6th 2024

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